डॉ. सुभाष गवई स्व. बापूसाहेब कारंजकर पुरस्कार से सम्मानित

उपेक्षित लोगों के लिए किए कार्यों की सराहना

अमरावती/दि.23 – युवावस्था में, आशा के समय, दूसरों के लिए प्रयास करने वाले और समाज की सेवा करने वाले व्यक्तित्व समाज में दुर्लभ हैं. हालाँकि, नियति ऐसे व्यक्तित्वों को आकार देती है और साकार करती है.जब ऐसे व्यक्तित्व अपने सेवा कार्यों के माध्यम से समाज में योगदान देते हैं, तो यह व्यक्तित्व समाज की प्रेरणा बन जाता है. ऐसा ही एक क्षण, एक समारोह अमरावती शहर के निवासियों द्वारा 20 जुलाई को अनुभव किया गया. अमरावती शहर के 900 साल के इतिहास को लिखने वाले इतिहासकार, अमरावती भूषण स्व. बापूसाहेब कारंजकर की स्मृति में एक विचारक, विशेषज्ञ जिन्होंने समाज को एक नई दिशा और दृष्टि दी, और समाज द्वारा उपेक्षित लोगों के लिए समर्पित जीवन के लिए जीवन जीनेवाले, विदर्भ महारोगी सेवा मंडल तपोवन के अध्यक्ष, प्राचार्य डॉ. सुभाष गवई को इस वर्ष के स्व. बापूसाहेब कारंजकर पुरस्कार 2025 से सम्मानित किया गया.
अमरावती शहर के इतिहासकार स्व. बापूसाहेब कारंजकर का 35 वां स्मृति दिवस 20 जुलाई को मनाया गया. नीलकंठ व्यायाम मंडल में आयोजित कार्यक्रम की अध्यक्षता दै. मतदार के मुख्य संपादक एड. दिलीप एडतकर, जबकि मुख्य अतिथि पूर्व महापौर विलास इंगोले, वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. गोविंद कासट, सुदर्शन गांग डॉ. किशोर फुले, सत्कारमूर्ति प्राचार्य डॉ. सुभाष गवई, पूर्व नगरसेवक वसंतराव साउरकर, सुनीता भेले, दीपक गुल्हाने उपस्थित थे.
स्व. बापूसाहेब कारंजकर की स्मृति में हर साल एक वरिष्ठ समाजसेवी को यह पुरस्कार दिया जाता है. अब तक यह पुरस्कार डॉ. मोतीलालजी राठी, डॉ. गोविंद कासट, डॉ. कमलताई गवई, रजिया सुल्तान आदि को दिया जा चुका है. इस वर्ष यह पुरस्कार विदर्भ महारोगी सेवा मंडल तपोवन के अध्यक्ष डॉ. सुभाष गवई को दिया गया, जो पिछले 47 वर्षों से कुष्ठ रोगियों, दृष्टिहीनों और दिव्यांगों की सेवा और उन्हें सशक्त बनाने में लगे हुए हैं.
नीलकंठ मंडल द्वारा स्व. बापूसाहेब कारंजकर सभागार में आयोजित कार्यक्रम का संचालन दीपक हुंडेकर ने किया. कार्यक्रम में विलास कारंजकर, ऍड. विवेक बारलिंगे, विवेक गुल्हाने, किरण साऊरकर, पुरुषोत्तम मुंदडा, पंकज लुंगीकर, निलेश कारंजकर, राजू भेले, प्रा. प्रकाश गडकरी, अभिनंदन पेंढारी, सुरेश रतावा, जांबुवंत देशमुख, राजू गावफळे, मिलिंद पाटील, कृष्णा पिंपलकर, प्रदीप खेडकर, मुख्याध्यापिका वानखडे, येवतीकर, रवींद्र इंगले, गजानन राजगुरू, सतीश चिंतामने, भारतीय महाविद्यालय के प्रा. डॉ. प्रशांत विघे, तपोवन संस्था के सचिव सहदेव गोले, उपसचिव ऋषिकेश देशपांडे, निवृत्ती वेलकर, शाम शेटये, प्रदीप जैन, जगदीश सायसीकमल और अन्य गणमान्य व्यक्ति मौजूद रहे.

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