जिले का ‘अंगोडा’ बैलजोडियां के गांव के नाम से प्रचलित
40 में से 20 घरों में बैलजोडियां

* किसान मित्र करते हैं बैलों का सम्मान
अमरावती/ दि. 6–ग्रामीण क्षेत्र में बैल को किसानों का सच्चा मित्र कहा जाता है. आज आधुनिक युग में ट्रैक्टर का इस्तेमाल खेती के लिए किया जा रहा है. फिर भी जिले के अंगोडा गांव की पहचान बैलजोडियों के गांव के नाम से की जाती है. इस गांव में 40 घरों में से 20 घरों में बैलजोडियां है. किसान इस गांव में बैलों का विशेष सम्मान करते हैं और उनका कृषि कामों के लिए इस्तेमाल करते हैं.
अंगोडा गांव में बैलजोडियों का जतन व देखभाल करने की परंपरा रही है. 200 जनसंख्या वाले इस गांव में 3 ट्रैक्टर रहने के बावजूद बैलों को गर्मियों के दिनों में विश्राम देने के लिए ही ट्रैक्टर का इस्तेमाल किया जाता है. सालभर बैलजोडियों से काम लिया जाता है और उनका विशेष ध्यान भी रखा जाता है. विशेषत: बैलों के खान पान का ध्यान रखा जाता है. गांव में जिन किसानों के पास बैलजोडी नहीं है. उन्हें खेती के कामों के लिए दिन निश्चित कर बैलजोडी दी जाती है.
अंगोडा गांव में बैलजोडियों का इस्तेमाल कृषि के अलावा यातायात के लिए भी किया जाता है. यहां एक बैलजोडी की कीमत 1 लाख रूपए से अधिक है. गांव की 20 बैलजोडियां प्रत्येक ग्रामवासियों के लिए महत्वपूर्ण हैं. जिसमें बैलजोडियों का विशेष ध्यान रखा जाता है. गांव से शहर नजदीक होेने की वजह से पशु चिकित्सक को गांव में ही बुलाकर बैलजोडियों के स्वास्थ्य की जांच की जाती है. अंगोडा ग्रामवासियों के लिए उनकी बैलजोडियां उनका गौरव हैं. जिसमें वे बैलजोडियों का विशेष सम्मान करते हैं.
अंगोडा में धूमधाम से मनाया जाता है बैलपोला
अंगोडा में श्रावण माह के अंत में बैल पोला मनाने की परंपरा हैं. इस दिन बैलजोडियों को नहला धुलाकर उनका श्रृंगार किया जाता है और ढोल ताशे के निनाद में गांव में शोभायात्रा निकाली जाती है. सुहागनें बैलो की आरती उतारकर उन्हें पूरणपोली का नैवैद्य लगाती है. युवा ढोल ताशे के गजर में नृत्य कर पोला पर्व को हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं.