रिध्दपुर जिप मराठी शाला अंधेरे में

अप्रैल माह से बिजली आपूर्ति खंडित

* पीने के पानी के लिए भी भटक रहे विद्यार्थी
रिध्दपुर/ दि. 26 – मोर्शी तहसील अंतर्गत आनेवाले ब तीर्थक्षेत्र का दर्जा प्राप्त व मराठी भाषा का सम्मान प्राप्त रिध्दपुर स्थित जिला परिषद मराठी शाला अंधेरे में चलाई जा रही है.् पिछले अप्रैल माह में शाला की बिजली आपूर्ति खंडित कर दी गई थी. जिसमें विद्यार्थियों को अंधेरे में ही पढाई करनी पड रही है. इतना ही नहीं बिजली नहीं होने से यहां पिछले अनेक दिनों से विद्यार्थियों के लिए पीने के पानी की व्यवस्था नहीं है. विद्यार्थी परिसर के घरों में या बस स्टॉप की होटल में जाकर पानी पीकर अपनी प्यास बुझा रहे है.
एक ओर मराठी भाषा का सम्मान करते हुए महानुभाव पंथ की इस पवित्र भूमि में मराठी भाषा विद्यापीठ का निर्माण किया गया है और दूसरी ओर मराठी शाला में आवश्यक सुविधाएं नहीं है. इस शाला में गरीब जरूरतमंद खेतीहर मजदूरों के बच्चे शिक्षा ले रहे हैं. वे अपने बच्चों को बडी- बडी निजी शालाओं में शिक्षा देने में असमर्थ हैं. वे अपने बच्चों को जिप शाला में ही पढाते हैं. किंतु जिप शाला की स्थिति दयनीय है. विद्यार्थियों को बारिश के दिनों में कीचड भरे रास्तों से आना- जाना पडता है.
एक ओर पट संख्या के अभाव में जिप की शालाएं बंद हो रही है. दूसरी ओर जिप की इस शाला में विद्यार्थी शिक्षा ले रहे हैं. लेकिन यहां मूलभूत सुविधाएं नहीं होने पर जिप की इस दोहरी भूमिका पर ग्रामवासी असंतोष व्यक्त कर रहे हैं. ग्रामीण क्षेत्र की जिप शालाओं को टिकाकर रखने के लिए और विद्यार्थियों को दर्जेदार शिक्षा देने के लिए राज्य शिक्षा विभाग की ओर से लाखों रूपए खर्च किए जाते है. लेकिन प्रत्यक्ष में किसी भी प्रकार की सुविधा यहां उपलब्ध नहीं है.

* निवेदन देने के बाद भी कार्यवाही नहीं
पिछले अप्रैल माह से शाला की बिजली आपूर्ति खंडित की गई है. जिसकी वजह से पीने के पानी की व्यवस्था नहीं है. जिप प्रशासन को दो बार निवेदन देने के बाद भी अब तक किसी भी प्रकार की कार्यवाही नहीं की गई.
– संगीता राउत, मुख्याध्यापिका,
जिप मराठी शाला रिध्दपुर

* विद्यार्थियों के भविष्य के साथ खिलवाड
मेरी बेटी जिप मराठी शाला में कक्षा पहली में शिक्षा ले रही है. शाला में विद्यार्थियो को मूलभूत सुविधा नहीं दी जा रही है. यहां विद्यार्थियों के भविष्य के साथ खिलवाड किया रहा है. प्रशासन तत्काल यहां मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध करवाए.
– उमेश वामन वानखडे, पालक

 

Back to top button