भ्रष्टाचार के खिलाफ आदिवासी कर्मचारी का 45 वें दिन भी अनशन जारी

अमरावती/दि.5-यवतमाल के सावित्री जोतिराव समाज कार्य महाविद्यालय के ग्रंथालय लिपिक लखन अरविंद मैघणे गत 21 मई से बेमियादी अनशन पर अपने परिवार व ग्रामवासियों समेत बैठे है. संत गाडगे बाबा अमरावती विद्यापीठ ने यूजीसी के नियम, महाराष्ट्र विश्वविद्यालय अधिनियम 2016 और सरकारी निर्णयों की अनदेखी करते हुए संत गाडगेबाबा अमरावती विश्वविद्यालय द्वारा डॉ. अरुण दादाजी शेंडे को कार्यवाहक प्राचार्य के रूप में असंवैधानिक पदोन्नति और अवैध नियुक्ति करने से इस आदिवासी कर्मचारी ने व्हिसल ब्लोअर अनशन शुरु किया है. आज 45 वें दिन भी उनका अनशन जारी रहा. 45 दिनों से अनशन जारी रहने पर भी विद्यापीठ प्रशासन द्वारा कोई समाधानकारक प्रतिसाद नहीं मिला. न्याय मिलने व भ्रष्टाचार की जांच की मांग को लेकर उन्होंने राज्यपाल, मुख्यमंत्री, उच्च शिक्षा मंत्री, विद्यापीठ अनुदान आयोग, पुलिस प्रशासन को ज्ञापन दिया है. अनशनकर्ता के मुताबिक, डॉ. शेंडे नेट/ सेट ग्रस्त होकर उन्होंने 2019 में पीएचडी की डिग्री प्राप्त की है. यूजीसी के नियमों और सरकारी निर्णयों के अनुसार, वे कैरियर एडवांसमेंट स्कीम के तहत सीएएस के किसी भी लाभ के लिए पात्र नहीं थे. उन्हें चयन समिति के माध्यम से 2010 से पूर्वव्यापी रूप से पदोन्नत किया गया, भले ही वे पद के लिए पात्र नहीं थे. यह चयन समिति ही अवैध है और विश्वविद्यालय प्रशासन इस संबंध में सभी दस्तावेजों से बच रहा है. अनशनकर्ता लखन मैघने ने राज्यपाल को एक पत्र लिखकर इस मामले में एक उच्च स्तरीय 5 सदस्यीय जांच समिति नियुक्त करने का अनुरोध किया है. उन्होंने यह भी मांग की है कि डॉ. शेंडे की प्रभारी प्राचार्य के रूप में नियुक्ति के 5 मार्च 2025 के आदेश को तुरंत रद्द किया जाना चाहिए और मामले को जांच के लिए पुलिस को सौंप दिया जाना चाहिए. इस जांच के दौरान लोक सेवा मंडल नरवेल जिला बुलढाणा इस संस्था अंतर्गत आने वाले कॉलेजों में कई प्रशासनिक और आर्थिक अनियमितताएं निश्चित रूप से सामने आएंगी.





