मां ने किडनी देकर बेटे को दिया नया जीवन

सुपर स्पेशालिटी में 56 वां किडनी ट्रांसप्लांट सफल

अमरावती/दि.18 – यहां के विभागीय संदर्भ सेवा अस्पताल (सुपर स्पेशालिटी हॉस्पिटल) में आज दोपहर 56 वां किडनी ट्रांसप्लांट ऑपरेशन सफल हुआ है. 29 वर्षीय युवक निखिल प्रमोद शिरभाते की सर्जरी सफलतापूर्वक पूरी हुई है. जिले के चांदुर बाजार तहसील में आनेवाले घाटलाडकी निवासी मरीज गत 6 महीने से किडनी की बीमारी से पीडित था, जिसके कारण डायलिसिस कराना पडता था. लेकिन डायलिसिस दीर्घकालिक समाधान नहीं है और समस्याओं को देखते हुए, किडनी ट्रांसप्लांटेशन ही इसके लिए सही उपाय है, जब डॉक्टर ने कहा कि बच्चे के भविष्य को देखते हुए, मां वनीता प्रमोद शिरभाते (57) ने अपनी एक किडनी अपने बेटे निखिल को देने का फैसला किया, और अपने बेटे निखिल शिरभाते को अपनी एक किडनी देकर उसे नया जीवन दिया.
अस्पताल में होने वाली सफल और निःशुल्क सर्जरी के लिए न केवल विभिन्न जिलों से, बल्कि अन्य राज्यों से भी मरीज आते हैं. अस्पताल में यह 55वां किडनी ट्रांसप्लांट है. महात्मा ज्योतिराव फुले जन आरोग्य योजना के तहत यह सर्जरी मुफ्त में की गई. सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल अमरावती में वैद्यकीय अधीक्षक डॉ. अमोल नरोटे और विशेष कार्य अधिकारी डॉ. मंगेश मेंढे के मार्गदर्शन में नेफ्रोलॉजिस्ट डॉ. हितेश गुल्हाने, यूरो सर्जन डॉ. राहुल पोटोडे, डॉ. विक्रम देशमुख, डॉ. प्रतीक चिरडे, डॉ.विशाल बाहेकर, डा. राहुल घुले, बधिरिकरण तज्ञ डॉ. रोहित हातगांवकर, डॉ. बालकृष्ण बागवाले, डॉ. दीपाली देशमुख, डॉ. शीतल सोलंके, डॉ. अश्विनी मडावी, डॉ.अंजु दामोदर, डॉ.विक्रांत कुलमेथे, डॉ.माधव ढोपरे, डॉ. जयश्री पुसदेकर, डॉ.नाहीद, डॉ. उज्वल अभ्यंकर, डॉ. प्रियंका कांबले, डॉ. श्रद्धा जाधव, समाजसेवा अधीक्षक (वैद्यकीय) शीतल बोंडे, ऋषिकेश धस, डॉ.सोनाली चौधरी, महात्मा ज्योतिराव फुले जन आरोग्य योजना की एम.सी.ओ.डॉ. पायल रोकडे, डॉ. दिव्यांनी मुंदाने तथा अधिसेविका चंदा खोडके, माला सुरपाम की सूचना के अनुसार इन्चार्ज सिस्टर ज्योति तायडे, ज्योति काले, लता मोहता, सरला राऊत, नीता कांडलकर, , दिपाली तायवाडे, अभिजीत निचत, वैष्णवी निकम, अक्षय पवार, मयुरी खेरडे, अनु वडे, योगिश्री पडोले, रेखा विश्वकर्मा, वैशाली ढोबले, वैभव भुरे, नम्रता दामले, कशिश दामले, शीतल वायझाडे, कोमल भालेकर, आहारतज्ञ, कविता देशमुख, रश्मिता दिघडे, औषधि विभाग के योगेश वाडेकर, पंकज बेलुरकर, आशीष तायडे, गजनान मातकर, सुनीता ठाकुर, ज्ञानेश लांजेवार, सागर गणोरकर, अविनाश राठोड, आशीष मिश्रा, शिवा भोंगाडे, राहुल चव्हाण, रुपेश हरडे, पाटिल, दिपटे, भेंडकर, गजानन चौधरी, प्रशांत थेटे, नीलेश आत्राम आदि का विशेष सहयोग रहा.

* दीर्घकालीन लाभप्रद उपचार
नेफ्रोलॉजिस्ट डॉ हितेश गुल्हाने ने कहा कि किडनी की बीमारी अंतिम दौर में आ जाए तो रूग्ण को डायलिसीस की बजाय मूत्रपिंड प्रत्यारोपण का विचार करना चाहिए. यह परिवार के लिए और रूग्ण के लिए दीर्घकालीन लाभप्रद उपचार है.

 

Back to top button