पूरे तीन साल तक विलास इंगोले महापौर व दिगंबर डहाके थे उपमहापौर

मनपा के दूसरे सदन में महापौर व उपमहापौर पद का बढा था कार्यकाल

* पहले सदन की तरह दूसरे सदन में भी निर्दलियों का था जबरदस्त बोलबाला
* 78 की बजाए 73 सीटों के लिए एकल वॉर्ड पद्धति से हुआ था चुनाव
* सर्वाधिक 23 सीटे जीतकर भाजपा बनी थी सबसे बडी पार्टी, पहले दो साल हासिल की थी सत्ता
* कांग्रेस ने 13, शिवसेना ने 8, रिपाइं ने 3 व जनता दल ने 1 सीट जीती थी
* 25 सीटों पर जीत हासिल करनेवाले निर्दलिय तीसरे साल बने थे गेम चेंजर
* अंतिम तीन वर्षों के दौरान मनपा पर रहा निर्दलियों का कब्जा
* शहर की जनसंख्या थी 4.21 लाख, मतदाता थे 3.06 लाख, रोमांचक हुए थे चुनाव
अमरावती/दि.7 – वर्ष 1992 में हुए मनपा के पहले चुनाव के पश्चात मनपा के पहले सदन का कार्यकाल सफलतापूर्वक समाप्त होने के उपरांत फरवरी 1997 में अमरावती महानगर पालिका के दूसरे सदन हेतु आम चुनाव कराए गए थे. जहां मनपा के पहले चुनाव में कांग्रेस ने सबसे अधिक 27 सीटे जीती थी. वहीं वर्ष 1997 के चुनाव में बदले हुए राजनीतिक हालात के चलते कांग्रेस महज 13 सीटों पर सिमट गई. वहीं पहले चुनाव में मात्र 15 सीटे जीतनेवाली भाजपा ने दूसरे चुनाव में 23 सीटों को पर जीत हासिल कर खुद को मनपा के सदन में सबसे बडे राजनीतिक दल के तौर पर स्थापित किया था. लेकिन मजे की बात यह है कि, पहले सदन की तरह ही दूसरे सदन में भी निर्दलिय पार्षदों की संख्या सबसे अधिक थी. जहां पहले चुनाव में 78 सीटों में से 28 सीटे निर्दलिय पार्षदों द्वारा जीती गई थी. वहीं दूसरे चुनाव में कुल 73 सीटों में से सर्वाधिक 25 सीटे निर्दलिय पार्षदों ने जीती थी. जिसके चलते पहले सदन की तरह ही दूसरे सदन में भी निर्दलिय पार्षदों का ही बोलबाला रहा और पूरे पांच साल तक निर्दलिय पार्षद ही गेम चेंजर भी साबित हुए. जिसके चलते पहले दो वर्ष के दौरान तो भाजपा ने शिवसेना का समर्थन हासिल करते हुए महापौर पद व स्थायी समिति पद अपने पास रखा तथा शिवसेना को उपमहापौर पद दिया. लेकिन तीसरे वर्ष के आते ही निर्दलियों ने बडा उलटफेर करते हुए तीनों प्रमुख पदों को अपने कब्जे में ले लिया था. खास बात यह थी कि, तीसरे साल निर्दलिय पार्षद विलास इंगोले महापौर व शिवसेना के दिगंबर डहाके उपमहापौर निर्वाचित हुए थे. जिनके निर्वाचन पश्चात इन दोनों पदों का कार्यकाल ढाई-ढाई वर्ष का कर दिया गया था. जिसके चलते दोनों ही पार्षद इन दोनों पदों पर पूरे तीन साल तक बने रहे. वहीं इस चुनाव में शिवसेना ने 8, रिपाइं ने 3 व जनता दल ने 1 सीट पर जीत हासिल की थी.
बता दें कि, जहां वर्ष 1992 में हुए मनपा के पहले आम चुनाव हेतु शहर में 78 वॉर्ड तय किए गए थे, वहीं सन् 1997 के चुनाव हेतु वॉर्डों का नए सिरे से परिसीमन करते हुए पांच वार्ड घटाए गए थे और 73 वॉर्ड तय किए गए थे. मनपा के पहले चुनाव के तरह दूसरा चुनाव भी एकल वॉर्ड पद्धति से कराया गया था. सन् 1997 में अमरावती मनपा की कुल जनसंख्या 4 लाख 21 हजार 576 हुआ करती थी. जिसमें से मतदाताओं की संख्या 3 लाख 6 हजार 816 थी और पहले चुनाव की तरह ही मनपा के दूसरे चुनाव को लेकर भी अमरावती शहरवासियों में जबरदस्त उत्साह था. साथ ही साथ अमरावती मनपा का दूसरा चुनाव बेहद रोमांचक भी साबित हुआ था.
