भारत का प्रतिनिधित्व करने का अवसर अनमोल
जूनियर एम्बेसेडर पार्थ पनपालिया का मनोगत

* 12 दिवसीय जापान यात्रा की पूरी
* अमरावती लौटने पर भावभीना स्वागत
अमरावती/दि.1 -जापान में जाकर भारत की संस्कृति को प्रस्तुत करने तथा भारत का प्रतिनिधित्व करने का अवसर मिलना यह मेरे लिए 11 वर्ष के उम्र में सबसे अनमोल खजाना है, जो मुझे जिंदगी भर याद रहेगा इन शब्दों में पार्थ लकिश पनपालिया ने अपनी भावनाएं व्यक्त की है. हाल ही में 12 दिवसीय जापान यात्रा कर अमरावती लौटे पार्थ का अमरावती में भावभीना स्वागत किया गया.
जापान सरकार द्वारा प्रतिवर्ष 11 वर्षीय 200 बच्चों को विश्व के 50 देशों से जापान बुलाया जाता है और उन्हें वहा पर संस्कृति का आदान प्रदान करने का मौका दिया जाता है. साथ ही जापान की शिक्षा प्रणाली समझने के लिए 7 दिन स्कूल में एडमिशन भी दिया जाता है. सभी बच्चे अपने देश की संस्कृति का वहा पर परिचय देते है. इस प्रकिया को भारत में जेसीआई इंडिया पूरा करती है. जेसीआई इंडिया को चयन करने का अधिकार जापान सरकार द्वारा दिया गया है. इस वर्ष भारत से जो चार बच्चे जेसीआई इंडिया ने चयन किये उनमें अमरावती महाराष्ट्र से पार्थ लकिश पनपालिया का समावेश था. बचपन से पढाई तथा सोशल और खेल में हमेशा अग्रेसर होने के वजह से पार्थ का इसमें चयन हो सका है. 1989 से जापान सरकार यह प्रकल्प ले रही है. पूरे देश से ऐसे होनहार बच्चों में पार्थ के साथ मुंबई से रिओना पौल इरोड, तमिलनाडु से दियान कविनकूमार तथा मदुराइ से दिव्यश्री वीरमनी का इस साल इस में चयन किया गया.
12 दिवसीय के इस यात्रा के दौरान पार्थ को अन्य देशों से आये बच्चो से वहां की संस्कृति को जानने का अवसर मिला. उनके साथ दोस्ती का उनके साथ खेलकूद का मौका मिला. इस प्रकल्प के अंतर्गत पार्थ को कुसागे शहर के मशहूर परिवार क्योहेई मित्स्तुहाशी के साथ 7 दिन रहने का मौका मिला. जिसमें पार्थ ने उनके बेटे केइ के साथ स्कूल की पढाई करने का भी मौका मिला. इस परिवार ने पार्थ की मेजबानी में कोई कसर नहीं छोड़ी. पार्थ को भारतीय खाने के व्यवस्था के साथ वहा का सैर सपाटा भी करवाया. परिवार बड़ा होने के वजह से पार्थ ने वहां बहोत आनंद लिया. इन 12 दिवसीय यात्रा के दौरान पार्थ को यह कभी महसुस ही नहीं हुआ की वह अपने देश से परिवार से सात समंदर पार है. इसके लिए पार्थ जापान सरकार अवं मित्स्तुहाशी परिवार का तहेदिल से धन्यवाद व्यक्त करता है. साथ ही इन बच्चों के साथ पीस एम्बेसेडर अक्षया और च्यापरोन अनुराधा जयचंदर इन दोनों ने बच्चो को लेकर जाने से आने तक की जिम्मेदारी बहोत ही अच्चेसे निभाई. चारो बच्चों का परिवार इसके लिए उनका हमेशा ऋणी रहेगा .
जापान में सिखने के लिए बहोत कुछ है जिसमे अपना काम स्वयम करना ये सबसे महत्वपूर्ण है पुरे 12 दिन खुद सारा काम खुद किया ये बहोत बड़ी सिख जापान के इस प्रकल्प में पार्थ को मिली. साथ की बडो अवं छोटो के साथ कैसे रहना है ये भी उसे सिखने को मिला. पुरे 12 दिन में कोई भी व्यक्ति घुस्सा करते हुए दिखाई नहीं दिया. रूम लीडर कान्या जो जापान से था उसे पार्थ बहोत मिस करता है. स्कूल में अपने क्लास् की सफाई खुद करनी पडती है जिसके लिए समय आरक्षित रहता है. बहोत बड़ा अनुभव का खजाना पार्थ अपने साथ लाया है. भविष्य में मौका मिले तो पार्थ फिरसे जापान जाना चाहता है.
भारत आने पर हुआ स्वागत
पार्थ के अमरावती आगमन पर पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राजेश चांडक, पूर्व अंचल अधक्ष अनिल मुनोत, निर्मल मुनोत, भारत शर्मा, वर्तमान अंचल अध्यक्ष डॉ. कुशल झवर, अंचल सचिव सौरभ डागा, पुर्वाध्यक्ष रघु परमार, प्रफुल्ल वानखड़े, आशीष मूंदड़ा, अध्यक्ष लकिश पनपालिया, कार्यकारिणी सदस्य आशीष करुले, पंकज कटारिया, श्वेता पनपलिया, परिवार से मासी स्नेहा टावरी, नानी छाया साहू, दादी कमलादेवी पनपालिया, राजश्री राठी, किरण झवर, शांता मूंदड़ा, पद्मा मूंदड़ा, निर्मला नवाल, बड़े पापा हरीश पनपालिया, बड़ी मम्मी माया पनपालिया, बुआ चित्रा बजाज, बहन कंचन बंग, सिद्धि बंग, आराध्या, खुशी, काव्या, कृतिका, तन्वी, चाची प्रिया मूंदड़ा, दादा अशोक राठी, राजेंद्र झवर, रमेश मूंदड़ा मनोहरलाल मूंदड़ा, सत्यानारायन मूंदड़ा आदि सदस्य स्वागत के लिए उपस्थित थे.





