चार दिनों में 35 लोग खुद ही हुए पुलिस के सामने हाजिर

फर्जी जन्म-मृत्यु प्रमाणपत्र मामले की जांच ने पकडी रफ्तार

* मनपा के अधिकारी की शिकायत पर 504 लोगों के खिलाफ दर्ज हुआ है मामला
* पते पर नहीं मिलने या पते गलत पाए जाने के चलते पुलिस में की गई थी शिकायत
अमरावती /दि.5 – नायब तहसीलदार स्तर के अधिकारी द्वारा जारी किए गए जन्म-मृत्यु प्रमाणपत्रों को रद्द करने और ऐसे प्रमाणपत्रों को वापिस जमा कराने के संदर्भ में आदेश जारी करने के बाद भी प्रमाणपत्र जमा नहीं करानेवाले 504 लोगों के खिलाफ मनपा के स्वास्थ्य व चिकित्सा अधिकारी डॉ. विशाल काले ने यह कहते हुए पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी कि, इसमें से 155 लोग अपने द्वारा दिए गए पते पर रहते नहीं पाए गए. साथ ही 349 लोगों के पते ही गलत पाए गए. इसका मतलब है कि, इन 504 लोगों ने मनपा प्रशासन सहित सरकार के साथ जालसाजी की. जिसके चलते कोतवाली पुलिस ने मनपा की शिकायत के आधार पर 504 लोगों के खिलाफ अपराधिक मामला दर्ज किया था. परंतु नामजद किए गए इन 504 लोगों में से कई लोग अब खुद होकर सामने आने लगे है और विगत चार दिनों के दौरान 35 लोगों ने पुलिस के सामने उपस्थित होकर अपने प्रमाणपत्र व आवश्यक दस्तावेज भी दिखाए है. साथ ही साथ दो लोगों ने प्रमाणपत्र वापिस लौटाते हुए मनपा से बाकायदा इसकी रसीद भी ली है. जिसे देखते हुए अब यह बात स्पष्ट हो रही है कि, मनपा द्वारा इस पूरे मामले को लेकर गंभीरतापूर्वक सर्वे नहीं किया गया.
बता दें कि, जन्म-मृत्यु प्रमाणपत्रों को लेकर अमरावती सहित राज्यभर मचे हंगामे के बाद जनवरी 2025 में सरकार ने आदेश जारी करते हुए दो वर्ष के दौरान नायब तहसीलदार स्तर के अधिकारियों द्वारा जारी सभी जन्म-मृत्यु प्रमाणपत्रों को रद्द करते हुए संबंधितों को निर्देशित किया गया कि, वे ऐसे प्रमाणपत्रों को प्रशासन के पास वापिस लाकर जमा कराए. परंतु अमरावती मनपा क्षेत्र में 504 लोगों ने उनके नाम जारी प्रमाणपत्र वापिस ही नहीं लौटाए. जिनके खिलाफ मनपा के स्वास्थ्य व चिकित्सा अधिकारी डॉ. विशाल काले ने यह कहते हुए शिकायत दर्ज कराई कि, इन 504 लोगों का कहीं कोई अता-पता ही नहीं चल रहा. परंतु इस मामले को लेकर एफआईआर दर्ज होने के साथ ही अब यह जानकारी सामने आ रही है कि, आरोपियों की सूची में शामिल दो लोगों ने तीन माह पहले ही मनपा के पास पहुंचकर अपने प्रमाणपत्र वापिस लौटा दिए थे. जिसकी उन्होंने मनपा से बाकायदा रसीद भी ली थी. लेकिन इसके बावजूद उन दोनों लोगों के नाम भी मनपा की ओर दर्ज कराई गई एफआईआर में शामिल है. वहीं खास बात यह भी है कि, मनपा के जोन अधिकारियों को जो लोग उनके अपने जोन में सर्वेक्षण के दौरान नहीं मिले थे और जिनके पतो को मनपा के सर्वेक्षण में गलत व अस्तित्वहिन बताया गया था, उनमें से कई लोग अब सिटी कोतवाली पुलिस थाने पहुंचकर अपने वैध दस्तावेज पेश कर रहे है. साथ ही अपना पता सही रहने की बात दर्शाते हुए खुद के अस्तित्व को साबित भी कर रहे है. जिसके चलते मनपा की ओर से कराए गए सर्वेक्षण के साथ-साथ दर्ज कराई गई शिकायत पर सवालिया निशान लगते नजर आ रहे है.
* तीन माह पहले ही मनपा को लौटाया था प्रमाणपत्र
शहर कांग्रेस के सचिव रहनेवाले डॉ. फिरोज खान हमीद खान का नाम भी मनपा की ओर से आरोपी बनाए गए लोगों की सूची में शामिल है. जिसे लेकर हैरत जताते हुए डॉ. फिरोज खान ने बताया कि, उनका जन्म प्रमाणपत्र रद्द हो जाने की बात पता चलते ही उन्होंने खुद विगत 5 अगस्त को मनपा में जाकर उस प्रमाणपत्र को वापिस लौटाया था और उसकी बाकायदा रसीद भी ली थी. लेकिन इसके बावजूद उनका नाम इस मामले में दो बार शामिल किया गया है. उनकी तरह ही प्रमाणपत्र वापिस लौटा चुके एक अन्य व्यक्ति का नाम भी आरोपियों की सूची में शामिल है. यह देखकर वे खुद आश्चर्यचकित है और उन्होंने इसकी शिकायत शहर पुलिस आयुक्त अरविंद चावरिया से की है.

* मनपा का कोई कर्मचारी हमारे घर नहीं आया
वहीं स्थानीय नवाथे परिसर में रहनेवाले नरेंद्र वैजापुरकर का नाम भी मनपा की ओर से दर्ज कराई गई शिकायत में शामिल है. जिन्होंने इस पूरे मामले पर हैरत जताते हुए कहा कि, वे विगत कई वर्षों से नवाथे प्लॉट परिसर में अपने परिवार के साथ रहते हुए अपना व्यवसाय कर रहे है और अपने घर का संपत्ति कर भी नियमित रुप से अदा करते है. जिसके संकलित करने हेतु मनपा का कर लिपीक ही उनके घर पर आता है. 6 माह पहले उन्होंने अपने पिता का मृत्यु प्रमाणपत्र प्राप्त किया था. परंतु उसे वापिस ले जाने हेतु उनके घर तक मनपा का कोई कर्मचारी नहीं पहुंचा और इस बारे में किसी ने भी उनसे संपर्क भी नहीं साधा. बल्कि उनका पता गलत निकलने और वे दस्तावेज में दर्ज पते पर नहीं रहने की वजह को आगे करते हुए उन्हें आरोपी बना दिया गया.

* कई लोग कर रहे कोर्ट जाने की तैयारी
जिन लोगों ने इससे पहले ही अपने प्रमाणपत्र मनपा के सुपूर्द कर दिए है, उसमें से भी कई लोगों के नाम आरोपियों की सूची में शामिल है. जिसके चलते संबंधितों को जबरदस्त मानसिक आघात पहुंचा है और उनकी सामाजिक प्रतिष्ठा को भी धक्का लगा है. जिसकी वजह से अब ऐसे कई लोगों ने डॉ. विशाल काले के खिलाफ अदालत में जाने की तैयारी करनी शुरु कर दी है. ऐसे लोगों का कहना रहा कि, डॉ. विशाल काले की लापरवाही और हडबडी के चलते कई लोगों के शैक्षणिक व सामाजिक भविष्य पर सवालिया निशान लग गए है.

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