12 वर्षीय बच्चे के दुर्लभ हृदय रोग का सफल उपचार
ओपन-हार्ट सर्जरी से बचाव

अमरावती/दि.5 -हाल ही में 12 वर्षीय बच्चे के दुर्लभ जन्मजात हृदय रोग का सफल उपचार न्यूनतम इनवेसिव स्टेंटिंग प्रक्रिया के माध्यम से किया गया. इस विधि से पारंपरिक ओपन-हार्ट सर्जरी की आवश्यकता पूरी तरह समाप्त हो गई. बच्चे में एट्रियल सेप्टल डिफेक्ट (एएसडी) का पता चला, जो सुपीरियर वेना कावा (एसवीसी- शरीर के ऊपरी भाग, यानी सिर, गर्दन और हाथों से ऑक्सीजन रहित रक्त हृदय तक लाने वाली बड़ी शिरा) और दाहिना आलिंद (राइट एट्रियम) – हृदय का ऊपरी दाहिना कक्ष, जिसमें शरीर से आने वाला रक्त सबसे पहले आता है और फिर अगले कक्ष में जाता है) के जंक्शन पर स्थित था. यह प्रकार बच्चों में अत्यंत दुर्लभ होता है और ऐसे मामलों में स्टेंटिंग पद्धति अपनाना तो और भी दुर्लभ है. यह उपचार सावंगी (मेघे), वर्धा स्थित आचार्य विनोबा भावे ग्रामीण अस्पताल (एवीबीआरएच) की कार्डिएक कैथेटराइजेशन प्रयोगशाला में किया गया.
इस अवसर पर एवीबीआरएच, वर्धा के हृदय रोग विभागाध्यक्ष प्रो. डॉ. गजेन्द्र अग्रवाल ने कहा- पीएपीवीसी के साथ एसवीसीदोष का ट्रांसकैथेटर क्लोजर बच्चों में दुर्लभ जन्मजात हृदय रोगों के उपचार पद्धति में क्रांतिकारी बदलाव ला रहा है. सही मरीज का चयन और उन्नत तकनीक के जरिए अब हम सुरक्षित, कम आक्रामक विकल्प उपलब्ध करा सकते हैं – जिससे उपचार के परिणाम और मरीजों के जीवन की गुणवत्ता में उल्लेखनीय सुधार होता है. एवीबीआरएच वर्धा कैथ लैब की कार्डियोलॉजी टीम के डॉ. आकाश लोखंडे, डॉ. हर्षल पावडे, डॉ. चेतन राठी, डॉ. वैभव राऊत और डॉ. वैभव महाले ने इस उपचार में अहम भूमिका निभाई. उनकी सामूहिक विशेषज्ञता, समर्पण और सटीक योजना ने इस जटिल प्रक्रिया को सफल और सुरक्षित बनाया.
प्रक्रिया के छह महीने बाद बच्चा पूरी तरह स्वस्थ है और बिना किसी लक्षण या जटिलता के खुशहाल जीवन जी रहा है. यह सफल उपचार एवीबीआरएच के हृदय रोग विशेषज्ञों की कौशल और नवोन्मेषी दृष्टिकोण का प्रमाण है. बच्चों में ऐसे जटिल जन्मजात हृदय रोगों पर विजय प्राप्त करना एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है, जिससे यह अस्पताल इंटरवेंशनल पीडियाट्रिक कार्डियोलॉजी के क्षेत्र में उत्कृष्टता केंद्र के रूप में अपनी पहचान और मजबूत कर रहा है.





