महाराष्ट्र में कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग कम रहने की वजह से बढ रहे कोरोना के मरीज

२८ जिलों में कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग का प्रमाण १० से भी कम

मुंबई/दि.४ – कोई व्यक्ति यदि कोरोना संक्रमित पाया जाता है तो उसके संपर्क में आनेवाले कम से कम २० लोगों की कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग स्वास्थ्य जांच करना चाहिए, ऐसा आदेश रहने के बावजूद राज्य के ३५ में से २८ जिलों में यह प्रमाण १० से भी कम है तथा राज्य का औसत अनुपात केवल ८.२ है. हालांकि राज्य में केवल नागपुर व बीड ये दो ही जिले ऐसे है, जहां पर किसी कोरोना संक्रमित के संपर्क में आये २० से अधिक लोगों की स्वास्थ्य जांच की गई है. महाराष्ट्र के ग्रामीण हिस्सों में कोरोना का संक्रमण बढने की यह सबसे प्रमुख वजह है. किंतु राज्य का सार्वजनिक स्वास्थ्य महकमा और स्वास्थ्य से संबंधित प्रशासन इसकी ओर ध्यान देने के लिए तैयार नहीं है. साथ ही इन विभागों से काम करवाने का जिम्मा रखनेवाले अधिकारी भी संभ्रम का शिकार है. ऐसे में इस विषय को लेकर काम का नियोजन पूरी तरह से गडबडाया हुआ है.

उल्लेखनीय है कि, विगत दिनों ही राज्य के स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे ने स्वास्थ्य विभाग के सचिव डॉ. प्रदीप व्यास के कामकाज को लेकर तीव्र नाराजगी व्यक्त करते हुए सीएम उध्दव ठाकरे व डेप्युटी सीएम अजीत पवार से मांग की थी कि, व्यास को कोई अन्य काम सौंपा जाये तथा उनके स्थान पर किसी अन्य को राज्य का स्वास्थ्य सचिव नियुक्त किया जाये. ज्ञात रहे कि, हाईरिस्क की श्रेणी में रहनेवाले लोगोें की तुरंत स्वास्थ्य जांच होने पर इसका लाभ होता है और मरीजों की संख्या नियंत्रण में आती है. अन्यथा ऐसे मरीज अन्य लोगों को संक्रमित करते रहते है. यह बार-बार साबित हो चुका है.

आज भी मुंबई में हाईरिस्क व लोरिस्क इन दोनों गुटों से औसतन २७ मरीज जांच जा रहे है. किंतु इसमें सबसे कम औसत परभणी (६.१), कोल्हापुर (७.१) व नंदूरबार (७.३) इन तीन जिलों में है. एक वरिष्ठ आयएएस अधिकारी के मुताबिक इन दिनों ग्रामीण क्षेत्रों में कोरोना संक्रमित मरीजोें की मौतों का प्रमाण काफी अधिक बढ गया है. क्योंकि वहां पर संक्रमित होने के बाद पांचवे दिन मरीज अपनी स्वास्थ्य जांच करने हेतु दवाखाने में पहुंचता है और रिपोर्ट आने में कम से कम एक दिन का समय लग जाता है. इन ६ दिनों के दौरान संक्रमण खतरनाक व जानलेवा स्तर तक पहुंच जाता है और कई बार ऐसे मरीजों की मौत भी हो जाती है. इसके साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में बार-बार बताने के बाद भी लोगबाग मास्क का प्रयोग नहीं कर रहे और सोशल डिस्टंसिंग का पालन भी नहीं कर रहे. जिसकी वजह से ग्रामीण क्षेत्रों में संक्रमण की स्थिति लगातार गंभीर होती जा रही है.

हाईरिस्क गुट में कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग के आंकडे

अहमदनगर – ७.५, अकोला – ७.६, अमरावती – ७.२, औरंगाबाद – ९.३, बीड – २२.२, भंडारा – १०.६, बुलडाणा – ७.८, चंद्रपुर – ८.५, धुलिया – १०.५, गडचिरोली – १२.४, गोंदिया – ९.४, हिंगोली – १३.५, जलगांव – ५.०, जालना – ७.६, कोल्हापुर – ५.६, लातूर – ८.६, मुंबई – ९.९, नागपुर – २५.७, नांदेड – ७.४, नंदूरबार – ५.३, नासिक – १०.०, उस्मानाबाद – ६.१, पालघर – ७.५, परभणी – ५.८, पुणे – ५.८, रायगड – ६.७, रत्नागिरी – ८.२, सांगली – ७.३, सातारा – ६.१, सिंधुदूग – ८.४, सोलापुर – ५.९, ठाणे – ८.९, वर्धा – १०.७, वाशिम – ८.७, यवतमाल – ७.०

२.४६ लाख कर्मचारी, फिर भी बढ रहा संक्रमण

राज्य के सार्वजनिक स्वास्थ्य विभाग में वर्ग १ से गट-ड में काम करनेवाले ३९ हजार २०४ कर्मचारी, ६५ हजार २१९ आशावर्कर, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन में काम करनेवाले ३१ हजार १८ कर्मचारी, जिला परिषद के करीब ५० हजार स्वास्थ्य कर्मचारी, मुंबई मनपा के स्वास्थ्य विभाग में काम करनेवाले २० हजार कर्मचारी तथा समूचे राज्य के वैद्यकीय शिक्षा विभाग में काम करनेवाले ४१ हजार डॉक्टर व स्वास्थ्य कर्मचारी, ऐसे कुल २ लाख ४६ हजार ४४१ डॉक्टर, कर्मचारी, नर्स व वॉर्डबॉय का ताफा रहने के बावजूद भी राज्य में पर्याप्त अनुपात कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग नहीं हो पा रही.

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ग्रामीण क्षेत्रों में अब भी लोग इस बीमारी को लेकर जागरूक नहीं हो पाये है. जालना में एक सरपंच ने केवल इस वजह के चलते खुद के कोरोना संक्रमित होने की बात छिपायी कि, यदि लोगों को उसके कोरोना संक्रमित रहने की बात पता चल गयी, तो लोग उसे आगे चलकर वोट नहीं करेंगे. ऐसे में हम कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग को लगातार बढा रहे है. जिसकी वजह से यद्यपि मरीजों की संख्या बढती दिखाई दे रही है, लेकिन इनमें एसिम्टोमैटिक मरीजोें का अनुपात काफी अधिक है.

– राजेश टोपे स्वास्थ्य मंत्री, महाराष्ट्र राज्य

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