महाराष्ट्र में तीसरी भाषा का खोजा जा रहा पर्याय
हिंदी की अनिवार्यता को सरकार ने लिया था पीछे

मुंबई/दि.10 – राज्य में कक्षा पहली से अनिवार्य तौर पर तीसरी भाषा के रुप में हिंदी पढाए जाने के निर्णय को पीछे लिए जाने के बाद शिक्षा विभाग ने अब तक संशोधित सरकारी निर्णय जारी नहीं किया है. बल्कि इस संदर्भ में शालेय शिक्षामंत्री दादा भुसे द्वारा स्पष्ट किया गया है कि, अन्य भारतीय भाषा उपलब्ध कराने तथा इस हेतु आवश्यक रहनेवाली सुविधाएं उपलब्ध कराने के संदर्भ में अध्ययन किया जा रहा है.
बता दें कि, राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुसार राज्य शैक्षणिक संशोधन व प्रशिक्षण परिषद द्वारा मूलभूत व शालेय स्तर हेतु राज्य पाठ्यक्रम प्रारुप तैयार किया गया था. जिसमें कक्षा पहली से तृतीय भाषा के तौर पर हिंदी को अनिवार्य किया गया था. परंतु इस निर्णय का राजनीतिक व शैक्षणिक क्षेत्र से तीव्र विरोध होने के चलते शालेय शिक्षामंत्री दादा भुसे ने अनिवार्य शब्द को स्थगिती देते हुए विगत 22 अप्रैल को हुई पत्रवार्ता में जल्द ही संशोधित निर्णय घोषित करने की बात कही थी. परंतु अब तक संशोधित सरकारी निर्णय घोषित नहीं हुआ है.