इस बार मनपा में कांग्रेस रहेगी ‘सिंगल लार्जेस्ट पार्टी’

शहराध्यक्ष बबलू शेखावत व पूर्व महापौर विलास इंगोले का दावा

* दैनिक अमरावती मंडल के साथ की विशेष बातचीत
* शहर में कांग्रेस के वोटबैंक व जनाधार को बताया मजबूत
* भाजपा व प्रशासक राज पर लगाया शहर के बंटाढार का आरोप
* खुद को शहरवासियों की सेवा के लिए कृतसंकल्प बताया
* कांग्रेस की सत्ता आते ही मूलभूत सुविधाओं पर ध्यान देने की बात कही
अमरावती /दि.14– विगत साढे आठ वर्षों के दौरान पहले पांच वर्ष मनपा में भाजपा की सत्ता रही और विगत साढे तीन वर्षों से मनपा में प्रशासक राज चल रहा है, यानि एकतरह से राज्य के सत्ता में रहनेवाली भाजपा की मर्जी चल रही है. इन साढे आठ वर्षों के दौरान अमरावती शहर में साफसफाई, सडक, बिजली व पानी जैसी मूलभूत सुविधाओं का बंटाढार हो चुका है. जिससे अमरावती शहर की जनता बुरी तरह त्रस्त हो गई है. जबकि इससे पहले कांग्रेस मनपा की सत्ता में लगातार 15 वर्ष थी और उस दौरान शहर में मूलभूत सुविधाएं पूरी तरह से चुस्त-दुरुस्त थी. जिसके चलते अब अमरावती की जनता एक बार फिर अमरावती मनपा में कांग्रेस का राज चाहती है. जिसे देखते हुए कहा जा सकता है कि, इस बार के मनपा चुनाव पश्चात अमरावती मनपा में कांग्रेस सबसे बडी पार्टी के तौर पर उभरेगी और मनपा में एक बार फिर कांग्रेस सहित समविचारी दलों की सत्ता रहेगी, इस आशय का दावा कांग्रेस के शहराध्यक्ष बबलू शेखावत तथा पूर्व महापौर विलास इंगोले द्वारा किया गया.
शहर कांग्रेस के इन दोनों पदाधिकारियों ने आज दैनिक अमरावती मंडल के साथ विशेष तौर पर बातचीत की, तथा इस विशेष साक्षात्कार के दौरान पूछे गए सभी सवालों का खुले दिल से जवाब भी दिया. अमरावती मनपा के चुनाव में कांग्रेस के ‘सिंगल लार्जेस्ट पार्टी’ रहने का दावा करते हुए कांग्रेस शहराध्यक्ष बबलू शेखावत ने कहा कि, अमरावती शहर में आज भी कांग्रेस का अच्छा-खासा वोटबैंक व जनाधार है. विधानसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी डॉ. सुनील देशमुख को लगभग 55 हजार वोट मिले थे. साथ ही साथ लोकसभा चुनाव के समय अमरावती शहर में कांग्रेस प्रत्याशी ने लगभग 40 हजार वोटों की लीड हासिल की थी. इस बात की अनदेखी नहीं की जा सकती है. यद्यपि विधानसभा चुनाव में कुछ तत्कालीक कारणों के चलते कांग्रेस प्रत्याशी को थोडे से वोटों के अंतर से हार का सामना करना पडा था. लेकिन अब स्थितियां बदल गई है और उस समय भावनाओं में बहकर अपने वोट किसी अन्य प्रत्याशी को देनेवाले मतदाताओं को भी असलियत समझ में आ गई है. जिसके चलते वे सभी मतदाता एक बार फिर कांग्रेस के पक्ष में एकजुट होते दिखाई दे रहे है. जिसका सीधा फायदा मनपा के आगामी चुनाव में कांग्रेस को निश्चित तौर पर मिलेगा.
इसके साथ ही पूर्व महापौर विलास इंगोले ने कहा कि, प्रशासक राज जारी रहने के दौरान कांग्रेस के सभी पूर्व पार्षद व पदाधिकारी शहर के प्रति अपनी जिम्मेदारी को समझते हुए आज भी पहले की तरह सक्रिय है और प्रत्येक प्रभाग में कांग्रेस के कार्यकर्ताओं द्वारा जनता की समस्याओं व मूलभूत सुविधाओं की ओर पूरा ध्यान दिया जा रहा है. यही वजह है कि, आज भी कांग्रेस के सभी पूर्व पार्षदों व पदाधिकारियों के यहां आम नागरिकों की अच्छी-खासी भीड रहती है और कांग्रेस पार्टी द्वारा जनता की उम्मीदों पर खरा उतरते हुए जनसमस्याओं को लेकर विभिन्न मुद्दों के संदर्भ में जनआंदोलन किए जाते है. जिसके तहत कांग्रेस द्वारा अब तक टैक्स वृद्धि, साफसफाई तथा पानी व विद्युत आपूर्ति के मुद्दों को लेकर कई बार आंदोलन किए गए और जब प्रशासन द्वारा इन आंदोलनों की दखल नहीं ली गई, तो सांसद बलवंत वानखडे के साथ विभिन्न प्रशासनिक महकमों के अधिकारियों की मीटिंग भी आयोजित की गई.

