आम नागरिकों द्वारा पशु-पक्षियों के लिए अन्न व पेयजल की सुविधा
मवेशियों के लिए अनेक घरों में बनाई जाती है अधिक रोटियां

* घर के प्रांगण में रखते है पानी की टंकी
अमरावती/दि.18 – ग्रीष्मकाल की शुरुआत हो गई है. प्राणी और पक्षी, अनाज, चारा और पानी के लिए भटकते दिखाई दे रहे है.पशु-पक्षी और आवारा प्राणियों के लिए आम नागरिक भी सहायता करते है. घर के प्रांगण में छोटी सी पानी की टंकी भरकर रखी जा रही है. साथ ही अनेक घरों में दो रोटी ज्यादा कुत्ते, गाय, भैस, बकरी और भेड के लिए बनाकर उन्हें दी जाती है. पक्षियों के लिए भी जलपात्र भरकर उनके लिए गेहूं, चावल, बाजरा और ज्वारी का पात्र भी प्रांगण में रखा जा रहा है.
जीवदया यह अपनी संस्कृति रहने से अनेक लोग न भूलते हुए हर दिन पशु-पक्षियों के लिए अन्न की सुविधा कर रहे है. अब तक सामाजिक संस्था ऐसे कार्य करने के लिए आगे बढती थी. लेकिन अब आम नागरिक भी जागरुक हो गये है. वह भी अपना कर्तव्य समझकर पक्षियों को पानी और अनाज की सुविधा कर रहे है. अनेकों ने अपने प्रांगण में अन्नपात्र, जलपात्र रखा है. कुछ लोगों ने छोटी टंकी, तो कुछ लोगों ने बडी टंकी खरीदकर अपने घर के प्रांगण में बाहर रखी है. हर दिन वे पानी उसमें भरते है. उसे पीने के लिए बडी संख्या में मवेशी और पक्षी वहां आते है. त्यौहारों के अवसर पर गाय को नैवेद्य देने का रिवाज है. उसकी बजाय हर दिन कुछ न कुछ इन मूकप्राणियों को दिया, तो इसका समाधान मिलता है. उन्हें ही मनुष्य की तरह प्यास और भूख लगती है. यह एहसास होने के कारण ग्रीष्मकाल में चारा, पानी, काफी कम मिलने से संभव हो सके, उतना पशु-पक्षियों के अनाज और पानी की सुविधा की जाती है. ऐसी जानकारी अनेक नागरिकों ने दी है.
* आवारा मवेशी खाना न मिलने पर जाते है उकंडे पर
मवेशी आवारा रहे तो भी वे हमेशा अपने प्रांगण में आते है. उन्हें हर दिन देखने के बाद आत्मियता निर्माण होती है. कुत्ता, गाय, बकरी आदि प्राणी कुछ खाने मिला नहीं, तो उकंडे पर जो मिला वह खा लेते है. इस कारण उन्हें अच्छा खाना देने के लिए दो रोटी अनेक लोग ज्यादा बनाते है और उन्हें देते है.