कहीं राजनीतिक हताशा का शिकार तो नहीं हुए डॉ. प्रणय कुलकर्णी
भाई गोपाल ने अंतिम यात्रा के समय निकाली अपनी भडास

* भाजपा के संगठन मंत्री उपेंद्र कोठीकर को जमकर सुनाए खडे बोल
* डॉ. कुलकर्णी राजनीतिक हाशिए पर डालने का लगाया आरोप
अमरावती /दि.30- गत रोज भाजपा नेता व मनपा के पूर्व स्वीकृत पार्षद डॉ. प्रणय कुलकर्णी की महज 58 वर्ष की आयु में आकस्मिक मौत हो जाने के बाद अब यह सवाल चर्चा में है कि, कहीं डॉ. प्रणय कुलकर्णी राजनीतिक हताशा का शिकार तो नहीं हुए. इस समय शहर में चल रही चर्चाओं के मुताबिक पार्टी में स्थानीय स्तर पर अपनी अनदेखी किए जाने और अपने ही कुछ बेहद नजदिकी व विश्वासपात्र लोगों द्वारा खुद को राजनीतिक हाशिए पर धकेल दिए जाने के चलते डॉ. प्रणय कुलकर्णी बेहद व्यथित और आहत थे और वे विगत लंबे समय से लगभग अवसाद वाली स्थिति में भी थे. चूंकि डॉ. प्रणय कुलकर्णी को एक संवेदनशील व्यक्तिमत्व के तौर पर जाना जाता था. ऐसे में चर्चा चल रही है कि, जिन लोगों को डॉ. प्रणय कुलकर्णी ने ही अपने कंधे पर बिठाकर बडा बनाया, उन्हीं लोगों द्वारा खुद को दूध में पडी मख्खी की तरह निकालकर बाहर फेंक दिए जाने के चलते डॉ. प्रणय कुलकर्णी एकतरह से राजनीतिक हताशा का शिकार हो गए थे और संभवत: इसी वजह के चलते उन जैसे संवेदनशील व्यक्ति के ब्रेन हैमरेज व हार्ट अटैक का सामना करना पडा. जिसमें अंतत: उनकी जान चली गई.
इस चर्चा को आज उस समय और भी अधिक बल मिला, जब डॉ. प्रणय कुलकर्णी के अंतिम दर्शन करने हेतु भाजपा के प्रदेश संगठन मंत्री डॉ. उपेंद्र कोठेकर आज सुबह मांगीलाल प्लॉट परिसर स्थित कुलकर्णी परिवार के निवास पर पहुंचे. इस समय डॉ. उपेंद्र कोठीकर को देखते ही दिवंगत प्रणय कुलकर्णी के नागपुर निवासी भाई गोपाल कुलकर्णी ने उन्हें जमकर आडे हाथ लेते हुए आरोप लगाया कि, भाजपा के पदाधिकारियों की राजनीति ने उनके भाई डॉ. प्रणय कुलकर्णी की जान ली है. मौके पर उपस्थित कुछ प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक गोपाल कुलकर्णी ने साफ शब्दों में कहा कि, डॉ. प्रणय कुलकर्णी ने अपना पूरा जीवन भाजपा को मजबूत करने के लिए समर्पित कर दिया था और उनकी उंगली पकडकर भाजपा में कई लोग बडे-बडे पदों पर पहुंचे. वैसे तो सीधे प्रदेश भाजपा के सबसे बडे नेता राज्य के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस तक अपनी सीधी पहुंच रखनेवाले डॉ. प्रणय कुलकर्णी किसी के भी मोहताज नहीं थे. लेकिन बात उनके आत्मसम्मान व आत्मगौरव की थी. जिससे डॉ. कुलकर्णी ने कभी भी कोई समझौता नहीं किया.
जानकारी के मुताबिक गोपाल कुलकर्णी ने उपेंद्र कोठीकर के समक्ष स्पष्ट आरोप लगाया कि, कुछ लोग भाजपा में विभिन्न पदों पर नियुक्तियों से पहले डॉ. कुलकर्णी के आगे-पीछे घुम रहे थे और अपने नाम की लॉबिंग कराने हेतु उन्हें अपने साथ मुंबई व नागपुर भी लेकर भी घुम रहे थे. साथ ही उस समय उन्हें शहर कार्यकारिणी में कार्यकारी अध्यक्ष अथवा महासचिव बनाए जाने का आश्वासन भी दिया गया था. लेकिन ऐसे ही लोगों ने नियुक्ति प्रक्रिया के पूरी होने के उपरांत डॉ. प्रणय कुलकर्णी का फोन तक उठाना बंद कर दिया और उनकी अनदेखी करते हुए उन्हें एकतरह से राजनीतिक हाशिए पर धकेलना शुरु कर दिया. साथ ही साथ इन दिनों भाजपा में ऐसे लोगों ने अपना वर्चस्व दिखाना शुरु कर दिया, जिनका इससे पहले भाजपा के साथ कोई वास्ता नहीं था और जो अपनी मौका परस्त राजनीति के चलते अभी हाल-फिलहाल ही भाजपा में शामिल हुए, इन तमाम बातों के चलते पार्टी के प्रति हमेशा ही निष्ठावान रहनेवाले डॉ. प्रणय कुलकर्णी विगत कुछ दिनों से काफी हद तक आहत व व्यथित थे और उन्होंने इन सभी बातों का काफी अधिक तनाव भी ले लिया था. साथ ही साथ वे उठते-बैठते इन्हीं सब बातों के बारे में सोचा करते थे. जिसके चलते उनका रक्तदाब काफी अधिक रहा करता था और इसी वजह से उन्हें विगत दिनों ब्रेन हैमरेज व हृदयाघात हुआ. जिसके बाद उनकी स्थिति लगातार बिगडती चली गई और अंतत: कल उनका आकस्मिक निधन हो गया.
डॉ. प्रणय कुलकर्णी के भाई गोपाल कुलकर्णी द्वारा अपने निवासस्थान पर भाजपा के संगठन मंत्री डॉ. उपेंद्र कोठीकर को उंची आवाज में जमकर आडे हाथ लिए जाने और खडे बोल सुनाए जाने के चलते अब इस चर्चा ने और भी अधिक जोर पकड लिया है कि, क्या वाकई डॉ. प्रणय कुलकर्णी अपनी अनदेखी और अपने को भाजपा के कुछ पदाधिकारियों द्वारा उन्हें राजनीतिक हाशिए पर डाल दिए जाने के चलते इतने अधिक व्यथित व द्रवित हो गए थे कि, उसके परिणामस्वरुप वे ब्रेन हैमरेज व हार्ट अटैक का शिकार हुए. जिसकी वजह से अंत में उनकी जान चली गई. फिलहाल यह सवाल और आरोप काफी सुर्खियों में हैं, जिसे लेकर अलग-अलग स्तर पर अलग-अलग चर्चाएं चल रही है.





