बढिया व्यक्ति, उतने ही बेहतरीन मित्र हैं भूषण
सीजेआई भूषण गवई के परम मित्र रूपचंद खंडेलवाल बतलाते हैं विनम्र, उदार स्वभाव की विशेषताएं

अमरावती/ दि. 24- देश के प्रधान न्यायाधीश जैसे बडे संवैधानिक पद तक पहुंचे अमरावती की माटी के सपूत न्या. भूषण गवई के परम मित्र एवं शहर के प्रसिध्द उद्यमी रूपचंद खंडेलवाल ने कल 25 जून को अंबानगरी की धरा पर सीजेआई भूषण गवई के प्रथम नागरी अभिनंदन पर अपार प्रसन्नता और गौरव व्यक्त किया है. अमरावती मंडल से बातचीत में खंडेलवाल ने न्या. गवई के साथ अपनी 5 दशकों की गाढी मैत्री और अनेकानेक रोचक घटनाओं, किस्सों से उदार और उतने ही बेहतरीन मित्र न्या. गवई के बारे में बतलाया है. रूपचंद खंडेलवाल ने कहा कि फ्रेजरपुरा की पालिका स्कूल से लेकर आगे एलएलबी की डिग्री प्राप्त करने तक उनका और भूषण गवई का साथ रहा.
रूपचंद खंडेलवाल न्या. भूषण गवई के बारे में पूछते ही मधुर स्मृतियों को तुरंत कहते चले गये. वे अनवरत कहते रहे और भूषण गवई से जुडे किस्से कोताह से उनकी स्वभाव, रूचि और विभिन्न पहलुओं को चित्रित करते चले गये. उन्होंने बताया कि भूषण के साथ उन्होंने फ्रेजरपुरा के मराठी शाला में कक्षा चौथी तक शिक्षा ग्रहण की. उस समय भूषण के पिता रामकृष्ण उर्फ दादासाहब गवई का महाराष्ट्र की राजनीति में सिक्का चलता था. भूषण गवई अगली शिक्षा के लिए मुंबई चले गये. वहां विधि की स्नातक उपाधि ग्रहण कर प्रैक्टीस के लिए अमरावती लौटे. खंडेलवाल ने बताया कि दोनों मित्र छुट्टियों में सुबह से लेकर रात तक साथ- साथ रहते. सबेरे का नाश्ता शर्मा जी के ठेले पर होता तो रात का खाना भी अधिकाशत: साथ ही होता. आज भी यह क्रम अनवरत रहने की बात उन्होंने सगर्व बतलाई.
बाइक की राइड बेहद पसंद
रूपचंद खंडेलवाल बताते है कि न्या. गवई कालांतर में सरकारी वकील, उपरांत हाईकोर्ट के जज बने. 6 वर्ष पूर्व सर्वोच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति बन गये. किंतु मैत्री की बात करें तो वे आज भी वैैसे ही है मिलनसार और उदार. बाइक राइड कर अमरावती का सैर सपाटा उन्हें बहुत अच्छा लगता है. अमरावती के प्रसिध्द उद्यमी खंडेलवाल सहर्ष बताते हैं कि अमरावती के अनेक भागों का हम दोनों मित्रों ने मोटर साइकिल से दौरा कर चुके हैं. आज भी न्या. गवई को वह सब बातें भली भांति याद है.
शपथ ग्रहण का किस्सा
रूपचंद खंडेलवाल ने गत 14 मई को न्या. गवई के प्रधान न्यायाधीश के रूप में शपथ ग्रहण समारोह के समय का वाकया भी शेयर किया. उन्होंने बताया कि अपने मित्र के आग्रह पर वे दिल्ली राष्ट्रपति भवन गये थे. ठीक समय पर महामहिम ने न्या. गवई को शपथ दिलाई. समारोह संक्षिप्त किंतु भव्य रहा. आखिर भारतवर्ष के प्रधान न्यायाधीश का पदग्रहण था. सभी संवैधानिक पदों पर विराजमान देश की अग्रणी हस्तियां उपस्थित रही. गवई परिवार की मखिया कमलताई गवई और हम सभी थे. खंडेलवाल बताते हैं कि शपथ ग्रहण के बाद वे राष्ट्रपति भवन से निकले और अन्यत्र जा रहे थे तभी न्या गवई की ओर से फोन कॉल आयी. खंडेलवाल से सर्वोच्च न्यायालय के सीजेआई के कक्ष में आने का अनुरोध किया गया. खंडेलवाल और उनके साथ के लोग जब वहां पहुंचे तब देखा कि न्या. गवई पदसूत्र संभाल रहे हैं. ऐसे क्षण पर अपने परम मित्र की उपस्थिति न्या गवई जैसा व्यक्तित्व ही स्मरण में रख सकता है.
