क्या दुबारा होने जा रहा है ‘ठाकरे ब्रदर्स’ का मिलन?

20 साल बाद उद्धव अब सबकुछ भुलाने को तैयार

* शिवसेना छोड़ते वक्त रोए थे राज ठाकरे
मुंबई /दि.22- करीब 20 साल पहले जब राज ठाकरे ने जब शिवसेना छोड़ी थी, तब कहते हैं कि उस वक्त पर उनकी आंखों में आंसू थे. राज ठाकरे ने इसके बाद महाराष्ट्र नव निर्माण सेना (मनसे) बनाई. पहले चुनाव में 13, फिर अगले चुनाव में उनकी पार्टी 1 पर सिमट गई. 2024 के चुनाव में शून्य पर आ गई. इस बीच महाराष्ट्र के सीएम की कुर्सी तक पहुंचे उद्धव ठाकरे भी अब सबसे बुरे दौर में हैं. इस सबके बीच महाराष्ट्र में सबसे बड़े सियासी खेला की अटकलें लगाई जा रही है. कहा जा रहा है कि साल 2025 के मुंबई बीएमसी चुनावों के साथ स्थानीय निकाय चुनावों में ‘ठाकरे ब्रदर्स’ एक साथ आ सकते हैं. महाराष्ट्र के लिए अपने मतभेद छोड़ने की बात कहने वाले राज ठाकरे से अब उद्धव ठाकरे के बेहद विश्वस्त सहयोगी ने रिश्ता जोड़ने की पहल की है. इसके बाद महाराष्ट्र में एक बार फिर चर्चा शुरू हो गई है कि क्या राज ठाकरे फिर मातोश्री की सीढ़ियां चढ़ने को तैयार हो गए हैं.
उद्धव ठाकरे की अगुवाई वाली शिवसेना यूबीटी प्रवक्ता और विधायक अनिल परब ने बड़ा बयान दिया है. परब ने कहा है कि उद्धव पिछले सब विवाद भूलने को तैयार हैं, लेकिन यूबीटी से मनसे के गठबंधन पर राज को फैसला लेना है. एड. परब ने कहा कि मराठी लोगों की इच्छा के अनुरूप दोनों ठाकरे एक साथ आ जाएंगे, इसके लिए हम सकारात्मक हैं. चर्चा के दरवाजे हमने कभी बंद नहीं किए. दोनों प्रमुख नेता मिलेंगे, चर्चा करेंगे और निर्णय लेंगे. परब का यह बयान ऐसे वक्त पर आया है जब राज्य में स्थानीय निकाय चुनावों की चर्चा शुरू हो गई है. शिंदे की अगुवाई वाली शिवसेना लगातार उद्धव गुट को कमजोर करने में जुटी हुई है.
* क्या वाकई मिलन चाहते हैं उद्धव?
राजनीतिक हलकों में चर्चा है कि राज ठाकरे की पार्टी महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना की मराठी वोटों में हिस्सेदारी का खामियाजा पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की शिवसेना कई बार भुगत चुकी है. मराठी वोटों के विभाजन की वजह से शिवसेना उद्धव बालासाहेब ठाकरे (यूबीटी) को खासकर विधानसभा चुनाव 2024 में बड़ा नुकसान उठाना पड़ा था. इससे सबक लेते हुए यूबीटी स्थानीय निकाय चुनावों से पहले मनसे के साथ वोटों का विभाजन रोकने के प्रयासों में जुट गई है. अनिल परब से पहले संजय राउत भी कई बार बयान दे चुके हैं हालांकि अनिल परब के बयान को बड़ा संकेत माना जा रहा है. राजनीतिक हलकों में चर्चा है कि दोनों ठाकरे ब्रदर्स अलग भले ही हैं, लेकिन उन दोनों के काफी कॉमन फ्रेंड्स अभी भी हैं. जो उन्हें नजदीक लाने में लगे हैं. उद्धव ठाकरे की पत्नी रश्मि ठाकरे की राज ठाकरे से बात होती रही है. यही वजह है कि काफी कम बोलने वाले परब के बयान ने अब महाराष्ट्र की सियायत का पारा चढ़ा दिया है. एक्सपर्ट का कहना है कि अगर दोनों भाई एकजुट नहीं भी होते हैं तो शिवसेना और मनसे गठबंधन कर सकते हैं.

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