जिले के फौजी भी देशसेवा के लिए तत्पर
संदेश आते ही छुट्टी खत्म कर ड्यूटी पर हुए हाजिर

अमरावती /दि.21– देश में सुरक्षित वातावरण रहने पर सर्वसामान्य नागरिक बडी शांति के साथ अपने-अपने घरों पर नींद ले सकते है. वहीं देश में सुरक्षित वातावरण बनाए रखने हेतु हमारी सेना के जवाब पूरा समय देश की सीमाओं पर कडा पहरा देते है. साथ इस समय पैदा हुई युद्धजन्य परिस्थिति से दो-दो हाथ करने के लिए अमरावती जिले से वास्ता रखनेवाले सैकडों फौजी भी सीमा पर तैनात है. साथ ही साथ इस समय छुट्टी पर रहनेवाले कई जवान ने अपनी छुट्टी बीच में ही खत्म कर अपनी ड्यूटी जॉईन कर ली है.
बता दें कि, पहलगाम में आतंकियों द्वारा किए गए हमले में 26 पर्यटकों के मारे जाने के बाद पूरे देश में तीव्र रोष व संताप की लहर पैदा हुई थी. जिसके बाद भारत सरकार व भारतीय सेना ने ऑपरेशन सिंदूर चलाते हुए स्पष्ट संदेश दिया था कि, अब आतंकवाद को बिलकुल भी बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और यदि लक्ष्मण रेखा को पार किया गया तो विनाश अटल है. साथ ही इस समय भले ही युद्धविराम किया गया है, परंतु यह भी जता दिया गया है कि, भारत किसी भी समय युद्ध के लिए तैयार है और भारतीय सेना पूरी मुश्तैदी के साथ सीमा पर डटी हुई है. जिसके चलते छुट्टी पर रहनेवाले सभी जवानों को अपनी छुट्टी खत्म करते हुए ड्यूटी पर वापिस आने के लिए कहा गया है और छुट्टी पर रहनेवाले सभी जवानों ने भी देश सेवा को अपनी पहली प्राथमिकता देते हुए अपनी छुट्टियां बीच में ही खत्म कर दी है और वे अपनी ड्यूटी जॉईन करने के लिए रवाना हो गए है. जिनमें अमरावती जिले से वास्ता रखनेवाले सैनिकों का भी समावेश है.
* जिले के आठ सपूतो ने दिया था बलिदान
देश सेवा के लिए बॉर्डर पर तैनात जिले के सपूतो में से आठ वीर सपूतो ने अलग-अलग समय पर अपना सर्वोच्च बलिदान दिया है, ऐसी जानकारी जिला सैनिक कल्याण अधिकारी कार्यालय द्वारा दी गई है. साथ ही जिले में 2 हजार 390 सैनिकों की वीर पत्नीयां रहने की भी जानकारी है.
* जिले में 5835 पूर्व सैनिक
जिले में आज भी कई युवा भारतीय सेना में भर्ती होने हेतु तैयारी करते है. साथ ही भारतीय सेना सहित पैरा मिलिट्री, एअरफोर्स, इंडियन नेवी व सीआरपीएफ सहित विविध शाखाओं में अमरावती जिले के करीब एक से डेढ हजार सैनिक कार्यरत रहने का अनुमान है. वहीं देश सेवा कर चुके पूर्व सैनिकों की अमरावती जिले में संख्या 5 हजार 835 है.
* सैन्य बल में कार्यरत रहनेवाला प्रत्येक सैनिक देशसेवा को प्राधान्य देता है. जब युद्धजन्य परिस्थिति निर्माण होती है तब अपने सामने रहनेवाले दुश्मन को सबस सीखाने का विचार ही उसके दिमाग में रहता है. फिर चाहे उसके लिए सैनिक को अपनी जान ही क्यों न देनी पडे. एक सैनिक के लिए अपने घर व परिवार से ज्यादा जरुरी अपना देश और देश की सुरक्षा होते है.
– बी. एस. राय
अध्यक्ष, पूर्व सैनिक संगठन.