वर्धा नदी को अर्पित की गई 211 मीटर की साडी

पालकमंत्री बावनकुले के हाथों कौंडण्यपुर में हुआ साडी अर्पण समारोह

अमरावती/दि.28 – विदर्भ की पंढरी, भगवान श्रीकृष्ण का ससुराल तथा माता रुक्मिणी व पंच सती का मायका रहनेवाले कौंडण्यपुर के वर्धा नदी को 211 मीटर की साडी अर्पण सोहला कल शुक्रवार 27 जून को संपन्न हुआ. पालकमंत्री चंद्रशेखर बावनकुले के हाथों विधिवत पूजा कर यह अखंड साडी वर्धा नदी को अर्पण की गई. भाविक, वारकरी इस नेत्रदीपक सोहले के साक्षीदार बने है.
यह कार्यक्रम विठ्ठल-रुक्मिणी रथयात्रा, टाल-मृदंग का गजर, तिरंगा रैली निकाल नगर भ्रमण व एक पेड के नाम वृक्षारोपण आदि विविध कार्यक्रम इस अवसर पर किए गए. अंबा रुक्मिणी सांस्कृतिक महोत्सव समिति के अध्यक्ष तथा भाजप के जिलाध्यक्ष रविराज देशमुख की संकल्पना से यह कार्यक्रम लिया गया.
इस समय विधायक राजेश वानखडे, विधायक प्रताप अडसड, विधायक प्रवीण तायडे, किरण पातुरकर, पूर्व पालकमंत्री प्रवीण पोटे पाटिल, दादाराव केचे, शेखर भोयर, रविराज देशमुख, राज राजेश्वर माऊली सरकार और अन्य पदाधिकारी उपस्थित थे.
कौंडण्यपुर यह तीर्थक्षेत्र प्राचीन इतिहास होने से श्रीरामचंद्र की दादी, राजा दशरथ की मां इंदुमति, राजा भीमक की कन्या माता रुक्मिणी, नलराजा की महारानी, केशिनी यह पंच सती का मायका है, तथा नाथ संप्रदाय के चौरंगीनाथ इन सभी का जन्मस्थान कौंडण्यपुर है. नाथ की समाधि यहां है. वशिष्ठा (वरदा आज की वर्धा) नदी का पात्र में पुंडलिक नाम का कुंड है. इस कुंड से संतश्रेष्ठ सदाराम महाराज को पांडुरंग की मूर्ति प्राप्त हुई और उसकी प्रतिष्ठापना की गई. आज कौंडण्यपुर में भव्य मंदिर खडा है. पिछले 431 साल से कौंडण्यपुर से पंढरपुर पैदल पालखी भी आषाढी सोहले के लिए यहां से निकाली जाती है.
सर्वप्रथम सुबह 10 बजे से श्री विठ्ठल-रुक्मिणी रथयात्रा का पूजन, टाल-मृदंग व तिरंगा रैली में नगर भ्रमण किया गया. उसके बाद विठ्ठल-रुक्मिणी मंदिर में पूजा व आरती करने के उपरांत विदर्भ के किसानों के लिए वरदान साबित रहनेवाले अप्पर वर्धा तथा लोअर वर्धा प्रकल्प के माध्यम से जलसंजीवनी बने वर्धा नदी को मान्यवरों के हाथों 211 मीटर की साडी-चोली अर्पण की गई. इसमें 100 से अधिक महिला भजनी मंडल सहभागी हुए थे.
* रुक्मिणी माता का आशीर्वाद लेकर जनता की सेवा करुंगा – पालकमंत्री
कौंडण्यपुर में माता रुक्मिणी का मायका होने से इसे पाच हजार वर्ष के पुरातन इतिहास के तौर इस भूमी को माना जाता है. अनेक पीढियां यह इतिहास भूल नहीं सकती, ऐसा इतिहास लिखा गया है. वर्धा नदी की पूजा, रुक्मिणी माता का पूजन कर उनका आशीर्वाद लेकर जनता की सेवा करते रहुंगा, ऐसा प्रतिपादन पालकमंत्री चंद्रशेखर बावनकुले ने किया.

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