कौंडण्यपुर के विठ्ठल-रुक्मिणी दरबार में भक्ति का ‘महापूर’

आषाढी एकादशी निमित्त साकार हुआ पंढरपुर, माता रुक्मिणी के मायके में भाविकों की उमडी अपार भीड

अमरावती/दि.7 – विदर्भ के प्रति पंढरपुर के तौर पर पहचान रखनेवाले माता रुक्मिणी के मायके श्रीक्षेत्र कौंडण्यपुर में कल रविवार 6 जुलाई को आषाढी एकादशी के निमित्त भाविक श्रद्धालुओं क जबरदस्त भीड उमडी. जिसके चलते कौंडण्यपुर में एकतरह से पंढरपुर साकार हो गया. गत रोज तडके कौंडण्यपुर स्थित श्री विठ्ठल-रुक्मिणी मंदिर में अभिषेक व महाआरती का आयोजन हुआ. आषाढी एकादशी निमित्त मंदिर के गर्भगृह में फूलों से आकर्षक सजावट की गई थी. साथ ही साथ बारिश के मौसम में भाविक श्रद्धालुओं को असुविधा का सामना न करना पडे, इस बात के मद्देनजर मंदिर समिति द्वारा अनुशासनबद्ध तरीके से दर्शन कतारे लगाई गई थी. जिसके चलते सभी भाविक श्रद्धालुओं को सहज व सुचारु ढंग से अपने आराध्य भगवान श्री विठ्ठल व माता रुक्मिणी के दर्शन हुए.
बता दें कि, वर्धा नदी के किनारे बसे श्रीक्षेत्र कौंडण्यपुर को माता रुक्मिणी का मायका माना जाता है और कौंडण्यपुर का धार्मिक व ऐतिहासिक स्थान है. महाराष्ट्र में पंढरपुर के लिए पैदल जानेवाली सबसे पहली पालखी को शुरु करने का बहुमान भी श्रीक्षेत्र कौंडण्यपुर को ही है और कौंडण्यपुर से रवाना होनेवाली माता रुक्मिणी की पालखी का महाराष्ट्र की 10 मानांकित पालखीयों में समावेश है. कौंडण्यपुर स्थित माता रुक्मिणी के मंदिर में भी प्रति वर्ष समूचे विदर्भ क्षेत्र के से भाविक श्रद्धालु आषाढी एकादशी निमित्त पालखी व दिंडी के साथ पहुंचते है और आषाढी एकादशी पर्व के निमित्त विदर्भ की पंढरी कहे जाते कौंडण्यपुर में हजारों-लाखों भाविक श्रद्धालुओं की भीड इकठ्ठा होती है. कई भाविक-श्रद्धालु आषाढी एकादशी निमित्त पंढरपुर जाकर विठ्ठल दर्शन करने में असमर्थ रहते है, तो वे कौंडण्यपुर आकर विठ्ठल रुक्मिणी के दर्शन कर पूजाअर्चना करते है.
आषाढी एकादशी निमित्त कौंडण्यपुर में श्री विठ्ठल-रुक्मिणी मंदिर, रविराज देशमुख मित्र परिवार, इस्कॉन मंदिर व अंबिका मंदिर द्वारा भाविक श्रद्धालुओं को फलाहार का वितरण किया गया. साथ ही साथ मंदिर समिति द्वारा रक्तदान शिविर व स्वास्थ जांच शिविर जैसे विविध धार्मिक आयोजन भी किए गए थे. इन स्थानों पर भी रक्तदान करने और अपनी स्वास्थ जांच करवाने के लिए नागरिकों की अच्छी-खासी भीड उमडी.
* पूरे परिसर पर सीसीटीवी कैमरे की नजर
आषाढी एकादशी निमित्त श्री विठ्ठल-रुक्मिणी मंदिर में भाविकों की जबरदस्त भीड रहने के दौरान कहीं पर भी कोई अनुचित घटना घटित न हो, इस हेतु कुर्‍हा पुलिस ने मंदिर परिसर के सभी प्रमुख मार्गों पर सुक्ष्म नियोजन करते हुए भीड को अच्छी तरह से नियंत्रित किया. साथ ही साथ मंदिर एवं आसपास के परिसर में सुरक्षा की दृष्टि से सीसीटीवी कैमरे लगाते हुए प्रत्येक छोटी-बडी गतिविधि व हलचल पर नजर रखी गई. इसके अलावा मंदिर परिसर में पुलिस का तगडा बंदोबस्त भी तैनात किया गया था. जिसके चलते प्रत्येक मिनट में 15 से 20 भाविक श्रद्धालु व बडे ही सहज व सरल तरीके से अपने आराध्य भगवान श्री विठ्ठल व माता रुक्मिणी के दर्शन कर पाए.
* भाविकों ने किया वर्धा नदी में स्नान
आषाढी एकादशी को देवशयनी एकादशी के नाम से भी पहचाना जाता है. इस एकादशी के पर्व पर कौंडण्यपुर में श्री विठ्ठल-रुक्मिणी मंदिर के सामने से होकर बहनेवाली वर्धा नदी में स्नान हेतु भाविक श्रद्धालुओं की सुबह से ही भीड थी. वर्धा नदी में स्नान के उपरांत सभी भाविक श्री विठ्ठल-रुक्मिणी के दर्शन हेतु मंदिर पहुंचे, जहां पर भाविक श्रद्धालुओं की अनुशासित तरीके से कतारे लगाई गई.
* प्रति पंढरपुर के तौर पर है पहचान
माता रुक्मिणी का मायका रहनेवाले श्रीक्षेत्र कौंडण्यपुर की पहचान विदर्भ की पंढरी व प्रति पंढरपुर के तौर पर है. सन 1594 में संत सदाराम महाराज ने पहली बार कौंडण्यपुर से पंढरपुर के लिए माता रुक्मिणी की पालखी व पैदल वारी को शुरु किया था और यह परंपरा विगत 431 वर्षों से अनवरत चली आ रही है. जिसके तहत विगत 1 जून को ही कौंडण्यपुर से पंढरपुर के लिए पालखी व पैदल वारी रवाना हुई थी. जो आषाढी एकादशी पर्व के निमित्त पंढरपुर पहुंच गई. जहां पर महाराष्ट्र के 10 मानांकित पालखियों में कौंडण्यपुर की पालखी का भी प्रति वर्षानुसार समावेश किया गया. इन्हीं तमाम आयोजनों के चलते कौंडण्यपुर में आषाढी एकादशी के पर्व का विशेष महत्व रहता है और कौंडण्यपुर में भी आषाढी एकादशी के पर्व पर विभिन्न धार्मिक व सामाजिक आयोजन होते है. जिनमें समूचे विदर्भ क्षेत्र से हजारों-लाखों भाविक श्रद्धालु शामिल होते है.

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