कोर्ट ने बेटे के रहते बेटी को नियुक्त किया बुजुर्ग मां का अभिभावक

बेटे ने भी हलफनामा दाखिल कर बहन के पक्ष में दी सहमति

मुंबई /दि.21- बॉम्बे हाई कोर्ट ने खुद की देखभाल करने में असमर्थ 78 वर्षीय भूलने की बीमारी से पीड़ित बुजुर्ग की बेटी को कानूनी रूप से अभिभावक नियुक्त किया है. भाई ने हलफनामा दाखिल करके इस फैसले को अपनी सहमति दी है. अदालत ने बेटी को मां की चल और अचल संपत्तियों की देखरेख की भी जिम्मेदारी सौंपी है.
न्यायमूर्ति गिरीश कुलकर्णी और न्यायमूर्ति अद्वैत सेथना ने ‘पैरेंस पैट्रिया (राष्ट्र के माता-पिता)’ के सिद्धांत के तहत सम्मान मामलों में हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के पिछले फैसलों पर भरोसा किया, जो संवैधानिक अदालतों को खुद की देखभाल करने में असमर्थ लोगों की रक्षा करने के लिए फैसले का अधिकार देता है. इस मामले में पिछले महीने पीठ ने पुणे के बायरमजी जीजीभॉय (बीजे) मेडिकल कॉलेज के डीन और ससून जनरल अस्पताल के विशेषज्ञों का एक मेडिकल बोर्ड नियुक्त करने का निर्देश दिया था, जिसने राजलक्ष्मी के घर जाकर मधुरा खानविलकर की जांच की और उसकी रिपोर्ट सौंपी है. इस रिपोर्ट में डिमेंशिया (मानसिक बीमारी) की बात कही गई है.

* बेटी ने दायर की थी याचिका
राजलक्ष्मी ने अपनी मां की संपत्ति की जिम्मेदारी लेने के लिए संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत असाधारण अधिकार क्षेत्र के लिए हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी. बेटे और उसके परिवार ने हलफनामा दायर करके कहा कि उन्हें कोई आपत्ति नहीं है. मेडिकल रिपोर्ट के आधार पर पीठ ने कहा कि पैरेंस पैट्रिया के सिद्धांत के अनुसार विकलांग व्यक्ति के हितों को ध्यान में रखना चाहिए.

 

Back to top button