भाजपा भी तीन जिलाध्यक्ष नियुक्त करने की राह पर
क्या खोडके के कारण बीजेपी के आहिस्ते कदम !

* शहर अध्यक्ष मिलाकर तीन नामों की होगी घोषणा
* स्वराज्य संस्थाओं के चुनाव का दायित्व
अमरावती / दि. 3- गली से लेकर दिल्ली तक सत्तारूढ भारतीय जनता पार्टी के अमरावती शहर और ग्रामीण जिलाध्यक्ष पद को लेकर पार्टी जनों में उत्सुकता बनी हुई है. हर कोई अपने आकलन व अंदाज प्रस्तुत कर रहा है. अमरावती मंडल को मिली जानकारी के अनुसार आगामी 2 सप्ताह में नये अध्यक्षों की घोषणा हो सकती है. कार्यकर्ताओं की चाह है कि पार्टी की विशिष्ट पहचान कायम रखनेवाला अध्यक्ष बनना चाहिए. वहीं जिले के देहाती भागों से सर्वसमावेशक व्यक्ति का चयन पार्टी करने का प्रयत्न कर रही है. आनेवाले समय में निकाय चुनाव होने हैं. उस दृष्टि से समीकरण बनाकर दोनों अध्यक्ष के मनोनयन की संभावना सूत्रों ने व्यक्त की. अमरावती मंडल को खास सूत्रों ने बताया कि शिवसेना की तर्ज पर भाजपा भी तीन जिलाध्यक्ष नियुक्त करने जा रही है. सूत्रों ने विधानसभा को जोडकर बनाए गये तीनों समूह के नाम बताते हुए अध्यक्ष पद के दावेदारों का भी उल्लेख अमरावती मंडल से चर्चा करते हुए किया.
8 विधानसभा, 3 जिलाध्यक्ष
सूत्रों ने अमरावती मंडल को बताया कि बीजेपी ने विधानसभा चुनाव में मिली जोरदार सफलता के बाद नया प्लानिंग किया है. जिसके अनुसार 8 विधानसभा क्षेत्र को 3 जिलाध्यक्ष दिए जा रहे हैं. अमरावती और बडनेरा को मिलाकर एक जिलाध्यक्ष पद पर विचार हो रहा है. यह मौजूदा शहर जिलाध्यक्ष की ही पोस्ट है. वर्तमान अध्यक्ष तथा पूर्व राज्य मंत्री प्रवीण पोटे पाटिल का नाम चर्चा में है.
दूसरा जिलाध्यक्ष मेलघाट, अचलपुर और दर्यापुर विधानसभा क्षेत्र मिलाकर बनाया जा रहा है. पार्टी में यहां कि पोस्ट के लिए विधायक प्रवीण तायडे सहित गजानन कोल्हे, रमेश मावस्कर और एड. सांगोले के नाम चर्चा में बताए जा रहे हैं. तीसरा जिलाध्यक्ष मोर्शी धामणगांव- तिवसा विधानसभा का जिम्मा संभालेगा. यहां से अध्यक्ष पद के लिए नितिन गुडधे, विवेक गुल्हाने और दत्ता पाटिल के नाम चर्चा में रहने का दावा कर सूत्रों ने बताया कि पिछले सप्ताह प्रदेशाध्यक्ष एवं जिला पालकमंत्री चंद्रशेखर बावनकुले के साथ इस बारे में महत्वपूर्ण मंत्रणा जिला व शहर पदाधिकारियों की हो चुकी है.
संजय खोडके फैक्टर
इस बीच सूत्रों ने दावा किया कि भाजपा शहर जिलाध्यक्ष नियुक्त करने में फूंक -फूंक कर कदम रखने जा रही है. इसका बडा कारण राकांपा अजीत पवार गट के नेता संजय खोडके हैं. खोडके को उनकी पार्टी ने उच्च सदन का सदस्य बनाया है. बेशक राकांपा अजीत पवार ा की दृष्टि में पश्चिम विदर्भ में पार्टी का आधार बढाना है. खोडके अमरावती में सर्वमान्य नेता है. ऐसे में वे अन्य दलों से प्रमुख पदाधिकारी व कार्यकर्ताओं को राकांपा में प्रवेश के लिए आकर्षित कर सकते हैं. पार्टी संगठन मजबूत करने के लिए खोडके के एक्टीव हो जाने के भी दावे हो रहे हैं. जिससे बीजेपी सावधानी से कदम रख रही है. प्रवीण पोटे पाटिल का शहर जिलाध्यक्ष बना रहना ऐसी ही रणनीति के तहत अवश्यंभावी बताया जा रहा है. बीजेपी को कार्यकर्ताओं के साथ हर समय खडे रहनेवाले और कार्यकर्ता के मन में आदर रहनेवाले व्यक्ति की आवश्यकता है. इस कसौटी पर प्रवीण पोटे पाटिल खरे उतरने की बात भाजपाई कह रहे हैं.
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सफलता कायम रखने की चुनौती
जिले में राजनीति परिस्थितियां बदली है. भाजपा ने पिछले वर्ष पहली बार लोकसभा चुनाव में कमल निशानी का उम्मीदवार उतारा था. तत्कालीन सांसद नवनीत राणा ने बीजेपी में प्रवेश किया. लोकसभा में बीजेपी थोडे अंतर से हार गई. किंतु विधानसभा चुनाव में पार्टी ने अभूतपूर्व प्रदर्शन किया. पहली बार महायुति के 7 विधायक चुने गये. ऐसी सफलता बीजेपी आगे भी कायम रखने की जुगत में है. उसी प्रकार पार्टी को शीघ्र निकाय चुनाव का सामना करना है.
निकाय चुनाव भी ध्यान में
बीजेपी के शहर और जिलाध्यक्ष की 2 वर्ष पूर्व हुई नियुक्ति ने काफी कार्यकर्ताओं को अचरज में डाला था. जब पार्टी ने सांसद और विधायक को बागडोर सौंपी थी. बीजेपी को विधानसभा चुनाव में अपेक्षित सफलता भी मिली. इसलिए होनेवाले स्थानीय संस्था चुनाव महापालिका, जिला परिषद, नगर पंचायत, नगरपालिका, ग्राम पंचायत, पंचायत समिति आदि को ध्यान में रखकर पार्टी पदाधिकारियों का ऐलान होनेवाला है. बता दें कि प्रदेशाध्यक्ष बावनकुले ही अमरावती के पालकमंत्री है.