बिना वजह पति को छोडना पडा भारी
हाईकोर्ट ने पत्नी की अपील को किया खारिज

* तलाक को रखा कायम, उच्च शिक्षित दम्पति का मामला
नागपुर/दि.31 – किसी भी ठोस कारण के बिना पति को छोडकर मायके चले जाना और पति द्बारा बार-बार निवेदन करने के बाद भी ससुराल वापिस लौटने से इंकार करना एक पत्नी के लिए काफी महंगा साबित हुआ है. क्योंकि उसके ऐसे व्यवहार की वजह से पारिवारिक न्यायालय ने पति द्बारा की गई तलाक की अर्जी को मंजूर कर दिया. साथ ही इसके बाद पत्नी द्बारा तलाक को रद्द हेतु दायर की गई याचिका को मुंबई उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ ने भी खरिज कर दिया.
जानकारी के मुताबिक संबंधित महिला अकोला की रहने वाली है. वहीं उसका पति पुणे में रहता है. दोनों ही काफी उच्च शिक्षित है और उनका विवाह 16 जून 2006 को हुआ था. विवाह के बाद उक्त महिला अपने पति के साथ रहने हेतु पुणे गई थी. जहां पर उसका पति नौकरी करता है. लेकिन वह पुणे से बार-बार अपने मायके चली जाया करती थी. इस बात को लेकर दोनों के बीच अक्सर ही काफी झगडे हुआ करते थे. 7 जुलाई 2007 को इस महिला ने एक बेटे को जन्म दिया, लेकिन इसके बाद भी पति-पत्नी के बीच मतभेद कायम रहे. इसी बीच अप्रैल 2013 में पति को उसकी कंपनी ने एक माह के लिए कनाडा भेजा, तो उस समय अपने पति को किसी भी तरह की जानकारी दिए बिना उसकी पत्नी घर में रखे सभी आभूषण व आवश्यक साहित्य लेकर अपने मायके चली गई. साथ ही बेटे को भी अपने साथ ले गई. यह बात पति को उसके माता-पिता ने फोन पर बताई, तो उस व्यक्ति ने अपनी पत्नी को फोन करते हुए पुणे स्थित अपने घर वापिस लौट आने कहा. लेकिन पत्नी ने ऐसा करने से मना कर दिया. वहीं कनाडा से पुणे वापिस लौटने के बाद भी पति ने अपनी पत्नी से मुलाकात की और उसे अपने साथ वापिस चलने हेतु कहा. लेकिन उस समय भी उसकी पत्नी ने उसके साथ चलने से मना कर दिया. इस समय पुलिस महिला कक्ष द्बारा की गई मध्यस्थता का भी कोई फायदा नहीं हुआ. जिसके चलते पति ने अपने पत्नी से तलाक लेने हेतु अकोला के पारिवारिक न्यायालय मेें याचिका दाखिल की. जिस पर सुनवाई करते हुए अदालत ने 2 जनवरी 2021 को इस दम्पति का तलाक मंजूर कर दिया. परंतु इस फैसले के खिलाफ पत्नी ने मुंबई हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ में याचिका दायर की. परंतु इस महिला की याचिका को खारिज करते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि, इस महिला ने अपनी ससुराल छोडने के बाद अपने बेटे का नाम पुणे की शाला से निकालकर उसे अकोला की शाला में प्रवेश दिलवाया. फिलहाल उक्त महिला नाशिक में रह रही है और उसका बेटा भी उसके साथ नाशिक मेें रहते हुए अपनी पढाई कर रहा है. जिसके बाद ही इस दौरान इस महिला ने अपने पति के साथ रहने के लिए कोई प्रयास नहीं किए. जिससे स्पष्ट होता है कि, वह अपने पति के साथ रहने की बिल्कूल भी इच्छूक नहीं है. ऐसे में ज्यादा बेहतर है कि, उन दोनों के बीच तलाक को कायम रखा जाए और वे एक दूसरे से अलग ही रहे. इस आशय का फैसला न्या. विनय जोशी, न्या. भारत देशपांडे ने दिया.