लालखड़ी के तोड़े गए 30 से 40 मकानो का हो पुनर्वसन

राजवीर संगठन ने उठाई मांग, मुआवजा देने का भी मुद्दा उठाया

* अन्यथा मनपा चुनाव के बहिष्कार की चेतावनी
अमरावती/दि.21 – राजवीर जनहित संघटन के संस्थापक अध्यक्ष रहमत खान उर्फ रम्मू पत्रकार ने यहां जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा एक ही रिंग रोड से लालखड़ी होते हुए जो हाल ही में उड़ान पुल के कार्य को मंजूरी मिली है उसी उड़ान पुल के विकास कार्यों की आड़ लेकर 40 से 45 वर्षों से लाल खड़ी इमामनगर परिसर में अपनी खून पसीने की कमाई से सींचकर अपने कच्चे पक्के छोटे-मोटे घर बना कर विविध समस्याओं को खेलते हुए निवास कर रहे गरीबों के मकानो को सार्वजनिक बांधकाम विभाग की संयुक्त कार्रवाई से तोड़ा गया ना किसी प्रकार की गरीब जनता को नोटिस ना किसी प्रकार की सूचना बल्कि हिटलर शाही का परिचय देते हुए लालखड़ी परिसर इमामनगर की गरीब जनता को उड़ान पुल विकास काम के नाम पर घर से बेदखल कर दिया गया. जब जनता ही नहीं रहेगी तो ऐसे विकास का क्या फायदा?
रहमत खान ने बताया कि वर्ष 2003 के लगभग तत्कालीन सरकार के कार्यकाल में जब इस लालखड़ी परिसर के विकास के नाम पर गरीबों के मकान हटाए गए थे, तब तत्कालीन सरकार ने इन मकान मालिको का बिस्मिल्लाह नगर और आसपास के परिसरों में पुनर्वसन किया था. परंतु जबकि आज भी सरकार के पास ई क्लास की एवं सरकारी आरक्षित जमीन भरपूर मात्रा में इस परिसर में है, उसके बावजूद भी इन गरीबों का पुनर्वासन वर्तमान सरकार एवं उनके जनप्रतिनिधि करने की हिम्मत नहीं दिखा रहे. रहमत खान ने कहा कि तुरंत सरकार एवं सरकार से जुड़े जनप्रतिनिधि लालखड़ी परिसर के बेघर हुए हजारों लोगों को आज पड़ोस की सरकारी जमीनों पर पुनर्वासन करवाई एवं उनके तोड़े गए मकान का उचित मुआवजा दिलवाने की मांग की है और ऐसा नहीं होने पर गरीब जनता के हित में तीव्र आंदोलन कर आगामी महानगरपालिका चुनाव में जनप्रतिनिधियों का बहिष्कार करने की चेतावनी भी दी है.
जनता में यह भी चर्चा है कि उड़ान पुल विकास के नाम पर 30 40 वर्षों से रह रहे हजारों परिवारो के मकानों को बिना सूचना नोटिस ना देते हुए तोड़ तो दिया गया है परंतु इस बारिश के समय में अब यह बेघर हजारों नागरिक कहां जाएंगे इस बात की दखल लेने के लिए एवं गरीबों की समस्याओं को जानने के लिए कोई भी जनप्रतिनिधि यह गरीब जनता तक नहीं पहुंचा है और ना ही अब तक उचित मुआवजा एवं पुनर्वासन भी नहीं करवाया है. अब राजवीर संघटना इस डंके से सरकार एवं सरकार से जुड़े जनप्रतिनिधियों पर कितना असर होता है, यह जनता बखूबी देख रही है अन्यथा आने वाले महानगरपालिका चुनाव के समय तो यह निश्चित है कि राजवीर संघटना के नेतृत्व में महानगर पालिका चुनाव पर जबरदस्त विरोध एवं बहिष्कार होगा.

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