वर्तमान में बिजली पर चलने वाले वाहनों की जरुरत
प्रदुषण मुक्ति के लिए है जरुरी

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केंद्रीय परिवहन मंत्री नितीन गडकरी का कथन
नागपुर/दि.9 – पेट्रोल-डीजल से लोग जल्द ही दूर होंगे. यह दौर जल्द ही आने वाला है. प्रदुषण मुक्ति के लिए सार्वजनिक परिवहन भी बिजली पर चलनी चाहिए, यही आज देश की जरुरत है. लंबी दुरियों की यातायात हाईट्रोजन व इलेक्ट्रीक पर होने के लिए भारत सरकार प्रोत्साहन दे रही है, इस आशय का प्रतिपादन केंद्रीय सडक परिवहन मंत्री नितीन गडकरी ने व्यक्त किया. वे फिकी परिषद में यातायात के लिए भविष्य के इंधन विषय पर आयोजित वर्च्यूअल कार्यक्रम में बोल रहे थे. यातायात क्षेत्र की देश के विकास में निर्णायक भूमिका है.
रेलवे के बाद देश में रास्तों का सबसे बडा जाल बिछा हुआ है. आज 70 फीसदी यात्री और 90 फीसदी माल ढुलाई रास्तों के माध्यम से होती है. इसलिए प्रदुषण मुक्त यातायात के लिए इथेनॉल, सीएनजी, एलएनजी और इलेक्ट्रीक यह निकट भविष्य का इंधन होने की जानकारी गडकरी ने दी. आगे गडकरी ने कहा कि खर्च की बचत करने वाली यातायात प्रणाली होनी चाहिए. इसपर ही सरकार ज्यादा ध्यान केंद्रीत कर रही है. मेट्रो, रैपिड, मोनो रेल, इंटरसिटी बस सेवा जैसे अनेक व्यवस्थाएं रहनी चाहिए. आज 70 फीसदी इंधन की जरुरत यातायात क्षेत्र को लग रही है. जिसके चलते 8 लाख करोड क्रुड ऑईल की आयात करनी पड रही है. 98 फीसदी पेट्रोल-डीजल की खपत सडक परिवहन पर खर्च की जाती है. जिसके चलते 18 फीसदी कार्बनडाय आक्साईड का उत्सर्जन होता है. वातावरण में प्रदुषण बढाने के लिए डीजल सबसे ज्यादा हानीकारक है. इसलिए परिवहन क्षेत्र में कार्बनडाय आक्साईड से मुक्त रखना जरुरी है. यातायात के लिए प्रदुषण मुक्त इंधन रहना चाहिए, इसके लिए सरकार ने नीतियां तैयार की है. प्रदुषण मुक्त, स्वदेशी व जैविक इंधन को प्रोत्साहन दिया गया है. इथेनॉल, मिथेनॉल, बायोडिजल, सीएनजी, एलएनजी, इलेक्ट्रीक, हाईड्रोजन फ्युएल यह इंधन है. इस इंधन के उपयोग से कृषि क्षेत्र को भी बढावा मिलेगा और बडे पैमाने पर रोजगार निमिर्ति हो सकेगी.
सरकार का ई-20 इंधन कार्यक्रम शुरु
बीते 60 वर्षों से ब्राजिल में इथेनॉल पर वाहन चलाएं जा रहे हैं. पेट्रोल में 27 फीसदी इंथेनॉल का उपयोग किया जाता हैं. बायोडिजल व जैविक इंधन को प्रोत्साहन देने का उद्देश्य इसमें रखा गया है. इसके लिए सरकार ने ई-20 यह इंधन कार्यक्रम हाल ही में शुरु किया है. उपयोग में नहीं लाने जाने वाले अनाज से इथेनॉल की निमिर्ति किसानों के लिए एक आय का जरिया बन चुका है.





