आईएएस स्वप्निल वानखडे बने दतिया के जिलाधिकारी

जबलपुर में मनपा आयुक्त के तौर पर किया था शानदार काम

* मूलत: अमरावती निवासी है आईएएस स्वप्निल वानखडे
* पहली बार मिली है जिलाधीश के तौर पर नियुक्ति
अमरावती/दि.19– मूलत: अमरावती निवासी रहनेवाले आईएएस अधिकारी स्वप्निल वानखडे की हाल ही में मध्य प्रदेश के दतिया जिले के जिलाधिकारी व जिला दंडाधिकारी के तौर पर नियुक्ति हुई है. इससे पहले वे सतना में अपर जिलाधीश के तौर पर कार्यरत थे और जिलाधीश के तौर पर स्वप्निल वानखडे की यह पहली नियुक्ति है. खास बात यह भी है कि, जबलपुर महानगर पालिका आयुक्त के तौर पर नियुक्ति रहते समय आईएएस अधिकारी स्वप्निल वानखडे ने कबाड हो चुकी बसों को चेंजींग रुम में तब्दील करते हुए बेहद शानदार काम किया था. इसके लिए उनकी सर्वत्र सराहना भी हुई थी.
बता दें कि, स्थानीय अर्जून नगर परिसर निवासी रहनेवाले स्वप्निल गोपालराव वानखडे ने सॉफ्टवेयर इंजीनियर की नौकरी छोडकर यूपीएससी की तैयारी शुरु की थी और उन्होंने अपने दूसरे प्रयास में यूपीएससी की परीक्षा उत्तीर्ण की थी. सन 2016 की बैच के आईएएस अधिकारी रहनेवाले स्वप्निल वानखडे को मध्य प्रदेश कैडर प्राप्त हुआ था और उन्होंने जबलपुर महानगर पालिका में आयुक्त रहते समय बेहद शानदार काम किया था. इसके लिए मध्य प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने आईएएस अधिकारी स्वप्निल वानखडे को सम्मानित भी किया था.

* अपनी दूरदृष्टि से बदल दिया जबलपुर का चेहरा
जबलपुर शहर में कई पुरानी बसें कबाड पडी हुई थी. जिनका मनपा आयुक्त के तौर पर स्वप्निल वानखडे ने अलग-अलग तरीकों से उपयोग करने हेतु कुछ अलग ढंग से विचार करना शुरु किया, ताकि उसका उपयोग प्रत्येक घटक के व्यक्ति को हो. चूंकि नर्मदा नदी के घाट पर निर्माण कार्य करना संभव नहीं है. जिसके चलते नदी घाट पर महिलाओं के लिए चेंजींग रुम की समस्या थी. इस बात को ध्यान में रखते हुए कबाड बसों को नर्मदा नदी के घाट पर लाकर रखा गया और उनमें कुछ आवश्यक सुधार करते हुए उन्हें चेंजींग रुम में तब्दील किया गया. इसके अलावा बाहरगांव से आनेवाले सर्वसामान्य पर्यटकों के निवास के लिए भी पुरानी बसों में आवश्यक बदलाव कर उन्हे रैन बसेरा बनाया गया. वहीं एक बस पुलिस चौकी के लिए भी उपलब्ध कराई गई.

* अमरावती से रिश्ता कायम
मूलत: अमरावती निवासी स्वप्निल वानखडे ने स्थानीय जवाहर नवोदय विद्यालय में कक्षा 6 वीं से 12 वीं की पढाई पूरी की थी. जिसके बाद उन्होंने बीड से अभियांत्रिकी की पदवी प्राप्त कर सॉफ्टवेयर इंजीनियर के तौर पर काम करना शुरु किया था. पश्चात अपनी नौकरी छोडकर वे यूपीएससी की तैयारी में जुट गए और दूसरे प्रयास में यूपीएससी उत्तीर्ण कर आईएएस अधिकारी बने. स्वप्निल वानखडे के माता-पिता व भाई आज भी अमरावती में ही रहते है. खास बात यह है कि, मिशन आईएएस द्वारा अमरावती में प्रति वर्ष आयोजित होनेवाले स्पर्धा परीक्षा शिबिरों व कार्यशालाओं में अब तक कई बार आईएएस अधिकारी रहनेवाले स्वप्निल वानखडे ने भी हाजिरी लगाई है और वे यूपीएससी सहित स्पर्धा परीक्षाओं की तैयारी करनेवाले विद्यार्थियों का मार्गदर्शन भी करते है.

* अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हो चुकी प्रशंसा
विशेष उल्लेखनीय है कि, इंग्लैंड की राजधानी लंदन में हुई 9 चुनिंदा देशों के मनपा आयुक्तों की कार्यशाला में आईएएस अधिकारी स्वप्निल वानखडे द्वारा जबलपुर में कबाड बसों को लेकर किए गए प्रयोग कि, जमकर प्रशंसा हुई थी और वानखडे के इस प्रयोग को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सराहा गया था.

Back to top button