अंबिका देवी संस्थान में 1461 अखंड दीप

ऐतिहासिक और पौराणिक मंदिर की विशिष्ट पहचान

तिवसा/दि.1 – कौंडण्यपुर की अंबिका माता मंदिर का पौराणिक इतिहास है. इसे रूक्मिणी हरण मंदीर के रूप में भी जाना जाता है. शारदीय नवरात्रि निमित्त यहा नौें दिनों का अखंड दीप जगाया गया है. यह नया कीर्तिमान बना है क्योंकि 1461 भक्तों के अनुरोध पर दीप प्रज्वलित किए गए है. सभी नौं दिन दर्शन हेतु महिलाओं की सवेरे से ही भीड उमड रही है. तडके 5 बजे आरती पश्चात 7 बजे देवी का अभिषेक, पश्चात श्रींगार किया जाता है. दोपहर 12 बजे नैवेद्य आरती होती है. सायं 7 बजे महाआरती होती है. इस प्रकार का नित्यक्रम नवरात्रि में चल रहा है. भाविकों के लिए तडके से ही आर्वी के मंगल ग्रुप द्बारा फलाहार का वितरण किया जा रहा है.
पुरातन राजधानी और माता रूक्मिणी का पीहर श्री क्षेत्र कौंडण्यपुर है. यही रूक्मिणी हरण मंदिर अर्थात श्री अंबिका देवी संस्थान में नवरात्री का उत्सव बडे ही उत्साह, उल्लास, उमंग से प्रारंभ हुआ. संस्थान का प्राचिन इतिहास रहा है. मान्यता है कि भगवान श्रीकृष्ण ने यहीं से माता- रूक्मिणी का हरण किया था. अत: वैभवशाली श्री अंबिका देवी संस्थान में नवरात्रि उपलक्ष्य भक्त हजारों की संख्या में उमड रहे हैं. तडके पांच बजे की आरती का यहां महत्व है. अत: भाविक 10 से 20 किमी पैदल चलकर आते है. उनकी मनोकामना पूर्ण होने की मान्यता है. देवी का नयनरम्य श्रींगार भाविकों को मुग्ध करता है. यहां जगाए गए 1461 अखंड दीपों की बडी सहजता से देखभाल की जा रही है. संस्थान के पदाधिकारी इस बात का पूरा ध्यान रखते हैं.

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