स्वास्थ्य विभाग में 56 करोड के टेंडर में पाईं गईं बडी अनियमितताएं
सीडीएससीओ के नियमों का भी हुआ उल्लंघन

* विभाग के सचिव ने जांच के दिए आदेश
मुंबई/दि.6–प्रदेश के सार्वजनिक स्वास्थ्य विभाग में चिकित्सा उपकरणों की खरीद के लिए जारी टेंडर में कथित घोटाला सामने आया है. 56 करोड रुपए के टेंडर में बडी अनियमितताएं पाई गई हैं. टेंडर घोटाला केवल वित्तीय अनियमितताओं तक सीमित नहीं है, बल्कि सीडीएससीओ के नियमों का उल्लंघन कर मरीजों के स्वास्थ्य से भी खिलवाड हुआ है. टेंडर गडबडी का मामला सामने आते ही स्वास्थ्य विभाग विभाग के सचिव वीरेंद्र सिंह ने मामले की जांच के आदेश दे दिए हैं. मुख्य कार्यकारी अधिकारी (महाराष्ट्र चिकित्सा सामान खरीद प्राधिकरण) को जांच कर रिपोर्ट पेश करने को कहा गया है.
* एक ही निर्माता द्वारा अधिकृत दो कंपनियों का चयन
स्वास्थ्य विभाग के टेंडर में सेल काउंटर, माइक्रोस्कोप, लैब ऑटोक्लेव, हीमोग्लोबिन मीटर, हीमोग्लोबिन स्ट्रिप्स, लिथोटॉमी टेबल और लैंप जैसे आवश्यक चिकित्सा उपकरणों की खरीद का प्रस्ताव था. इस टेंडर में कुल 5 कंपनियों ने भाग लिया. इसमें से 2 कंपनियों का चयन किया गया. चिंताजनक बात यह है कि चयनित दोनों कंपनियां एक ही निर्माता द्वारा अधिकृत हैं. यह भारतीय प्रतिस्पर्धा अधिनियम 2002 की धारा 3 डी और निविदा नियम (हितों का टकराव) का सीधा उल्लंघन है. एक ही निर्माता से एक ही उत्पाद की आपूर्ति के लिए दो वितरकों को अधिकृत करने से मूल्य निर्धारण और तकनीकी मूल्यांकन प्रक्रिया में अनियमितताएं देखने को मिली हैं.
* आवश्यक दस्तावेज भी नहीं किए संलग्न
चयनित दोनों कंपनियों ने चार्टर्ड अकाउंटेंट द्वारा प्रस्तुत किए जाने वाले आवश्यक दस्तावेज जैसे कार्य अनुभव, ग्राहक प्रशंसापत्र और आधिकारिक निविदा दस्तावेज संलग्न नहीं किए. इसके अलावा, ऑटोक्लेव और माइक्रोस्कोप जैसे चिकित्सा उपकरणों के लिए केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) प्रमाण पत्र भी प्रस्तुत नहीं किया. जबकि यह प्रमाणपत्र पेश करना खरीद नीति के अनुसार जरूरी है. तकनीकी मूल्यांकन समिति ने इन अपर्याप्त दस्तावेजों के बावजूद निविदाकर्ताओं को योग्य मान लिया.
* सरकार को हुआ नुकसान
इस टेंडर की अनुमानित राशि 55,99,92,192 रुपए थी. टेंडर प्रक्रिया में शामिल अन्य कंपनियों ने आरोप लगाया है कि खरीद प्रक्रिया बाजार दर से करीब दो से ढाई गुना अधिक दर पर की गई.