पति को सबक सिखाने एफआईआर रामबाण उपाय
अपराध के जाल में फंसाने की देखी जा रही प्रवृत्ति

* 7 लोगों को हाईकोर्ट ने दी राहत
अमरावती / दि.20– दहेज प्रताडना के मामले में एफआईआर रद्द करने के लिए पति और उसके परिवार के 7 सदस्यों ने हाईकोर्ट की शरण ली. इस पर सुनवाई के बाद न्यायाधीश अनिल किल्लारे और न्यायाधीश प्रवीण पाटिल ने पति को तो राहत देने से इनकार कर दिया किंतु परिवार के अन्य 7 सदस्यों के खिलाफ जिला न्यायालय में चल रहा मामला ही रद्द कर दिया. कोर्ट ने आदेश में स्पष्ट कहा कि आजकल वैवाहिक कलह से उत्पन्न कार्रवाई में पत्नी द्बारा पति और उसके परिवार के सदस्यों को अपराध के जाल में फंसाने की प्रवृत्ति देखी जाती है. ऐसे मामले में पुलिस से शिकायत को पति के परिवार के सदस्यों को सबक सिखाने का एकमात्र उपाय माना जाता है. ऐसे में केवल व्यक्तिगत दुश्मनी निपटाने के लिए पत्नी ठोस सबूतों के बिना सामान्य और व्यापक आरोप लगाती है. परिणामस्वरूप पति के परिवार के सदस्यों को आपराधिक मुकदमे की पीडा का सामना करना पडता है. जबकि उनके खिलाफ कोई प्रथमदृष्ट्या मामला नहीं बनता है.
अभियोजन पक्ष के अनुसार पत्नी ने 30 अगस्त 2023 की अपनी पुलिस रिपोर्ट में आरोप लगाया है कि 2 जून 2014 को उसकी शादी के बाद परिवार के कहने पर पति द्बारा उसे यह कहकर अपमानित किया गया कि वह एक भिखारी की बेटी है और कोई भी उसे पसंद नहीं करता है. साथ ही शादी में कम दहेज देने के लिए उसके साथ दुर्व्यहार किया गया. इस आरोप के आधार पर याचिकाकर्ताओं के खिलाफ अपराध दर्ज किया गया. इस दलील का विरोध करते हुए याचिकाकर्ताओं की पैरवी कर रहे वकील ने कहा कि दोनोें में वैवाहिक कलह है. तलाक की याचिका बुलढाणा के मेहकर जिला न्यायालय में लंबित है. वर्ष 2022 में पत्नी बिना किसी सूचना के घर से चली गयी. हालांकि याचिकाकर्ताओं ने पुलिस की सहायता से प्रयास कर उसे खोज निकाला. इसलिए उनके खिलाफ लगाए गए सभी आरोप झूठे है.
याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि उनके खिलाफ दर्ज की गई पुलिस शिकायत के पत्नी का निजी हिसाब चुकता करने के इरादे से है. इस कारण आपराधिक मामला खारिज करने का अनुरोध कोर्ट से किया. पुलिस ने कहा कि जांच के दोरान बयान दर्ज किए गए. जांच के मुताबिक सभी याचिकाकर्ता कथीत अपराध में शामिल पाए गए है. दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद कोर्ट ने आदेश में कहा कि पति और पत्नी के बीच 29 जून 2022 से विवाद चल रहा है. साथ ही पूरी एफआयआर और उसके बयान में उसकी मुख्य शिकायत पति के खिलाफ है. उसने विशेष रूप से कहा है कि उसका पति उसके चरित्र पर संदेह करता था. और इसी वजह से उसे बेरहमी से पीटा गया था. अभीलेखों से यह स्पष्ट है कि वैवाहिक कलह के कारण तलाक की कार्यवाही लंबित है. ऐसे में पति के खिलाफ लगाए गए आरोपों पर विश्वास करने का एक कारण है. इस स्तर पर इसे अस्वीकार नहीं किया जा सकता है.