उदारता के अनेकानेक किस्से
रूपचंद खंडेलवाल ने बताया कि भूषण गवई न केवल शारीरिक यष्टि से उंचे पूरे हैं.् अपितु उनका हृदय भी विशाल है. उनके एक सहयोगी उत्तराखंड की यात्रा में सख्त बीमार पड गये. उन्होंने न्या. गवई को सूचित किया. गवई ने उत्तराखंड के सचिव को फोन कर उस सहयोगी का पूर्ण उपचार करवाया. बार- बार फोन कॉल कर उन्होेंने अपडेट भी लाी. उसी प्रकार जब अमरावती लौटे तो दो बार उस सहयोगी को देखने मिलने उनके घर गये बगैर किसी लाव लश्कर के .
अपने मित्र की उदारता के कई वाकये रूपचंद खंडेलवाल को सहज ज्ञात है. उन्होंने बताया कि उच्चत्तम न्यायालय के न्यायाधीश बनने के बाद और उसके पहले भी वे अपने सुरक्षा गार्ड, वाहन चालक और अन्य स्टाफ का पूरा ध्यान रखते हैं. कहीं दौरे पर जाते हैं तो मेजबान से पहले अपने स्टाफ के रहने और भोजनादि के प्रबंध के बारे में सुनिश्चित करते हैं. यहां तक की मैन्यु को लेकर क्रॉसमैच भी करते हैं. जो भोजन, अल्पोपहार उन्हें दिया गया है. क्या वहीं स्टाफ को दिया गया ?
खंडेलवाल ने बताया कि एक बार भूषण गवई के चपरासी की माताजी सख्त बीमार पड गई. तब गवई दिल्ली में थे. अत: खंडेलवाल को फोन कर चपरासी के बारे में जानकारी दी और उनकी यथोचित आर्थिक मदद करने कहा. इतना ही नहीं जब अमरावती लौटे तो दो बार जाकर चपरासी और उनकी माताजी की तबियत के बारे में जानकारी ली. उसी प्रकार माकोडे का किस्सा अब सभी को पता है. उनके बारे में समय- समय अपडेट लेेने का स्मरण गवई ने सदैव रखा और निभाया.
* विनम्रता बडी विशेषता
भूषण गवई पद और प्रतिष्ठा प्राप्त करने के उपरांत भी अपनी विनम्रता की विशेषता कायम रखे हुए हैं. यह बात कहते हुए खंडेलवाल ने बताया कि स्वयं बडे कठोर अनुशासन में रहनेवाले गवई अपने विनम्र व्यवहार से सामनेवाले को पल भर में जीत लेते हैं. अपने पास पडोस में रहनेवालों के साथ उनका बर्ताव सचमुच अपनत्व और आचरण योग्य है. इसी बात को आगे बढाते हुए रूपचंद खंडेलवाल ने बताया कि पिता की तरह राजनीति में रहते तब भी भूषण बडे सफल होते. उनकी विशेषताएं संगठन को सुदृढ करने और उनका विजन संगठन को आगे ले जाने एवं सफल करने के लिए बडा उपयोगी रहता. खंडेलवाल ने बताया कि न्यायाधीश बनने से पहले अपने पिता दादासाहब गवई के कुछ चुनाव प्रचार का संचालन भूषण गवई ने प्रभावी रूप से किया. लोकसभा चुनाव के समय भूषण गवई के कारण दादासाहब को काफी सफलता मिली.
फैसलों में झलकती है दिलेरी की झलक
अपने बालसखा न्या. भूषण गवई से जुडी विभिन्न यादों को ताजा करते हुए रूपचंद खंडेलवाल ने कहा कि न्या. भूषण गवई के स्वभाव की सबसे बडी विशेषता उनकी निर्णय क्षमता और दिलेरी है. कठिन से कठिन और विपरीत से विपरीत हालात का शांतिपूर्ण ढंग से और ठंडे दिमाग से सामना करना न्या भूषण गवई बखूबी जानते है. उनके स्वभाव की बडी खासियत उन्हें एक बेहतरीन न्यायाधीश बनाती है. साथ ही अलग- अलग न्याय व्यवस्था पर आसीन रहते हुए न्याय भूषण गवई ने जिस तरह से अटल व अडिग फैसले सुनाए है. उन्हें देखते हुए उनके इस स्वभाव को समझा जा सकता है रूपचंद खंडेलवाल ने इस समय बडे गर्व के साथ कहा है कि उनके दोस्त न्या. भूषण गवई ने हाईकोर्ट जज के रूप में कई ऐसे फैसले सुनाए है. जिन्हे उस समय सुप्रीमकोर्ट के जज भी पलट नहीं पाए और आप उनके दोस्त न्या. भूषण गवई खुद सुप्रीम कोर्ट में है तो उम्मीद की जा सकती है कि आनेवाले वक्त में कई ऐसे फैसले आयेंगे. जिससे देश में कानून की दिशा और दशा जरूर सुधरेगी.