ज्ञात रहे कि, जिस समय वर्ष 1997 में महानगर पालिका के दूसरे सदन हेतु एकल वॉर्ड पद्धति से चुनाव कराए गए थे, तब राज्य में भाजपा-सेना युति की सरकार थी और अमरावती के भाजपा विधायक जगदीश गुप्ता उस समय राज्यमंत्री रहने के साथ ही जिला पालकमंत्री भी हुआ करते थे. जिसके चलते अमरावती शहर में भाजपा के लिए स्थितियां काफी अनुकूल थी. ऐसे में भाजपा ने मनपा चुनाव में कांग्रेस को पछाडते हुए 73 में से 23 सीटों पर जीत हासिल की थी. साथ ही 8 सीटे जीतनेवाली शिवसेना के पार्षदों सहित कुछ निर्दलिय पार्षदों का भी समर्थन हासिल करते हुए मनपा में अपनी सत्ता स्थापित की थी. जिसके चलते दूसरे सदन के पहले वर्ष में भाजपा के प्रवीण काशीकर व दूसरे वर्ष में भाजपा के नितिन वानखडे महापौर बने थे. वहीं इन दो वर्षों के दौरान उपमहापौर पद शिवसेना के राजेंद्र तायडे व प्रमोद पांडे को मिला था. जबकि स्थायी समिति सभापति पद पर भाजपा के राजेंद्र राठी व विलास रोंघे निर्वाचित हुए थे.
* तीसरे वर्ष में विलास इंगोले व दिगंबर डहाके की लगी थी मेगा लॉटरी
खास बात यह है कि, वर्ष 1992 से लेकर वर्ष 1996 तक महापौर व उपमहापौर पदों के लिए प्रति वर्ष चुनाव कराया जाता था और सभी महापौर व उपमहापौर को एक-एक वर्ष का कार्यकाल मिला करता था. परंतु सन 1998 का दौर आते-आते राज्य सरकार के नगर विकास विभाग में महापौर व उपमहापौर पद का कार्यकाल ढाई-ढाई वर्ष करने का निर्णय लिया था. इस समय तक अमरावती मनपा के दूसरे सदन में तीसरे महापौर के तौर पर निर्दलिय पार्षद विलास इंगोले व उपमहापौर पद पर शिवसेना के दिगंबर डहाके निर्वाचित हो चुके थे. जिन्हें मनपा के शेष कार्यकाल यानि पूरे तीन वर्ष तक महापौर व उपमहापौर पद पर रहने का मौका मिला था. जिसके चलते इन दोनों पार्षदों की मेगा व बंपर लॉटरी लगी थी.
* तीसरे वर्ष में निर्दलियों ने एकजुट होकर किया था उलटफेर
मनपा के दूसरे सदन में सबसे बडी पार्टी रहनेवाली भाजपा ने पहले दो वर्ष के दौरान तो शिवसेना व कुछ निर्दलिय पार्षदों का साथ लेकर मनपा में अपनी सत्ता स्थापित की थी. परंतु तीसरा वर्ष आते-आते निर्दलिय पार्षदों ने एकजुट होकर अपनी ताकत दिखाने का निर्णय लिया था. चूंकि अधिकांश निर्दलिय पार्षदों का वास्ता इससे पहले कांग्रेस के साथ था. ऐसे में कांग्रेस ने भी भाजपा को सत्ता से दूर रखने के लिए निर्दलियों की रणनीति व एकजुटता का साथ दिया था. जिसके चलते तीसरे वर्ष महापौर पद पर निर्दलिय पार्षद विलास इंगोले तथा स्थायी समिति सभापति पद पर निर्दलिय पार्षद अब्दुल गफ्फार रारानी निर्वाचित हुए थे. इसके पश्चात जहां चौथे व पांचवें वर्ष में भी महापौर पद पर विलास इंगोले बने रहे. वहीं स्थायी समिति सभापति पद पर निर्दलिय पार्षद हरिश जगमलानी व चरणजीतसिंह धामी निर्वाचित हुए थे. ऐसे में दूसरे सदन में जहां पहले दो साल भाजपा की सत्ता रही, वहीं अगले तीन साल निर्दलियों का बोलबाला था.


