… अंतत: उन 58 ऊँटों को मिली गौशाला से रिहाई
3.94 लाख रूपये जमा कराने पडे ऊँट पालकों को

* जखरा रबारी ने व्यक्त किया अपना रोष व संताप
नागपुर/दि.28– विगत दिनों अमरावती जिले के धामणगांव रेल्वे तहसील से होकर हैदराबाद की ओर ले जाये जा रहे 58 ऊँटों को हैदराबाद निवासी प्राणीमित्र कार्यकर्ता की शिकायत के बाद पुलिस द्वारा पकडा गया था और पांच ऊँटवाहक रबारियों को भी गिरफ्तार किया गया था. इन सभी ऊँटों को अमरावती के गौरक्षण संस्था में ले जाकर रखा गया था. वहीं रबारी समाज के पांचों ऊँटवाहकों को दो-तीन दिन में छोड दिया गया था. जिन्होंने दावा किया था कि, वे ऊँटों की तस्करी नहीं कर रहे है, बल्कि इन ऊँटों को मौसम परिवर्तन की वजह से राजस्थान से अमरावती चराई हेतु लाया गया था. अदालत में यह बात सिध्द हो जाने के चलते अदालत ने इन ऊँटों को छोड देने का आदेश जारी किया और पुलिस स्टेशन में तमाम आवश्यक प्रक्रिया पूर्ण की गई. लेकिन अदालत ने यह आदेश जारी करने के साथ ही यह भी कहा था कि, इतने दिनों तक ऊँटोें के पालन-पोषण पर हुए खर्च की ऐवज में ऊँटवाहकोें द्वारा गौरक्षण संस्था के खाते में 3 लाख 94 हजार रूपये जमा कराये जाये. जिसके बाद ऊँटवाहक जखरा रबारी, साजन रबारी सहित उनके साथी काम पर लग गये और वर्धा जिले में जगह-जगह घुमते हुए पैसे जमा किये गये.
इस बारे में जानकारी देते हुए जखरा रबारी ने बताया कि, वर्धा जिले में रबारी समाज के 150 से अधिक परिवार है और इनमें से लगभग सभी परिवारों ने अपनी ओर से यथासंभव आर्थिक योगदान दिया. साथ ही जिन परिवारों का कोई ऊँट नहीं पकडा गया था, उन्होंने भी हजार-दो हजार रूपये की मदद की. इसके अलावा नागपुर और छत्तीसगढ से भी कई लोगों ने पैसा इकठ्ठा करके भेजा. जिसे गौरक्षण संस्था के बैंक खाते में जमा कराया गया, ताकि ऊँटोें की जल्द से जल्द रिहाई हो सके.
जखरा रबारी के मुताबिक गौरक्षण संस्था के बैंक खाते में रकम जमा करने के बाद उनके वकील पुलिस थाने में गये है. ऐसे में यदि देर रात भी उन्हें ऊँटों का ताबा मिल जाता है, तो वे अपने ऊँट लेकर रात के समय ही यहां से निकल जायेंगे. उधर इस पूरे मामले को लेकर पशु अभ्यासक सजल कुलकर्णी ने बताया कि, केंद्र सरकार का आदेश रहने की वजह से खावटी के पैसे भरने ही पडते है. किंतु इस तरह के मामलोें में क्या किया जाये, इसे लेकर कोई स्पष्ट दिशानिर्देश नहीं है. ऐसे में अब इस तरह के मामलों को लेकर सरकार के साथ चर्चा की जायेगी. साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि, हमेशा इधर से उधर भटकने की आदत रहनेवाले ऊँटों को यदि लंबे समय तक एक ही स्थान पर रखा जाये, तो उनके कमजोर होने की पूरी संभावना है. ऐसे में उन्हें घी व आंबाहलदी खिलाने के बाद ही उनकी अगली यात्रा शुरू की जानी चाहिए.





