मनपा की 25 आर जमीन अवैध कब्जे से छुडाई

सफल रहा एड. ऋषि छाबडा का युक्तिवाद,अदालत ने मनपा को दिया जमीन का कब्जा

अमरावती/दि.9 – सर्वे नंबर 43/2 मौजे- बेनोडा की मनपा की 25 आर जमीन पर 7 लोगों ने फर्जी दस्तावेज के जरिए अपना अवैध कब्जा सहित साबित करने के लिए अदालत में अपील की थी. इस मामले में अदालत ने मनपा के वकील एड. ऋषि छाबडा के दावे को ग्राह्य करते हुए इस जमीन को मनपा के कब्जे में दे दिया हैं. इस मामले में मनपा की तरफ से एड अशोक जैन के मार्गदर्शन में एड ऋषि छाबडा ने सफल युक्तिवाद किया. जिसका सर्वत्र सराहना की जा रही हैं.
उल्लेखनीय है कि सर्वे नंबर 43/2, मौजे-बेनोडा की 25 आर जमीन पर अवैध कब्जा हटाने के लिए मनपा ने 16 मई 2009 और 27 अप्रैल 2012 को नोटिस/ एप्लीकेशन देकर कार्रवाई शुरू की, लेकिन इस जमीन पर कब्जा किए बैठे वादी ताजुनिसा मोहम्मद हुसैन, अनीस अहमद मोहम्मद हुसैन, अनवर अहमद मोहम्मद हुसैन अतीक अहमद मोहम्मद हुसैन, अमीना परवीन अब्दुल रज्जक, सुल्ताना नसीम मोहम्मद हुसैन और शाहीन फरजाना तहसीन अहमद ने अदालत में अपील दायर नकली दस्तावेज के जरिए अपना अधिकार जताया था. यह मामला काफी पुराना था. यह मामला 16 हेक्टर 58 आर जमीन का था. इस पर वर्ष 1987 में ही ले आउट डाल दिया गया था. मनपा ने इसमें अपने कब्जे वाली 25 आर जमीन को गार्डन और बच्चों के खेल के मैदान के लिए आरक्षित किया था. इस बीच वर्ष 1998 में नकली दस्तावेजों के जरिए तत्कालीन जिलाधिकारी से एक ऑर्डर पास करवाकर इन लोगों ने 25 आर जमीन पर भी अपना कब्जा कर लिया था. जबकि यह जमीन वर्ष 1986 से ही मनपा के अधिकार में थी. इस जमीन पर अपना कब्जा पाने के लिए मनपा ने वर्ष 2009 से लेकर वर्ष 2012 के बीच में कई बार नोटिस देकर कब्जा हासिल करना चाहा था. इसके बाद वर्ष 2013-14 में वादियों ने अदालत में अपील कर इस जमीन पर अपना अधिकार जताया था. तब से लेकर अब तक यह मामला न्याय प्रविष्ट था.
इस मामले में मृतक मोहम्मद हुसैन खेती की जमीन के मालिक थे, जिसका सर्वे नंबर 43/2 मौजे-बेनोडा है. यह प्रॉपर्टी मृतक मोहम्मद हुसैन को अपनी मां फातिमाबी से विरासत में मिली थी. फातिमाबी की मौत 1949 में हुई थी, वह एस.के.इमाम की बेटी थी, जिसकी मौत 1938 हुई थी. और इसलिए कानूनी वारिस होने के नाते वह पुश्तैनी प्रॉपर्टी में कानूनी हिस्से की हकदार थी. उसकी मौत के बाद, पुश्तैनी प्रॉपर्टी में उनका हिस्सा मोहम्मद हुसैन और मोहम्मद यूसुफ को मिला जो उसके बेटे यानी कानूनी वारिस थे. कानूनी वारिस में से एक मोहम्मद हुसैन को उनके हिस्से में बेदखल कर दिया गया था, इसलिए दुखी होकर उन्होंने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया, जिसके बारे में नीचे बताया गया था. इस मामले में मोहम्मद हुसैन और उनके भाई के पक्ष में सही फैसला हुआ था. जिसमें उन्हें 1/16 हिस्सा दिया गया. जिससे अपील का फैसला हो गया था. वर्ष 1964 के इस फैसले के खिलाफ बॉम्बे के ज्यूडीकेचर हाईकोर्ट, नागपुर बेंच, नागपुर में चुनौती दी थी. हाईकोर्ट में वर्ष 1981 को उपर बताई गई अपील खारीज कर दी और असिस्टंट जज अमरावती का फैसला बदला नहीं गया और लागू किया जा सकता था. वहीं असली वादी मोहम्मद हुसैन और मोहम्मद यूसुफ को प्रॉपर्टी यानी घर और खेत में से हर एक में 1/32 हिस्से का मालिक घोषित किया गया था. इसके बाद वर्ष 1991 में वादी के मृतक पिता मोहम्मद हुसैन ने महाराष्ट्र सरकार से सही तरिके से उस जमीन पर कब्जा हासिल किया. मृतक मोहम्मद हुसैन अपनी मृत्यु तक उनकी प्रॉपर्टी के सारे काम देखते थे. मोहम्मद हुसैन की मौत 11 जनवरी 2006 को हुई. उनकी मौत के बाद कानूनी वारिस और वादी नंबर 2 अनीस अहमद ने सूट प्रॉपर्टी में जिस 25 आर जमीन पर मनपा का कब्जा था उसे गैर कानूनी बताया था. लगभग 11 वर्ष तक चले इस मामले में अब अदालत का फैसला आया है और अदालत ने इस 25 आर जमीन पर मनपा का कब्जा वैध पाया हैें. इस प्रकरण में एड. ऋषि छाबडा ने वरिष्ठ एड. अशोक जैन के मार्गदर्शन में सफल युक्तिवाद कर मनपा को उसकी जमीन पर कब्जा दिलवाया है. एड. ऋषि छाबडा की इस सफल पैरवी की सर्वत्र सराहना की जा रही हैं.

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