गलत तरिके से किया जा रहा निधी का वितरण

पूर्व विधायक बी.टी. देशमुख का आरोप

अमरावती/दि.9 – पूर्व विधान परिषद सदस्य प्रा. बीटी देशमुख ने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि भारतीय संविधान की कलम 371 (2) आज भी कायम है. इस कलम में स्पष्ट प्रावधान है कि महाराष्ट्र राज्य के तीनों विभागों में विकास कार्यों पर खर्च के लिए निधी का समयानुसार वितरण किया जाए. इस धारा के तहत राष्ट्रपति ने राज्यपाल को अधिकार दिए जाने के बाद इन अधिकारों का उपयोग करते हुए राज्यपाल द्बारा 21 दिसंबर 2001 को निर्देश दिए थे. इन निर्देशों में परिच्छेद 9 (1) के अनुसार दी गई निधी का वितरण नीतियों का पालन करते हुए किया जाता तो सिचाई का अनुशेष अभी तक समाप्त हो गया होता. परंतु इस संबंध में राज्यपाल के निर्देशों की पुरी तरह से अवहेलना कर 10 वर्षों में गलत तरिके से निधी का वितरण किया जा रहा है. ऐसा आरोप पूर्व विधान परिषद सदस्य बिटी देशमुख ने राज्य सरकार पर लगया है
पूर्व विधायक बी.टी देशमुख ने कहा कि तत्कलीन मुख्यमंत्री विलासराव देशमुख के मंत्री मंडल ने अनुशेष व निर्देशांक समिति की रिपोर्ट को मंजूर किया था और 5 सितंबर 2001 को सरकारी आदेश में इन मंजूरी को मान्य भी किया गया था. आदेश में कहा गया था कि समिति द्बारा निकाले गए अनुशेष को खत्म करने के लिए कार्रवाई की जाए और अनुशेष दूर करने के दौरान नया अनुशेष तैयार नहीं हो इसका भी ध्यान रखा जाए. परंतु इस आदेश की विगत 10 वर्षों से अवहेलना ेकी जा रही है. बीटी देशमुख ने स्पष्ट तौर पर कहा कि इसके चलते इन अनुशेषग्रस्त जिलों में सिचाई के अभाव में किसान लगातार आत्महत्या कर रहे है.
बी.टी देशमुख ने बताया कि तत्कालीन मुख्यमंत्री विलासराव देशमुख, तत्कालीन सिचाई मंत्री अजीत पवार और तत्कालीन सिचाई राज्यमंत्री डॉ. सुनील देशमुख ने एक जलसिंचाई अनुशेषग्रस्त जिले में एक ही दिन एक ही समय 19 जलसिंचाई प्रकल्प का सामूहिक भुमिपूजन किया था. इसके लिए सभी प्रकार की निधी उपलब्ध करवाई गई थी और प्रत्यक्ष काम भी शुरू कर दिया गया था. लेकिन वर्तमान में मुख्यमंत्री, सिचाई मंत्री अथवा सिचाई राज्यमंत्री किसी अनुशेषग्रस्त जिले में किसी सिचाई प्रकल्प का भूमिपूजन करते है तो उसके बाद उस प्रकल्प की खोज करनी पडती है. पूर्व विधायक देशमुख ने सिचाई अनुशेष पर ध्यान आकर्षित करते हुए कहा कि अमरावती विभाग का 1982 में सिचाई अनुशेष 417 करोड रुपए का था. जो अब अधिकृत आंकडों के अनुसार 21 हजार 540 करोड रुपए का हो गया है. यानी मुल अनुशेष से 51 गुना अधिक बढ गया है. अमरावती जिले का 1982 में सिचाई अनुशेष 134 करोड रूपए था. जो अब अधिकृत आंकडो के अनुसार 5,804 करोड रुपए हो गया है.

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