जिले में एक भी बांग्लादेशी व रोहिंग्या नहीं!

जांच में सभी जन्म-मृत्यु प्रमाणपत्र पाए गए वैध

* 21 फरवरी का स्थगनादेश हुआ रद्द
* अब संबंधितों को जारी किए जाएंगे उनके प्रमाणपत्र
* आरडीसी भटकर ने सभी एसडीओ व तहसीलदारों के नाम जारी किया निर्देश
अमरावती/दि.21 – भाजपा नेता व पूर्व सांसद किरीट सोमैया ने कुछ समय पहले आरोप लगाया था कि, अमरावती जिले की अंजनगांव सुर्जी तहसील कार्यालय से बांग्लादेशियों व रोहिंग्याओं को फर्जी दस्तावेजों के आधार पर जन्म व मृत्यु प्रमाणपत्र जारी किए गए थे. साथ ही पूर्व सांसद सोमैया ने अंजनगांव सुर्जी तहसील सहित अमरावती जिले में फर्जी जन्म-मृत्यु प्रमाणपत्र दिलानेवाला रैकेट सक्रिय रहने का आरोप भी लगाया था. जिसे लेकर तत्कालिन जिलाधीश सौरभ कटियार की अध्यक्षता के तहत एक जांच समिति गठित की गई थी और पूरे मामले की सघन पडताल किए जाने के बाद पाया गया कि, अमरावती जिले की किसी भी तहसील में बांग्लादेशियों, पाकिस्तानियों व रोहिंग्याओं को जन्म-मृत्यु प्रमाणपत्र जारी नहीं किए गए है. ऐसे में अब इस मामले को लेकर 21 फरवरी 2025 को जारी स्थगिती आदेश को सरकार द्वारा रद्द कर दिया गया है. जिसके चलते अब जिला प्रशासन द्वारा जिले के सभी उपविभागीय अधिकारियों व तहसीलदारों को नियमानुसार जन्म व मृत्यु प्रमाणपत्र जारी करने हेतु आवश्यक कार्रवाई करने के बारे में निर्देर्शित किया गया है. जिसके चलते अब उन सभी लोगों को काफी बडी राहत मिलने जा रही है, जिनके जन्म व मृत्यु प्रमाणपत्रों को संदेहास्पद मानते हुए अस्थायी तौर पर निरस्त कर दिया गया था.
बता दें कि, भाजपा नेता व पूर्व सांसद किरीट सोमैया द्वारा अमरावती जिले में बांग्लादेशियों व रोहिंग्याओं के अवैध तरीके से रहने और उनके द्वारा फर्जी दस्तावेजों के आधार पर राजस्व प्रशासन के अधिकारियों से मिलिभगत कर खुद को भारतीय नागरिक दिखाने हेतु जन्म-मृत्यु प्रमाणपत्र हासिल किए जाने का आरोप लगाया गया था. जिसके चलते अमरावती शहर व जिले सहित समूचे राज्य में अच्छा-खासा हडकंप मच गया था. यह आरोप लगाने के साथ ही भाजपा नेता व पूर्व सांसद किरीट सोमैया ने कई बार अमरावती शहर व जिले का दौरा भी किया था. ऐसे में सोमैया द्वारा लगाए गए आरोपों के मद्देनजर तथ्यों की पडताल करने हेतु जिला प्रशासन ने तत्कालिन जिलाधीश की अध्यक्षता के तहत जांच समिति गठित करते हुए पूरे मामले की जांच-पडताल करनी शुरु की थी. साथ ही साथ जिले के 14 तहसीलदारों व 5 नायब तहसीलदारों के नाम कारण बताओ नोटिस जारी करते हुए जिले में राजस्व प्रशासन की ओर से जन्म-मृत्यु प्रमाणपत्र जारी करने पर स्थगिती भी लगा दी गई थी. साथ ही साथ कई प्रमाणपत्रों के संदेहित व विवादास्पद मानते हुए निरस्त भी कर दिया गया था. जिसके चलते शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्र में पढाई-लिखाई हेतु आवश्यक रहनेवाले प्रमाणपत्र भी उपलब्ध नहीं हो पा रहे थे. जिससे विद्यार्थियों का काफी नुकसान हो रहा था. ऐसे में पूरे मामले की पडताल पश्चात जब यह स्पष्ट हो गया कि, अमरावती जिले की किसी भी तहसील में किसी भी बांग्लादेशी, रोहिंग्या व पाकिस्तानी नागरिक के नाम कोई जन्म-मृत्यु