* गुप्ता हारे थे चुनाव, डॉ. देशमुख का दौर हुआ था शुरु
विशेष उल्लेखनीय है कि, सन 1997 में जब महानगर पालिका का दूसरा आमचुनाव हुआ था तब अमरावती से भाजपा के जगदीश गुप्ता विधायक रहने के साथ ही राज्यमंत्री व पालकमंत्री भी थे और राज्य में भाजपा-सेना युति की सरकार थी. इस बात का सीधा फायदा मनपा चुनाव में भाजपा को मिला था और पहले दो साल मनपा की सत्ता भाजपा के पास थी. परंतु वर्ष 1999 का दौर आते-आते राजनीतिक स्थितियां एक बार फिर बदल गई. जिसके तहत जहां एक ओर मनपा में सर्वाधिक सदस्य संख्या रहनेवाले सभी निर्दलिय एकजुट हो गए और उन्हें कांग्रेस सहित रिपाइं व जनता दल के पार्षदों का भी पूरा साथ व समर्थन मिला. जिसकी बदौलत निर्दलिय पार्षद रहनेवाले विलास इंगोले मनपा में महापौर निर्वाचित हुए. वहीं दूसरी ओर वर्ष 1999 में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा के जगदीश गुप्ता को हार का सामना करना पडा था तथा कांग्रेस के डॉ. सुनील देशमुख विधायक निर्वाचित हुए थे. साथ ही साथ राज्य में कांग्रेस-राकांपा आघाडी वाली सरकार भी बनी थी. जिसके चलते अमरावती शहर में कांग्रेस की स्थिति अच्छी-खासी मजबूत हो गई थी और कई निर्दलिय पार्षद अप्रत्यक्ष रुप से कांग्रेस के पाले में आ गए थे.
* ऐसे लगी थी इंगोले व डहाके की ‘बंपर लॉटरी’
सन् 1992 से 1998 तक महापौर व उपमहापौर का कार्यकाल एक-एक वर्ष का ही रहा. जिसके चलते सन 1992 से 1998 तक अमरावती शहर को 6-6 महापौर व उपमहापौर मिले. वहीं सन् 1999 में सातवें महापौर के तौर पर निर्दलिय पार्षद विलास इंगोले एवं उपमहापौर के तौर पर शिवसेना से दिगंबर डहाके निर्वाचित हुए थे. जिनका कार्यकाल खत्म होने से पहले ही तत्कालिन कांग्रेस-राकांपा आघाडी वाली सरकार ने महापौर व उपमहापौर पदों का कार्यकाल ढाई-ढाई वर्ष का करने से संबंधित निर्णय को मंजूरी दी थी. साथ ही मौजूदा महापौरों व उपमहापौरों के जारी कार्यकाल को समयावृद्धि देने का निर्णय लिया गया था. जिसके चलते महज एक वर्ष के लिए निर्वाचित हुए महापौर विलास इंगोले व उपमहापौर दिगंबर डहाके की एकतरह से मेगा व बंपर लॉटरी लग गई थी और वे दूसरे सदन के शेष कार्यकाल यानि पूरे तीन साल तक महापौर व उपमहापौर पद पर बने रहे. यह किसी भी पार्षद के महापौर व उपमहापौर पद पर निर्वाचित रहने की सबसे अधिक कालावधि रही. वहीं इसके उपरांत पांच वर्षीय कार्यकाल हेतु चुने गए मनपा के सदन में सभी महापौर व उपमहापौर का कार्यकाल ढाई-ढाई वर्ष का ही रहा.

* अमरावती मनपा में दूसरे सदन के महापौर
प्रवीण काशीकर (भाजपा), नितिन वानखडे (भाजपा), विलास इंगोले (निर्दलिय-तीन साल महापौर रहे),

अमरावती मनपा में दूसरे सदन के उपमहापौर
राजेंद्र तायडे (शिवसेना), प्रमोद पांडे (शिवसेना), दिगंबर डहाके (शिवसेना-तीन साल उपमहापौर रहे)

अमरावती मनपा में दूसरे सदन के स्थायी समिति सभापति
राजेंद्र राठी (भाजपा), विलास रोंघे (भाजपा), अ. गफ्फार रारानी (निर्दलिय), हरिश जगमलानी (निर्दलिय), चरणजीत सिंह धामी (निर्दलिय)

