विश्व मस्तिष्क सप्ताह

प्लास्टिक प्रदूषण का मानव मस्तिष्क के स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव

* दिमाग में बढ रही माइक्रोप्लास्टिक्स की मात्रा
* हर वर्ष 250 ग्राम प्लास्टिक निगल रहे हैं हम
अमरावती/दि.23-प्लास्टिक प्रदूषण का मानव मस्तिष्क के स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव दिख रहा है. विशेष रुप से मस्तिष्क में माइक्रोप्लास्टिक्स की बढ़ती मात्रा चिंता का कारण बनी हुई है. वर्ल्ड फेडरेशन ऑफ न्यूरोलॉजी के विश्वस्त पद्मश्री डॉ. चंद्रशेखर मेश्राम के अनुसार, डिमेंशिया से पीड़ित लोगों के मस्तिष्क में माइक्रोप्लास्टिक्स का स्तर सामान्य लोगों की तुलना में 10 गुना अधिक होता है. ये आश्चर्यजनक तथ्य भी सामने आया है कि हम हर साल लगभग 250 ग्राम प्लास्टिक खाते हैं. विश्व न्यूरोलॉजी फेडरेशन 12वां विश्व मस्तिष्क दिवस मना रहा है. मीडिया के साथ की बातचीत में डॉ. मेश्राम ने कहा कि सरकार द्वारा पॉलीथीन बैग पर प्रतिबंध लगाए जाने के बावजूद प्लास्टिक हमारे दैनिक जीवन का अभिन्न हिस्सा बन चुका है. स्नैक्स, पानी, खाद्य सामग्री सभी जगह प्लास्टिक का व्यापक उपयोग हो रहा है. इससे जमीन, पानी, हवा और खाद्य पदार्थों में प्लास्टिक प्रदूषण काफी बढ रहा है, जिसका सीधे मस्तिष्क के स्वास्थ्य पर प्रभाव पडता है.
* मस्तिष्क को माइक्रोप्लास्टिक्स से खतरा
डॉ. मेश्राम ने बताया कि डॉ. निहार्ट और उनके सहयोगियों द्वारा ‘नेचर मेडिसिन जर्नल’ में प्रकाशित शोध के अनुसार, 1 नैनोमीटर से 5 मिमी आकार के प्लास्टिक कणों को माइक्रोप्लास्टिक्स कहते हैं. जबकि 1 नैनोमीटर से छोटे कणों को नैनोप्लास्टिक्स कहा जाता है. ये प्लास्टिक कण मुंह, सांस, त्वचा के जरिए शरीर में प्रवेश करते हैं.
* मस्तिष्क में 50% से ज्यादा माइक्रोप्लास्टिक्स
ट्यूनिशिया के वर्ल्ड फेडरेशन ऑफ न्यूरोलॉजी के पूर्व विश्वस्त डॉ. रियाद गुडेर ने बताया कि 2024 के डाटा के अनुसार मृत लोगों के मस्तिष्क में लगभग 50% अधिक माइक्रो प्लास्टिक्स पाए गए. जीवन भर में हमारे मस्तिष्क में लगभग 7 ग्राम सूक्ष्म और नैनो प्लास्टिक जमा रहता है.
* चाय के हर घूंट में हजारों माइक्रोप्लास्टिक्स
चाय का कप हो या चाय की थैली, ये सभी प्लास्टिक से बने होते हैं. जब इनमें गर्म चाय से प्लास्टिक पिघलता है और चाय की हर घूंट में हजारों माइक्रोप्लास्टिक्सहमारे शरीर में पहुंचते हैं.
* जडों के माध्यम से माइक्रोप्लास्टिक्स का अवशोषण
फल और सब्जियां भी माइक्रोप्लास्टिक्स से सुरक्षित नहीं रही. पौधों की जडेें माइक्रोप्लास्टिक्स को अवशोषित करती हैं जो बीजों, पत्तियों और फलों में पहुंचते हैं.
* एक लीटर की बोतल में 2 लाख से ज्यादा प्लास्टिक कण
प्लास्टिक की बोतल से एक लीटर पानी पीने पर 2 लाख 40 हजार प्लास्टिक कण हमारे पेट में जाते हैं. प्लास्टिक के डिब्बे में खाना गर्म करनेपर अरबों प्लास्टिक कण निकलते हैं. टूथपेस्ट भी नुकसानदायक है.
* मछली खाना भी नहीं है सुरक्षित
समुद्र में 24 ट्रिलियन माइक्रो प्लास्टिक्स मौजूद हैं. मछली खाने से ये प्लास्टिक शरीर में जाता है. लिपस्टिक में भी मौजूद त्वचा प्लास्टिक के प्रवेश का एक और जरिया है. कॉस्मेटिक्स उत्पादों और लिपस्टिक में काफी माइक्रोप्लास्टिक्स होते हैं. सिंथेटिक पॉलिस्टर या नायलॉन के कपडे भी नुकसान पहुंचाते हैं.

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