रिक्शा संगठनों ने बाईक टैक्सी की अनुमति का किया विरोध

डेप्युटी सीएम शिंदे पर लगाया अन्याय करने का आरोप

पुणे/दि.3 – सरकार द्वारा बाईक टैक्सी अनुमति देना यानी कर्ज निकालकर बडी मेहनत के साथ रिक्शा व्यवसाय करते हुए अपना परिवार चलाने वाले गरीब रिक्शा चालकों के साथ साफ तौर पर अन्याय है, इस आशय का आरोप लगाते हुए रिक्शा संगठनों ने सरकार के निर्णय का विरोध करना शुरु किया है. साथ ही कहा है कि, अपने शुरुआती दौर में रिक्शा चलाने का काम करनेवाले डेप्युटी सीएम एकनाथ शिंदे ने गरीब रिक्शा चालकों के साथ यह फैसला लेते हुए धोखाधडी की है. रिक्शा संगठनों के मुताबिक बाईक टैक्सी यानी दुपहिया पर यात्री को बिठाकर ले जाने और इसके लिए पैसे लेने वाला काम है. जो इस समय भी गैरकानूनी तरीके से चल रहा है. जिसे अब सरकार द्वारा अधिकृत किया जा रहा है. इस व्यवसाय के बडी तेजी के साथ बढने की संभावना है. जिसके चलते रिक्शा व्यवसायियों की आय घटेगी. ऐसे में रिक्शा संगठनों द्वारा मांग उठाई गई है कि, जहां पर यात्री वाहनों का पर्याय उपलब्ध है, वहां पर बाईक टैक्सी को अनुमति न दी जाए.
रिक्शा पंचायत पुणे व पिंपरी चिंचवड तथा राज्य रिक्शा संगठन संयुक्त कृति समिति के महासचिव नितिन पवार के मुताबिक केवल पुणे व पिंपरी चिंचवड शहर में ही कई लाख रिक्शा व्यवसायी है. जिसमें से अधिकांश रिक्शा चालक युवा है और कई युवाओं ने पढाई-लिखाई करने के बावजूद नौकरी नहीं मिलने के चलते बडी हिम्मत करते हुए कर्ज निकालकर रिक्शा खरीदा और वे लोग मेहनत के ेसाथ व्यवसाय करते हुए अपना परिवार चला रहे है. लेकिन उन सभी लोगों के व्यवसाय पर राज्य सरकार के फैसले की वजह से अब खतरा मंडरा रहा है. इसके साथ ही दुपहिया वाहन पर यात्री लेकर जाना खतरनाक साबित हो सकता है और दुपहिया वाहन का इस तरह से व्यवसायिक प्रयोग करने हेतु कोई नियम व कानून नहीं है. साथ ही दुपहिया वाहन पर किराया कितना लिया जाए, इसका कोई मीटर भी नहीं है. ऐसे में दुपहिया वाहनों को टैक्सी के तौर पर अनुमति न दी जाए.

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