शासकीय अधिस्वीकृती समितियों के खिलाफ दायर याचिका पर अंतिम सुनवाई 12 अगस्त को

उचित न्याय मिलने की उम्मीद

अमरावती/दि.3-राज्य सरकार द्वारा स्थापित विभागीय और राज्य अधिस्वीकृती समितियों के खिलाफ दायर याचिका पर उच्च न्यायालय के औरंगाबाद खंडपीठ में 12 अगस्त 2025 को सुनवाई होगी. इसके लिए प्रेस काउंसिल ऑफ महाराष्ट्र द्वारा दायर सिविल आवेदन को मंजूर कर लिया गया है. महाराष्ट्र शासन द्वारा 11 जुलाई 2023 को निर्गमित किए गए शासन निर्णय के अनुसार राज्य स्तरीय अधिस्वीकृति समिति तथा नौ विभागीय अधिस्वीकृति समितियों की बेकायदेशीर और मनमानी से स्थापना की गई थी. इन समितियों की स्थापना को चुनौती देते हुए प्रेस काउंसिल ऑफ महाराष्ट्र की ओर से मुंबई उच्च न्यायालय के औरंगाबाद खंडपीठ में रिट याचिका दायर की गई थी.
यह याचिका क्र. 10070/2023 पर अगस्त और सितंबर 2023 में दो बार प्राथमिक सुनवाई हुई थी. इसके बाद न्यायालय ने याचिका स्वीकार कर ली थी और इसे दायर करने की अनुमति दी थी. हालांकि, इसके बाद आगे की सुनवाई अनिश्चितकाल के लिए टाल दी गई थी. प्रेस काउंसिल ऑफ महाराष्ट्र की ओर से 2025 में एड. रूपेश कुमार बोरा और एड. एस.ए. पठान के माध्यम से सिविल आवेदन क्र. 902/2025 दायर किया गया था, जिसमें संबंधित याचिका पर जल्द सुनवाई की मांग की गई थी। इस याचिका में तर्क दिया गया है कि उक्त अधिस्वीकृति समितियों की स्थापना भारतीय संविधान द्वारा प्रदत्त मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करती है और यह पत्रकारों और उनके संगठनों के साथ अन्याय करती है. शासन ने अधिस्वीकृति प्रक्रिया में स्वायत्तता और पारदर्शिता का उल्लंघन किया है. प्रशासन के अधिपत्य में अपात्र और मनमानी तरीके से नियुक्त सदस्यों को शामिल करके समितियों का गठन किया गया है. ये समितियां मीडिया की स्वतंत्रता के सिद्धांतों के विपरीत हैं. अधिस्वीकृति समितियों की स्थापना में संविधान का उल्लंघन, पत्रकारों और उनके संगठनों के अधिकारों का हनन, स्वायत्तता और पारदर्शिता का अभाव, मीडिया की स्वतंत्रता पर प्रतिकूल प्रभाव इस प्रकरण में दिनांक 1 जुलाई 2025 को मुंबई उच्च न्यायालय के औरंगाबाद खंडपीठ में न्यायमूर्ति मनीष पितले और न्यायमूर्ति वाय.जी.खोब्रागड़े के खंडपीठ के समक्ष सुनवाई हुई.
इस समय याचिकाकर्ता संस्था की ओर से अधिवक्ता रूपेश कुमार बोरा ने तर्क प्रस्तुत किया. न्यायालय ने इस तर्क को स्वीकार करते हुए याचिका पर अंतिम सुनवाई के लिए 12 अगस्त 2025 की तारीख निर्धारित की है और उसी के अनुसार आदेश पारित किया है. इस प्रकरण का अंतिम निर्णय मीडिया की स्वतंत्रता, पत्रकारों की स्वायत्तता और सरकारी नियंत्रण की सीमाओं के बारे में एक दिशा- निर्देशक और ऐतिहासिक साबित हो सकता है, ऐसा जानकारों का मत है. इस याचिका में उठाए गए मुद्दे और न्यायालय की भूमिका पर पूरे राज्य के प्रसार माध्यमों, संपादक संगठनों और कानूनी क्षेत्र के विशेषज्ञों की नजर है. राज्य के पात्र पत्रकार और संबंधित संगठनों को इस मुकदमे के माध्यम से न्यायालय से उचित न्याय मिलने की उम्मीद है, ऐसा पत्रकारिता क्षेत्र में व्यक्त किया जा रहा है.
पत्रकारिता क्षेत्र की अपेक्षाएं
राज्य के पात्र पत्रकार और संबंधित संगठनों को इस मुकदमे के माध्यम से न्यायालय से उचित न्याय मिलने की उम्मीद है, ऐसा पत्रकारिता क्षेत्र में व्यक्त किया जा रहा है. इस मामले का निपटारा पत्रकारिता क्षेत्र के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हो सकता है.
-कासिम मिर्जा, पत्रकार
अमरावती

Back to top button