* अमरावती मनपा के दूसरे सदन में कांग्रेस के निर्वाचित पार्षद
पार्षद वॉर्ड का नाम व क्रमांक
अशोक डोंगरे वडाली-5
विश्वास अंबडकर बारीपुरा-10
विक्रमजीत सिंह नंदा कृषिदेव-16
नुराबी पठान छायानगर-20
किरण उर्फ महजमीन अहमद गंभीरपुरा-21
सुनंदा भुगल महावीर नगर-37
वसंत साऊरकर भक्ति मंदिर-42
बबन रडके मालीपुरा-43
असरार अहमद कुरैशी पठानपुरा-46
मो. अब्दुल्ला शकूर रतनगंज-48
मदनलाल सोनी जवाहर गेट-65
शमसुन्नीसा शेख अमीर इंद्रभुवन-66
अश्विनी झोड रुक्मिणी नगर-71

* अमरावती मनपा के दूसरे सदन में भाजपा के निर्वाचित पार्षद
पार्षद वॉर्ड का नाम व क्रमांक
शालिनी महल्ले नवसारी-1
सुलभा गोंगे रहाटगांव-3
सत्यफुला काले यशोदा नगर-7
संध्या टिकले दस्तुर नगर-8
चंदुमल बिल्दानी शिक्षक कॉलोनी-14
पार्वता झोंबाडे महाजनपुरा-18
चंद्रकांत बोमरे संत गाडगेबाबा-25
सुलोचना लवणकर बिच्छुटेकडी-30
शारदा भेरडे कंवर नगर-35
कुसूम साहू छत्रसाल गंज-50
रमेश गुप्ता मोरबाग-51
प्रवीण काशीकर विलास नगर-52
शिवनदास पुरसानी रामपुरी कैम्प-53
रमेश देशमुख खापर्डे बगीचा-55
अनिल कडू रामनगर-57
भास्कर मानमोडे अंबिका नगर-58
राजेंद्र राठी शारदा नगर-61
जगदीश गवली भाजीबाजार-64
लिला कोल्हटकर जोग चौक-67
नितिन वानखडे अंबापेठ-69
विलास रोंघे मुधोलकर पेठ-68
सुनील मेहरे विवेकानंद कॉलोनी-72
चंद्रकांत चौधरी बेलपुरा-73

* अमरावती मनपा के दूसरे सदन में शिवसेना के निर्वाचित पार्षद
पार्षद वॉर्ड का नाम व क्रमांक
भास्कर काटोले वडरपुरा-6
अनिल उमेकर राधानगर-26
दिगंबर डहाके रिजर्व लाइन-28
प्रमोद पांडे किरण नगर-34
राजेंद्र तायडे शंकर नगर-36
रामकृष्ण सोलंके बडनेरा रोड-39
शारदा पेंदाम राजापेठ-60
शोभा देशमुख गौरक्षण-62

* अमरावती मनपा के दूसरे सदन में रिपाइं के निर्वाचित पार्षद
पार्षद वॉर्ड का नाम व क्रमांक
गंगाराम बागडे शेगांव-2
प्रकाश बनसोड माताफैल-12
रियाज अहमद झिरी-15

* अमरावती मनपा के दूसरे सदन में निर्वाचित निर्दलिय पार्षद
पार्षद वॉर्ड का नाम व क्रमांक
संजीवनी दीक्षित विद्यापीठ-4
अयुबखां मुस्तफा खां राहुल नगर-9
अनंत काले तेलीपुरा-11
इशरतबानो मन्नान खां जयस्तंभ-13
चरणजीतसिंह धामी साईनगर-17
अ. गफ्फार अ. करीम रहमत नगर-19
नंदा रामेकर लक्ष्मीनगर-22
मदन पीडियार नया कॉटन मार्केट-23
हरिश जगमलानी कृष्णानगर-24
सीमा जामोदकर शिवाजी नगर-27
हारुण अब्दुल रशीद चपरासीपुरा-29
भोजा रायलीवाले फ्रेजरपुरा-32
साहेबराव मेश्राम अडाणेश्वर मंदिर-33
कैलाश कैथवास गोपाल नगर-38
मंगला वर्‍हाडे कृष्णार्पण कॉलोनी-40
मीना डेंडूले आनंद नगर-41
अमिना खातून मो. हनिफ हैदरपुरा-44
मुश्ताक अहमद अ. रहेमान नागपुरी गेट-45
तलत शिरीन खान मेहदिया कॉलोनी-47
कलीम बेग युसूफ बेग गवलीपुरा-49
सुनील पडोले श्रीकृष्णपेठ-54
धनंजय भागवत मालटेकडी-56
प्रभाकर चवरे दरोगा प्लॉट-59
विलास इंगोले पटवीपुरा-63
भानुदास भुजाडे गांधी नगर-70

* अमरावती मनपा के दूसरे सदन में जनता दल के निर्वाचित पार्षद
पार्षद वॉर्ड का नाम व क्रमांक
अशोक इंगले संजीवनी कॉलोनी-31

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