जाति का बंधन तोडकर एक हो जाओ
बच्चू कडू का किसानों से आवाहन

* 7/ 12 अभियान यात्रा का आज समापन
यवतमाल / दि. 14- प्रदेश में सत्ताधीशों ने कृषकों को जाति पाति, धर्म, पक्ष के बंधन में जकडकर विभाजन किया. इसके कारण कृषकों की आवाज कमजोर हुई. अत: किसानों को जाति का बंधन तोडकर एक होना होगा. किसान जाग गया तो सरकार को जगाने में वक्त नहीं लगेगा. इस तरह का आवाहन पूर्व विधायक एवं प्रहार जनशक्ति पक्ष के नेता ओमप्रकाश उर्फ बच्चू कडू ने किया. उनके द्बारा पापल से निकाली गई सातबारा कोरा अभियान यात्रा का आज महागांव तहसील में समापन हो रहा है. बच्चू कडू और उनके हजारों साथी गत सप्ताह भर में 138 किमी से अधिक फासला पैदल तय कर चुके हैं. सोमवार शाम विशाल जनसभा के साथ अभियान परिपूर्ण होने किंतु किसान कर्ज माफी तक आंदोलन जारी रखने की घोषणा प्रहार ने की है.
बच्चू कडू महांगांव तहसील के अंबोडा में पहुंचे. वे पदयात्रा का समापन करनवाले है. उन्होंने भाउसाहब पंजाबराव देशमुख के जन्मगांव पापल से यह पदयात्रा शुरू की थी. उंबरडा बाजार, मानकी मार्गे, वलसा, तिवरी, तुपटाकली, काली दौलीत, गूंज से महागांव के चिलगव्हाण यह पदयात्रा पहुंची. चिलगव्हाण में 20 मार्च 1986 को साहेबराव करपे ने फसल खराब होने और कर्ज से तंग आकर पत्नी व चार बच्चों के साथ आत्महत्या कर ली थी.
बच्चू कडू ने कहा कि सरकार ने चुनाव से पहले कर्ज माफी का वादा किया था. सत्ता में आने के बाद वह इस वादे को भूल गई है. कडू ने कहा कि सातबारा कोरा पदयात्रा दौरान अनेक किसान, आत्महत्याग्रस्त परिवार, एकल महिलाएं उनसे मिली. उनकी स्थिति बडी दयनीय है. उनकी व्यथा सुनकर आंखों में आंसू आ जाते हैं. कउू ने आरोप लगाया कि सरकार को उनकी पीडा से लेना- देना नहीं है. सरकार के निषेध में बच्चू कडू सहित अनेक ने अपनी आंखों पर पट्टी बांध ली थी.
कडू ने कहा कि सरकार ने आंखों पर पट्टी बांध रखा है. उसे किसानों का दु:ख नहीं दिखाई दे रहा. दिव्यांगों की पीडाएं भी महसूस नहीं हो रही. सरकार की आंखें खोलने हम यह अभियान लेकर उतरे हैं.





