ख्यातनाम खगोलविद डॉ. जयंत नारलीकर का निधन

पुणे /दि.20- अंतरविद्यापीठीय खगोल शास्त्र व खगोल भौतिक शास्त्र केंद्र के संस्थापक संचालक एवं वैश्विक स्तर पर प्रसिद्ध खगोल शास्त्रज्ञ डॉ. जयंत नारलीकर का आज पुणे में अल्प बीमारी पश्चात निधन हो गया. वे 87 वर्ष की आयु के थे.
19 जुलाई 1938 को कोल्हापुर में जन्मे डॉ. जयंत नारलीकर ने काशी हिंदू विश्वविद्यालय से पदवी की शिक्षा पूर्ण की थी और फिर कैम्ब्रीज विद्यापीठ से उच्च शिक्षा हासिल की थी. जहां पर उन्होंने मैथेमॅटीकल ट्रायपॉस परीक्षा में ‘रैंगलर’ व ‘टायसन मेडलिस्ट’ जैसे प्रतिष्ठापूर्ण पदक भी प्राप्त किए थे. कैम्ब्रीज विद्यापीठ से उच्च शिक्षा हासिल कर भारत लौटने के बाद डॉ. जयंत नारलीकर ने टाटा फंडामेंटल रिसर्च संस्था में सन 1972 से 1989 के दौरान काम किया तथा सन 1988 में अंतरविद्यापीठीय खगोल शास्त्र व खगोल भौतिक शास्त्र केंद्र की स्थापना करते हुए इस संस्था में संस्थापक संचालक के तौर पर काम भी किया. डॉ. नारलीकर को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ब्रम्हांड विज्ञान यानि कॉस्मोलॉजिक के क्षेत्र में विशेष योगदान देने हेतु जाना जाता है. साथ ही वे बिग बैंग के सिद्धांत को पर्यायी दृष्टिकोन से देखने के लिए भी प्रसिद्ध थे. खगोल विज्ञान में संशोधन करने के साथ ही डॉ. नारलीकर ने विज्ञान जनजागृति के लिए भी काफी बडा योगदान दिया और उन्होंने इस विषय पर कई किताबे व लेख भी लिखे. साथ ही साथ उन्होंने रेडिओ व टीवी कार्यक्रमों में भी इस विषय की जानकारी देने हेतु हिस्सा लिया. इसके अलावा विज्ञान पर आधारित काल्पनिक साहित्य लेखन के क्षेत्र में भी डॉ. जयंती नारलीकर का अच्छा-खासा योगदान रहा. जानकारी के मुताबिक डॉ. जयंत नारलीकर की पत्नी डॉ. मंगला नारलीकर भी गणित के शास्त्र में पीएच.डी. पदवी प्राप्त थी. जिनका वर्ष 2023 में निधन हो गया है. वहीं उनकी तीन बेटियां गीता, गिरीजा व लीलावती भी विज्ञान संशोधन के क्षेत्र में कार्यरत है.