अमरावती के धावकों ने दक्षिण आफ्रिका में देश का नाम किया रोशन
90 किमी. कॉम्रेड मैराथन स्पर्धा में 10 धावकों ने लिया भाग

* दुनिया भर में रोशन किया शहर का नाम
अमरावती/दि.10– करीब 10 बार 90 किमी की कठिन मैराथन पूरी करने वाले सेवानिवृत्त विक्रीकर उपायुक्त दिलीप पाटिल लगातार चौथी बार दक्षिण आफ्रिका में आयोजित कॉमे्रड मैराथन में शामिल हुए. वे अब चौथे भारतीय बने है. जिन्हें ग्रीन नंबर का सम्मान प्राप्त हुआ है. केवल यही नहीं, कॉमे्रड मैराथन जिसे अल्टीमेट ह्युमन रेस कहा जाता है, दुनिया की सबसे पुरानी और सबसे चुनौतीपुर्ण मैराथन है. इसे पहली बार 1921 में दक्षिण आफ्रिका में प्रथम विश्व युध्द में शहीद हुए सैनिकों की स्मृति में आयोजित किया गया था. इस साल 98 वीें कॉमे्रड मैराथन कॉमे्रड्स मैराथन एसोसिएशन (सीएमए) द्वारा रविवार को पीटर्मारिट्जबर्ग दक्षिण अफ्रिका में आयोजित की गई थी. इसमें भारत के विशेष कर अमरावती के 10 धावकों ने सफलता अर्जित कर देश का तिरंगा फहराया है.
इस मैराथन में 121 देशों से 24 हजार धावकों ने सहभाग लिया था. यह डर्बन में समाप्त हुई. यह मैराथन दो बैचों में शुरू की गई थी. सुबह 5.45 बजे और 6 बजे, भारतीय समय अनुसार सुबह 9.15 और 9.30 बजे प्रारंभ हुई. भारत से 403 धावकों ने इसमें भाग लिया, जिनमें 42 महिलाएं और 361 पुरूष थें. अमरावती से 11 धावकों ने इस प्रतियोगिता में हिस्सा लिया था, जिनमें ये 10 धावकों ने मैराथन को समय सीमा के अंदर सफलतापुर्वक पूरा किया. अमरावती मैराथन के मुख्य कोच दिलीप पाटिल ने कॉमे्रड मैराथन में 10वीं बार हिस्सा लिया और 11 घंटे 27 मिनट में मैराथन को पूरा किया पुलिस कर्मचारी राजेश कोचे ने 9 घंटे 45 मिनट और पुलिस निरीक्षक सतीश उमरे ने11 घंटे 44 मिनट में मैराथन दौड पूरी की. दोनों को बैंक टू बैंक पदक प्रााप्त हुए. इसमें पहली बार शामिल हुए फिजियोथेरेपिस्ट डॉ. सागर धनोडकर नें 11 घंटे 21 मिनट में मैराथन पुरी की, जबकि कृषि अधिकारी संजय पाटिल ने 11घंटे 30 मिनट में मैराथन पूरा किया. इसी प्रकार अन्य धावकों ने भी शानदार प्रदर्शन किया. 12 घंटे की कॉमे्रड मैराथन एक गन टाइम (समय की शुरूआत) में धावक निर्धारित समय से पहले कट और प्वाइंट पार नहीं करते तो उन्हें बाहर कर दिया जाता है. इस मैराथन में 43 स्थानों पर पानी, एनर्जी जेल, संतरे, केले, बटाटे, कोक आदि की व्यवस्था की गई थी. आसपास के लोग भी इस मैराथन के दौरान उत्साह बढाने के लिए धावकों के साथ खडे थे और उनकी की हौसला अफजाई कर रहे थे. ‘जयहिंद, जिंदाबाद, कम ऑन इंडिया, चक दे इंडिया, नमस्ते इंडिया’ जैसे नारे लागाकर भारतीय धावकों का उत्साह बढा रहे थे. दिलीप पाटिल ने जनवरी से इस मैराथन के लिए तैयारी शुरू की थी और 5 महीने के कठिन प्रशिक्षण के बाद यह सभी धावक सफलता प्राप्त कर सके है.
कॉमेे्रड मैराथन क्या है?
कॉमे्रड मैराथन एक 90 किलोमीटर की अल्ट्रा मैराथन है, जो दक्षिण आफ्रिका के क्वाजुलु-नताल प्रांत में डर्बन ओर पीटर्मारिट्जबर्ग के बीच आयोजित होती है. यह दुनिया की सबसे बडी ओर सबसे पुरानी अल्ट्रा मैराथन है. इस मैराथन की दिशा हर साल बदलती रहती है एक साल डर्बन से पीटर्मारिट्जबर्ग तक और अगले साल इसके उलटा होता है. जो धावक 10 बार इस मैराथन को पूरा करते है. उन्हें ग्रीन नंबर दिया जाता है.
कौन होते हैं पात्र
इस मैराथन में भाग लेने के लिए 42.2 किमी की मैराथन को 4 घंटे 50 मिनट के अंदर पुरा करना जरूरी होता है. इसके अलावा ेकॉमे्रड मैराथन को सफलतापुर्वक पूरा करने के लिए शारीरिक क्षमता के साथ -साथ मानसिक और इच्छाशक्ति की भी आवश्यकता होती है.





