मेलघाट में 100 वर्ष पुराने 118 ब्रिटीशकालिन पुल

20 से अधिक पुल बन चुके आवाजाही के लिए खतरनाक

अमरावती /दि.19– मेलघाट की धारणी व चिखलदरा तहसील में रहनेवाले मुख्य मार्गो पर करीब 118 ब्रिटीशकालिन पुल है. जिनका निर्माण हुए 100 वर्ष से भी अधिक का समय बित चुका है. इसमें से 20 से अधिक पुल अब वाहनों की आवाजाही के लिए खतरनाक साबित होने लगे है. परतवाडा-इंदौर मार्ग पर स्थित सेमाडोह के भूतखोरा पुल सहित हरिसाल, दिया, रोहनीखेडा, धारणी व अकोट मार्ग पर स्थित कई ब्रिटीशकालिन पुलों को दुरुस्त किए जाने की प्रतीक्षा की जा रही है. परंतु व्याघ्र प्रकल्प के कडे नियमों व शर्तों में इन पुलों की दुरुस्ती का मामला अटका हुआ है.

* चार नए पुलों सहित 16 से अधिक पुलों की दुरुस्ती जरुरी
मेलघाट के घुमावदार पहाडी रास्ते पर जगह-जगह ब्रिटीशकालिन पुल है. यहां पर चार नए पुलों की निर्मिती सहित 16 से अधिक पुराने पुलों की दुरुस्ती आवश्यक है. मेलघाट में अतिवृष्टि व सतत मूसलाधार बारिश की वजह से नदी-नाले तेज उफान के साथ बहते है. बारिश के मौसम दौरान सिपना, चंद्रभागा, शहानूर, तापी व खुर्शी जैसी प्रमुख नदियों में बाढ आ जाती है. जिसके चलते मेलघाट के गांवों का बाहरी दुनिया से संपर्क टूट जाता है.

* नया निर्माण कब?
परतवाडा से धारणी होते हुए इंदोर मार्ग पर सेमाडोह (भूतखोरा) व हरिसाल स्थित पुल कई वर्ष पुराने हो चुके है. जिनके बीम व गर्डर जर्जर हो चुके है. धारणी से दिया मार्ग पर स्थित दो पुल भी इसी श्रेणी में है. जिसके चलते इन चारों पुलों के स्थान पर नए पुलों का निर्माण करने की जरुरत लंबे समय से जताई जा रही है.

* संकरे रास्ते व जानलेवा पुल
मेलघाट के घुमावदार पहाडी रास्तों पर व्याघ्र प्रकल्प के नियमों की वजह से संकरे रहनेवाले रास्तों व पुराने पुलों का विकास व विस्तार नहीं हो पा रहा. इन संकरे रास्तों पर अब तक सरकारी व निजी बसों सहित कई वाहनों के साथ हादसे घटित होने के बाद भी नियमों का हवाला दिया जाता है और इन्हीं नियमों की वजह से मेलघाट के घुमावदार पहाडी रास्तों पर एकतरह से लोगों की जान के साथ खिलवाड चल रहा है.

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