* बहुसदस्यीय प्रभाग प्रणाली का हमें मिलेगा फायदा
इस समय मनपा चुनाव चार सदस्यीय प्रभाग पद्धति से होने के संदर्भ में पूछे गए सवाल पर कांग्रेस के दोनों वरिष्ठ पदाधिकारियों का कहना रहा कि, यद्यपि बहुसदस्यीय प्रभाग पद्धति में निर्वाचन क्षेत्र का दायरा काफी अधिक बढ जाता है. जिसके चलते चुनाव प्रचार सहित पार्षद के तौर पर कामकाज करने में थोडीबहुत दिक्कत आती है. लेकिन चूंकि शहर में कांग्रेस का संगठनात्मक ढांचा बेहद मजबूत है. ऐसे में बहुसदस्यीय प्रभाग पद्धति का मनपा चुनाव में कांग्रेस को निश्चित तौर पर फायदा होगा. इस समय दोनों पदाधिकारियों ने यह भी स्पष्ट किया कि, जिन विभागों में शिवसेना उबाठा व शरद पवार गुट वाली राकांपा की स्थिति मजबूत रहेगी, वहां मविआ के इन दोनों सहयोगी घटक दलों के प्रत्याशियों को साथ लेकर चुनाव लडा जाएगा. वहीं जिन-जिन प्रभागों में कांग्रेस की स्थिति मजबूत है, वहां कांग्रेस द्वारा स्वतंत्र रुप से अपने प्रत्याशी खडे किए जाएंगे.

* 50 फीसद नए चेहरों को मौका, चुनावी मुद्दों की कमी नहीं
इस साक्षात्कार के दौरान कांग्रेस शहराध्यक्ष बबलू शेखावत ने कहा कि, मनपा का चुनाव जिले के सांसद बलवंत वानखडे व पूर्व नेत्री यशोमति ठाकुर के मार्गदर्शन तथा उनके (शेखावत) व पूर्व महापौर विलास इंगोले के नेतृत्व में लडा जाएगा. साथ ही इस बार 50 फीसद नए चेहरों को सभी की सहमति से मौका दिया जाएगा. वहीं इस समय पूर्व महापौर विलास इंगोले ने कहा कि, कांग्रेस के पास इस बार चुनावी मुद्दों की कोई कमी नहीं है. विगत साढे आठ वर्षों के दौरान भाजपा और प्रशासक राज ने अमरावती शहर की जिस तरह से दुरावस्था की है, वहीं अपने-आप में सबसे बडा चुनावी मुद्दा है. साथ ही साथ शहर में व्याप्त समस्याओं के अंबार से आम जनता त्रस्त हो चुकी है, यह बात कांग्रेस पार्टी के लिए पूरी तरह से अनुकूल है.

* ‘गोल्डन गैंग’ से हमारा कोई वास्ता नहीं
इस साक्षात्कार में जब वर्ष 2012 से 2017 के दौरान चर्चित रहनेवाले शब्द ‘गोल्डन गैंग’ का उल्लेख हुआ, तो बबलू शेखावत व विलास इंगोले ने एक साथ टपाक से कहा कि, उन दोनों का उस ‘गोल्डन गैंग’ से दूर-दूर तक कोई वास्ता नहीं था और उस समय मनपा में हुए कथित भ्रष्टाचार से भी उनका कोई लेना-देना नहीं रहा. लेकिन चूंकि उन दोनों की अमरावती शहर में अच्छी-खासी लोकप्रियता रही. जिसे देखते हुए उनके कुछ विरोधियों द्वारा उन्हें बदनाम करने हेतु जानबुझकर उनका नाम ‘गोल्डन गैंग’ के साथ जोडा गया.

* किसी के यहां शादी में जाने का यह मतलब तो नहीं कि हम पार्टी बदल रहे
विगत लंबे समय से यह चर्चा काफी जोरों पर थी कि, कांग्रेस शहराध्यक्ष बबलू शेखावत एवं पूर्व महापौर विलास इंगोले द्वारा कांग्रेस छोडने तथा भाजपा या शिंदे गुट वाली शिवसेना में प्रवेश करने का मन बना लिया गया है. इस विषय के बारे में पूछे जाने पर बबलू शेखावत ने साफ तौर पर कहा कि, उन्होंने कभी भी कांग्रेस छोडने या किसी अन्य पार्टी में जाने के बारे में सोचा ही नहीं. शेखावत के मुताबिक बीते दिनों वे किसी अन्य पार्टी के एक पदाधिकारी के यहां आयोजित विवाह समारोह में आपसी परिचय व संबंध रहने की वजह से चले गए थे. जिसका आधार बनाकर उनके बारे में बेसिर-पैर की खबरे उडा दी गई. जिनमें कोई तथ्य नहीं था. वहीं इस सवाल के जवाब में पूर्व महापौर विलास इंगोले का कहना रहा कि, विधानसभा चुनाव के बाद वे कुछ हद तक विचलित जरुर हुए थे. क्योंकि विधान परिषद में कांग्रेस प्रत्याशी धीरज लिंगाडे व लोकसभा में कांग्रेस प्रत्याशी बलवंत वानखडे की जीत वाली एकजुटता उन्हें विधानसभा के चुनाव में दिखाई नहीं दी थी. जिसकी वजह से विधानसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी की हार हुई थी. लेकिन उस समय कांग्रेस शहराध्यक्ष बबलू शेखावत ने उनकी विचलित मानसिकता को संभाला. जिसके चलते उन्होंने भी अपनी खिन्नता को दूर कर कांग्रेस में ही रहने का निर्णय लिया.

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