प्रमाणपत्र जारी नहीं हुआ है, तो 21 फरवरी 2025 को जारी स्थगिती आदेश को रद्द करते हुए अब यह निर्देशित किया गया है कि, सार्वजनिक स्वास्थ विभाग के 12 मार्च 2025 को जारी शासन निर्णय के निर्देशानुसार विस्तृत जांच-पडताल करते हुए नियमानुसार जन्म व मृत्यु प्रमाणपत्र जारी करने के लिए आवश्यक कार्रवाई की जाए. साथ ही इस संदर्भ में की गई कार्रवाई के बारे में जिलाधीश कार्यालय सहित संबंधितों को सूचित किया जाए.
अमरावती के निवासी उपजिलाधीश अनिल भटकर द्वारा इस संदर्भ में अमरावती, अचलपुर, चांदुर रेलवे, दर्यापुर, मोर्शी, तिवसा-भातकुली व धारणी के उपविभागीय अधिकारियों तथा अमरावती, चांदुर रेलवे, धामणगांव रेलवे, नांदगांव खंडेश्वर, अचलपुर, चांदुर बाजार, दर्यापुर, अंजनगांव सुर्जी, मोर्शी, वरुड, धारणी, चिखलदरा, तिवसा व भातकुली के तहसीलदारों के नाम जन्म-मृत्यु प्रमाणपत्र संदर्भ में प्राप्त होनेवाले आवेदनों की नियमानुसार जांच-पडताल कर प्रमाणपत्र जारी करने का काम दुबारा शुरु करने और किए गए कामकाज की रिपोर्ट जिला प्रशासन को देने का निर्देश दिया गया है. साथ ही जिला प्रशासन द्वारा शुरु की जा रही कार्रवाई के संदर्भ में जिले के सांसद बलवंत वानखडे सहित मनपा आयुक्त, सभी पंचायत समितियों के गटविकास अधिकारी तथा नगर परिषदों व नगर पंचायतों के मुख्याधिकारी को भी लिखित तौर पर सूचित की गई है.
balwant wanjhade-mla-amravati mandal
* मैंने ही कलेक्ट्रेट से मांगी थी पूरी जानकारी, लोकसभा में भी मुद्दा उठाउंगा
वहीं इस बारे में अपनी प्रतिक्रिया देते हुए अमरावती निर्वाचन क्षेत्र के सांसद बलवंत वानखडे ने दैनिक अमरावती मंडल को बताया कि, उन्होंने ही जिला प्रशासन को लिखित पत्र देते हुए इस बात की जानकारी मांगी थी कि, विगत डेढ वर्ष के दौरान अमरावती जिले के अलग-अलग तहसील कार्यालयों से कितने जन्म व मृत्यु प्रमाणपत्र जारी हुए थे और उसमें से कितने प्रमाणपत्रों को किन वजहों के चलते रद्द किया गया है. साथ ही उन्होंने यह भी जानना चाहा था कि, क्या वाकई अमरावती जिले में बांग्लादेशी व रोहिंग्या जैसे विदेशी नागरिक रहते है, यदि हां, तो ऐसे लोगों की संख्या कितनी है. जिसके जवाब में विगत माह 15 जून को जिला प्रशासन ने एक निर्देशपत्र जारी करने के साथ ही उन्हें भी इस बारे में सूचित किया कि, अमरावती जिले में एक भी बांग्लादेशी व रोहिंग्या नागरिक नहीं है. साथ ही अब जिला प्रशासन द्वारा जन्म-मृत्यु प्रमाणपत्र जारी करने का काम दुबारा शुरु किया जाएगा. इसके साथ ही सांसद बलवंत वानखडे ने कहा कि, वे परसो 26 जुलाई को अमरावती आने के बाद इस बारे में एक पत्रवार्ता बुलाते हुए विस्तार के साथ जानकारी देंगे. साथ ही साथ संसद के आगामी पावस सत्र दौरान इस मुद्दे को लोकसभा में भी उठाएंगे. इसके अलावा सांसद बलवंत वानखडे ने यह भी कहा कि, भाजपा नेता व पूर्व सांसद किरीट सोमैया ने बिना वजह एक बेसिर-पैर वाले मुद्दे को हवा देते हुए अमरावती शहर सहित जिले का वातावरण खराब किया है.


निवासी उपजिलाधी अनिल भटकर के हस्ताक्षर से विगत 15 जून 2025 को जारी पत्र की प्रतिलिपी.

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