पालकमंत्री बावनकुले ने बढाया सहायता का हाथ

2 वर्षीय बच्चेें को 3.50 लाख का श्रवणयंत्र करवाया उपलब्ध

अमरावती/ दि.20– एकांश नामक 2 वर्षीय बच्चें का कान में लगानेवाला साउंड प्रोसेसर (श्रवण यंत्र) बस स्थानक पर अनजाने में खों गया था. जिसके चलते बच्चे को सुनने में दिक्कते आ रही थी. घर की आर्थिक स्थिती बेहद खराब होने के कारण नया यंत्र खरिदना परिवार को संभव नहीं था. इस कठिन परिस्थिती में जिले के पालकमंत्री तथा राज्य के राजस्व मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले ने उस बच्चे की ओर सहायता का हाथ बढाते हुए उसे 3.50 लाख का श्रवण यंत्र उपलब्ध करवाया.
एकांश को जन्म से ही सुनने की समस्या थी. इस कारण डॉ. पंजाबराव देशमुख मेडिकल कॉलेज में उसकी मुफ्त कॉक्लियर इम्प्लांट सर्जरी की गई थी. पिछले दो महिनों से उसकी भाषा और वाणी विकास के लिए स्पीच थेरपी दी जा रही थी. इसके लिए साउंड प्रोसेसर अनिवार्य होता है. जिसे उसके माता- पिता ने बडी मुश्किल से खरिदा था. शहर में इलाज के लिए आए एकांश के माता- पिता जब बस स्थानक पर उतरे तब इस दौरान वह यंत्र बच्चे के कान से गिरकर खो गया.
एकांश के पिता स्वप्निल खडसे ने आर्थिक तंगी के चलते नया प्रोसेसर खरिदने में असमर्थता जताई. साथ ही संदर्भ में जिलाधीकारी से सहयोग की अपेक्षा की थी. उन्होनें यह भी अनुरोध किया की यदि संभव हो तो जिला नियोजन निधी से सहायता दी जाए क्योंकि साउंड प्रोसेसर के बिना बच्चे का विकास रूक जाएगा. पिछले 6 महिनों से बच्चा न सुन पा रहा था, न बोल पा रहा था. घर की स्थिती भी ऐसी नहीं थी की नया यंत्र खरिदा जा सकें.
पालकमंत्री बावनकुले को जब यह बात पता चली तो उन्होंने तुरंत मुख्यमंत्री सहायता निधी कोष में पत्र लिखकर एकांश के लिए सहायता की विनंती की. हालाकी यह मशीन किसी भी सरकारी योजना के दायरे में नहीं आती. इसलिए इसे विशेष मामला मानकर प्रस्ताव जिला परिषद को भेजा गया. जिला परिषद और पालकमंत्री कार्यालय के लगातार प्रयासों के चलते एकांश को अब नया श्रवण यंत्र मिला है. अब यह दो वर्षिय बच्चा फिर से सुन और बोल सकता है. यह सहायता न केवल एक मासूम के जीवन को दिशा देनेवाली है. बल्की प्रशासन ेकी संवेदनशिलता का भी उदाहरण साबित हुई है.

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