अमरावती जीएमसी पर लटक रही कार्रवाई की तलवार
एनएमसी की सुनवाई पर लगा सभी का ध्यान

* नियामक मानकों के उल्लंघन का आरोप
अमरावती/दि.19 – विगत शैक्षणिक सत्र में शुरु हुए अमरावती के सरकारी मेडीकल कॉलेज पर राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग (एनएमसी) द्वारा कार्रवाई किए जाने की तलवार लटक रही है. अमरावती जीएमसी में उपलब्ध मूलभूत सुविधा व शिक्षकों के रिक्त पडे पदों पर आपत्ति उठाते हुए एनएमसी ने नियामक मानकों का उल्लंघन होने का आक्षेप दर्ज किया है. साथ ही कल 18 जून को ही दिल्ली में इसे लेकर सुनवाई भी पूरी हुई. इस सुनवाई के बाद अब एनएमसी द्वारा क्या कदम उठाए जाते है, इसकी ओर सभी का ध्यान लगा हुआ है.
बता दें कि, राज्य के सभी मेडीकल कॉलेजों में उपलब्ध मूलभूत सुविधाओं की हाल ही में महाराष्ट्र आयुर्विज्ञान विद्यापीठ के पथकों द्वारा जांच-पडताल की गई थी. इन पथकों द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट के मुताबिक सरकारी मेडीकल कॉलेज में मूलभूत सुविधाओं को लेकर बडे पैमाने पर कमी दिखाई दी. साथ ही तय मानक के तुलना में 50 फीसद से भी कम शिक्षक उपलब्ध रहने की जानकारी सामने आई थी. जिसके चलते आयोग ने मेंटेनन्स ऑफ स्टैंडर्ड मेडीकल एज्युकेशन रेग्युलेशन 2023 के अनुच्छेद-3 की धारा 8 का प्रयोग कर राज्य के लगभग 30 मेडीकल कॉलेजों को कारण बताओ नोटिस जारी की थी. जिसमें अमरावती के सरकारी मेडीकल कॉलेज का भी समावेश है. इस नोटिस पर अमरावती जीएमसी द्वारा दिया गया जवाब समाधानकारक नहीं रहने के चलते कल 18 जून को ही इसे लेकर दिल्ली में सुनवाई पूरी हुई. ऐसे में अब एनएमसी द्वारा इस मामले को लेकर क्या निर्णय लिया जाता है, इसकी ओर वैद्यकीय क्षेत्र की निगाहें लगी हुई है.
* एमबीबीएस की सीटों पर भी प्रश्नचिन्ह
नीट परीक्षा का परिणाम घोषित हो जाने के चलते अब जल्द ही प्रवेश प्रक्रिया भी शुरु हो जाएगी. परंतु एनएमसी द्वारा त्रुटियों के संदर्भ में उपस्थित किए गए गंभीर प्रश्नों के चलते शैक्षणिक वर्ष 2025-26 के लिए एमबीबीएस की सीटों के वार्षिक नूतनीकरण पर भी सवालिया निशान लगता दिखाई दे रहा है.
* त्रुटी दूर करने हेतु कोई प्रयास नहीं
एनएमसी का मूल्यांकन सरकारी मेडीकल कॉलेज द्वारा प्रस्तुत किए गए स्व-प्रमाणित घोषणापत्र, आधार सक्षम, बायोमैट्रीक प्रणाली में प्राध्यापकों की उपस्थिति तथा क्लिनिकल मापदंड व मूलभूत सुविधा पर आधारित था. जिसमें कई त्रुटियां पाई गई है. जिसे लेकर एनएमसी की रिपोर्ट में कहा गया है कि, इन त्रुटियों को दूर करने हेतु जीएमसी द्वारा कोई प्रयास भी नहीं किए गए.
* एनएमसी ने 18 जून को सुनवाई हेतु दिल्ली बुलाया था. जहां पर वैद्यकीय शिक्षा विभाग द्वारा अपना पक्ष रखा गया था. फिलहाल शिक्षक भर्ती प्रक्रिया को गति दी गई है.
– डॉ. किशोर इंगोले
अधिष्ठाता, अमरावती जीएमसी.
* राज्य के 30 मेडिकल कॉलेज को नोटिस
बता दें कि, राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग (एनएमसी) वैद्यकीय महाविद्यालयों में सीटों के वार्षिक नवीनीकरण के लिए जांच की है. इसमें राज्य के 30 मेडिकल कॉलजों ने मानक की पूर्तता नहीं करने की बात सामने आयी है. इसमें नए से मंजूरी मिले 10 कॉलेजों सहित मुंबई महापालिका और पुणे के सैनिक दल के वैद्यकीय कॉलेजों का समावेश है. इस संबंध में महाविद्यालयों को भेजे गए कारण बताओ नोटिस को संतोषजनक जवाब नहीं मिलने से एनएमसी ने सीधे वैद्यकीय शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव और डीएमईआर के संचालकों को उपस्थित रहने के आदेश दिए है.
एनएमसी के पदवीपूर्व वैद्यकीय शिक्षा मंडल (यूजीएमईबी) 2025-26 इस शैक्षणिक वर्ष के लिए वैद्यकीय अभ्यासक्रमों की सीटों का वार्षिक नूतनीकरण करने की प्रक्रिया चला रहा है. इस मूल्यांकन प्रक्रिया में वैद्यकीय महाविद्यालयों ने पेश किया स्व-घोषणापत्र, आधार सक्षम बायोमीट्रिक उपस्थिति प्रणाली के प्राध्यापकों की हाजिरी का डेटा, वैद्यकीय मापदंड और बुनियादी सुविधाओं की जांच की गई. मूल्यांकन के बाद राज्य के 30 वैद्यकीय महाविद्यालयों में प्राध्यापकों की कम संख्या, वैद्यकीय सेवा-सुविधाए और बुनियादी सुविधाओं का अभाव दिखाई दिया. जिसके कारण वैद्यकीय महाविद्यालयों को नोटिस दिया गया. हालांकि, इन महाविद्यालयों ने संतोषजनक जवाब नहीं देने की जानकारी है.





