राज्य में 42,189 लोगों के जन्म प्रमाण पत्र रद्द

जनवरी मे गठित एसआईटी कर जांच रही जांच

मुंबई/दि.26- महाराष्ट्र सरकार ने बीते दो महीने में राज्य भर में 42,189 लोगों के फर्जी जन्म प्रमाण पत्र (बर्थ सर्टिफिकेट) रद्द किए है. इसके अलावा लगभग 11 हजार लोगों के मूल जन्म प्रमाणपत्र वापस लिए गए है. जिन लोगों के जन्म प्रमाणपत्र रद्द किए गए है. उनकी उम्र 25 से 65 वर्ष के बीच है. इस मामले मेें सबसे ज्यादा फर्जीवाडा अकोला जिले में हुआ है. भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व सासंद किरीट सोमैया ने शुक्रवार को दावा किया कि, जिन लोगों के जन्म प्रमाणपत्र निरस्त किए गए है, उनमे 95% लोग समुदाय विशेष से वास्ता रखते है.
विशेष उल्लेखनीय है कि, यह मुद्दा 2024 में लोकसभा चुनाव से पहले उठा था, जब किरीट सोमैया ने अलग-अलग जिलोें में इसकी शिकायत की थी. जिसके पश्चात राज्य सरकार ने जनवरी, 2025 में विशेष जांच समिति (एसआईटी) गठित की और तब से ही एसआईटी इस फर्जीवाडे की जांच कर रही है.
* सोमैया ने अमरावती व अकोला को बताया था मुख्य केंद्र
सोमैया ने मीडिया को बताया कि, यह घोटाला राज्य के कई जिलो में फेैला हुआ है. इसमें अकोला और अमरावती जैसे जिले केंद्र में है. अकोला में 6122, गडचिरोली में 3904, जालना में 3533 और अमरावती में 3434 लोगों ने फर्जी जन्म प्रमाणपत्र हासिल किए. राज्य सरकार ने अभी तक 25 जिलों के फर्जी जन्म प्रमाणपत्रों की संख्या जारी की है. मुंबई उपनगर में फर्जी जन्म प्रमाणपत्र बनने 16 मामले सामने आए है. मुंबई शहर के आंकडे सरकार ने अभी जारी नहीं किए है. सोमैया ने कहा कि, महाराष्ट्र के इतिहास का सबसे खतरनाक घोटाला है, जिसमें 95 फीसदी लोग एक विशिष्ट समुदाय से वास्ता रखते है.
* अकोला में 52 के खिलाफ 6 एफआईआर
भाजपा के पूर्व सांसद ने बताया कि, फर्जी कागजात से जन्म प्रमाणपत्र बनवाने के मामले में अकोला जिले मे 52 लोगों के खिलाफ 6 एफआईआर दर्ज की गई है. उन्होंने कहा कि जिन नायब तहसीलदारोें ने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर फर्जी प्रमाणपत्र जारी किए उनके खिलाफ भी मामले दर्ज किए जा रहे है.
* मुंबई उपनगर में 16 मामले
सोमैया ने बताया कि, राज्य सरकार ने अभी तक 25 जिलों के फर्जी जन्म प्रमाणपत्रों की संख्या जारी की है. मुंबई उपनगर में फर्जी जन्म प्रमाणपत्र बनवाने के 16, ठाणे में 759, रायगड मेंं 669 और पालघर में 92 मामले सामने आए है. मुंबई शहर के आंकडे अभी जारी नहीं किए गए है.
* इन जिलोेंं में सबसे ज्यादा फर्जी जन्म प्रमाणपत्र
अकोला          6,122
गडचिरोली     3,904
जालना          3,533
अमरावती      3,434
वाशिम          3,220
नाशिक         2,979
लातुर           2,780
बीड            2,702
यवतमाल     2,433

* रद्द किए गए 42 हजार जन्म प्रमाणपत्र 15 अगस्त तक वापिस बुलाओ
– राजस्व मंत्री बावनकुले ने तहसीलदारों को दिया आदेश
वहीं इस बीच राज्य में उजागर जन्म प्रमाणपत्र घोटाले की गंभीर दखल लेते हुए राजस्व मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले ने राज्य के सभी तहसीलदारों को निर्देशित किया है कि, सरकार द्वारा अब तक रद्द किए गए 42,189 जन्म प्रमाणपत्रों को वापिस लेना शुरु किया जाए और 15 अगस्त तक ऐसे सभी प्रमाणपत्रों को प्रशासन द्वारा अपने कब्जे में ले लिया जाए. राज्य के विविध जिलो में फर्जी पद्धति से बनाए गए जन्म प्रमाणपत्रों के बारे में कार्रवाई करते हुए सरकार ने गैर कानूनी व बनावटी तरीके से तैयार किए गए 42,189 प्रमाणपत्रों को रद्द करने की प्रक्रिया पूर्ण की है. परंतु उसमें से केवल 11,053 प्रमाणपत्र ही सरकार द्वारा वापिस हासिल किए जा सके है. ऐसे में शेष 31,136 जन्म प्रमाणपत्रों को वापिस लेना सरकार के लिए काफी बडी चुनौती साबित हो रहा है. जिसे ध्यान में रखते हुए राजस्व मंत्री बावनकुले ने सभी जिलाधिकारियों व तहसीलदारों को आगामी 15 अगस्त से पहले यह प्रक्रिया पूर्ण करने हेतु कहा है. जिसके बाद राजस्व मंत्री बावनकुले द्वारा 16 अगस्त को उच्चस्तरिय बैठक ली जाएगी. जिसके चलते अब इसे लेकर प्रशासन पर अच्छा-खासा दबाव बनता दिखाई दे रहा है.
* अमरावती में नहीं मिला था कोई भी बांग्लादेशी व रोहिंग्या
यहां यह विशेष उल्लेखनीय है कि, देश में अवैध तरीके से घुस आए बांग्लादेशियों व रोहिंग्याओं द्वारा फर्जी तरीके से दस्तावेज जुटाते हुए तहसील कार्यालय के जरिए विलंबित जन्म व मृत्यु प्रमाणपत्र हासिल किए जाने का आरोप भाजपा नेता किरीट सोमैया द्वारा लगाया गया था. साथ ही सोमैया ने अमरावती जिले में अंजनगांव सुर्जी सहित अचलपुर व अमरावती तहसील कार्यालयों की ओर से जारी कुछ विलंबित जन्म व मृत्यु प्रमाणपत्रों को लेकर आपत्ति व आक्षेप भी दर्ज कराया था. जिसके बाद शुरु की गई जांच-पडताल में कुछ प्रमाणपत्रों के लिए पेश दस्तावेजों में कुछ हद तक कांटछांट जैसी गडबडी भी पाई गई थी. जिसे लेकर संबंधितों के खिलाफ पुलिस थानो में शिकायते भी दर्ज कराई गई थी. लेकिन इसके बाद जिला प्रशासन ने विगत जून माह के दौरान ही एक लिखित अधिसूचना जारी करते हुए स्पष्ट किया था कि, अमरावती जिले में एक भी बांग्लादेशी या रोहिंग्या जैसा विदेशी व्यक्ति नहीं पाया गया है. जिसके चलते अमरावती जिले में विलंबित जन्म व मृत्यु प्रमाणपत्र जारी करने का काम दुबारा शुरु किया गया.

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