अचार की कैरी 40 रूपए से 70 रूपए किलो

आम का अचार बनानें के लिए महिलाओं की बाजार में भीड

अमरावती/ दि. 18– रोज भोजन में स्वाद बढाने के लिए कैरी के अचार को विशेष पसंद किया जाता है. भोजन के समय मुंह लगाने के लिए अचार का उपयोग किया जाता है. उसी प्रकार जून माह में बनाया गया आम का अचार सालभर टिकता है. मसाले, तेल, मिर्ची, खटाई जायकेदार तथा मसाला व गुड डालकर खट्टा मीठा अचार गृहिणी बनाकर रखती है. एक किलो से पांच किलो तक बाहर से हरे तथा अंदर से सफेद रहनेवाले आम खरीद कर बाद में वे साफ धोए जाते है. उसके बाद जिसे जिस आकार की फोडिया पसंद हो वैसे आम 20 से 25 रूपए देकर अचार के लिए फोडे जाते हैं. विगत वर्ष की तुलना मेें इस बार कैरी का भाव 40 रूपए से बढ गया है. फिर भी अचार के आम खरीदने के लिए महिलाओं की भीड हो रही है.
आम की फोडियों बडे बर्तन में डालकर उस पर बहुत सारा नमक डाल दिया जाता है. उसके बाद हल्दी डालकर उसे अच्छी तरह मिलाया जाता है. जिसके कारण आम की फोडियों में पानी छूटता है तथा उसमें का नमक और हल्दी घुलती है. 5 दिनों तक यह फोडिया वैसी ही रखी जाती है. उसके बाद आम की फोडी के वजन के अनुसार तेल गरम करके इस तेल में हिंग, जीरे सहित राई से छोक दिया जाता है. विविध ब्रॅण्ड का अचार का मसाले का उपयोग किया जाता है. चीनी मिट्टी अथवा कांच की बर्नी में यह अचार रखा जाता है. वह सालभर चले इसलिए उसमें तेल व नमक का उपयोग अधिक किया जाता है.
इस साल कैरी, तेल और मसाले के भाव अधिक बढ जाने से घरेलू अचार बनाने में दुगना खर्च आ रहा है. इसलिए भी गृहिणी अचार तैयार कर रखती है. इस बार कैरी के भाव में वृध्दि हो गई है. विगत वर्ष 40 रूपए किलो मिलनेवाली कैरी को इस साल 70 रूपए किलो के लिए गिनना पडता है. उसी प्रकार तेल और मसाले की कीमत के भाव अधिक बढ जाने से इस बार घरेलू अचार बनाने के लिए दुगना खर्च आ रहा है.

* बीपी और शुगर के मरीज अचार का उपयोग कम करें
टिकाउपन और स्वाद बढाने के लिए अचार में तेल, नमक, मसाले का उपयोग यह अधिक प्रमाण में किया जाता है. जिसके कारण हाई ब्ल्डप्रेशर हो, हदय का रोग तथा डायबिटिज आदि बीमारी हो वे अचार का कम उपयोग करें. ऐसी सलाह आहार विशेषज्ञों ने दी है.

* आदिवासी क्षेत्र की कैरी अचार के लिए अधिक उपयोगी
अचार के लिए आदिवासी क्षेत्र से आनेवाली गावरानी कैरियों को महिला पहले पसंद करती है. इन कैरियों का अचार सालभर टिकता है. ये कैरी पेड पर चढकर तोडकर तुरंत बाजार में बिकने के लिए लायी जाती है. वह ताजी रहती है.
वैशाली आसलकर, गृहिणी गुरूकृपा विहार

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