शैक्षिक महासंघ ने की जिलेवार शिविरों के माध्यम से शीघ्र कार्रवाई की मांग
एमफिल पात्रताधारक प्राध्यापकों की लंबित नियुक्ति का मामला

* विवि के कुलगुरु और उच्च शिक्षा सहसंचालक की सकारात्मक भूमिका
अमरावती/दि.31 -अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ (एबीआरएसएम) के माध्यम से पिछले कई वर्षों से महाराष्ट्र में एम.फिल. पात्रता धारक प्राध्यापकों की समस्या को भारत सरकार, महाराष्ट्र शासन और उच्च व तकनीकी शिक्षा संचालनालय स्तर पर निरंतर पत्राचार और संवाद द्वारा सुलझाया गया है. इस संदर्भ में केंद्रीय शिक्षा मंत्री, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के अध्यक्ष और सचिव तथा महाराष्ट्र शासन के उच्च व तकनीकी शिक्षा मंत्री, प्रमुख सचिव और निदेशक के साथ समय-समय पर बैठकें और विस्तृत चर्चाएं करके इस विषय का अंतिम समाधान सुनिश्चित किया गया है.
एम.फिल. अर्हता वाले 1421 प्राध्यापकों को नेट परीक्षा उत्तीर्ण करने से छूट देने के शासन निर्णय के क्रियान्वयन के संदर्भ में अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के अमरावती विश्वविद्यालय विभाग की ओर से अध्यक्ष डॉ. मीनल भोंडे के नेतृत्व में एक निवेदन कुलगुरु डॉ. मिलिंद बारहाते और सहसंचालक डॉ. केशव तुपे को प्रस्तुत किया गया.
इस निवेदन में शासन निर्णय, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग का पत्र और शिक्षा संचालनालय के निर्देशों की जानकारी देते हुए वर्तमान स्थिति की समीक्षा की गई. इस अवसर पर लंबित स्थाननियुक्ति, पदोन्नति और वेतन निर्धारण मामलों पर शीघ्र कार्यवाही के लिए कुछ महत्वपूर्ण मांगें प्रस्तुत की गईं. लंबित स्थाननियुक्ति, पदोन्नति और वेतन निर्धारण मामलों पर तुरंत निर्णय लेने हेतु जिलेवार विशेष शिविर आयोजित कर एक ही चरण में कार्यवाही की जाए, पुनर्निर्धारण आवश्यक प्राध्यापकों के प्रस्ताव तुरंत मंगवाए जाएं, मृतक और सेवानिवृत्त प्राध्यापकों को प्राथमिकता दी जाए, लाभ पात्रता दिनांक से लागू किया जाए, कुलगुरु, विषय विशेषज्ञ, सहसंचालक और लेखाधिकारी की संयुक्त स्वीकृति एक साथ ली जाए, कार्यवाही निश्चित समयसीमा में पूरी हो इसके लिए संस्था और प्राचार्य पर जिम्मेदारी निश्चित की जाए तथा लेवल 1 से 4 तक की सभी स्थाननियुक्ति बैठकें एकसाथ लेकर वर्षों से लंबित मामलों का सुव्यवस्थित और समन्वित रूप से निपटारा किया जाए – ऐसी प्रमुख मांगें की गईं.
सहसंचालक डॉ. केशव तुपे ने इस पर सकारात्मक प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि इन मामलों की अत्यंत शीघ्र गति से जिलेवार शिविर आयोजित कर कार्यवाही की जाएगी, ऐसा स्पष्ट आश्वासन दिया. इस दौरान, दुर्भाग्यवश दिवंगत या सेवानिवृत्त हुए प्राध्यापकों के मामलों को प्राथमिकता से निपटाया जाए, तथा सहयोगी प्राध्यापक और प्राध्यापक पद की स्थाननियुक्ति का लाभ पात्रता दिनांक से ही दिया जाए – ऐसा दृढ़ आग्रह महासंघ की ओर से किया गया. इस पर शासन स्तर पर शीघ्र मार्गदर्शन प्राप्त कर सकारात्मक निर्णय लिया जाएगा, ऐसा आश्वासन माननीय सहसंचालक ने दिया. कुलगुरु डॉ. मिलिंद बारहाते ने भी कहा कि विश्वविद्यालय प्रशासन शीघ्र कार्यप्रणाली से सक्रिय रहेगा, संबंधित प्राध्यापकों की स्थाननियुक्ति समितियां तुरंत गठित की जाएंगी, और जिलेवार शिविरों के आयोजन के संबंध में विश्वविद्यालय सकारात्मक भूमिका निभाएगा – ऐसा स्पष्ट किया.
इस निवेदन के माध्यम से प्राध्यापकों के न्यायसंगत अधिकारों के लिए शैक्षिक महासंघ द्वारा उठाया गया यह पहल का कदम लंबित मामलों पर निर्णायक कार्यवाही करवाने में प्रभावी सिद्ध होगा. इससे प्राध्यापकों को न्याय प्राप्त होने की प्रक्रिया को गति मिलेगी, इस प्रकार की संतोषजनक भावना डॉ. मीनल भोंडे ने व्यक्त की.





