किसानों के लिए आवाज उठाना गुनाह है क्या?
अपने कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी पर भडके बच्चू कडू

अमरावती/दि.4 – गत रोज सीएम देवेंद्र फडणवीस के मोर्शी दौरे पर रहते समय प्रहार जनशक्ति पार्टी के पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं ने किसान कर्जमुक्ति के लिए आवाज उठाते हुए बैनर लगाकर सवाल पूछा था कि, कर्जमाफी की तारीख कब है. जिसके लिए पुलिस ने प्रहार पार्टी के पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं को अपनी हिरासत में लिया. ऐसे में सरकार से सवाल पूछा जाना चाहिए कि, क्या किसानों के लिए आवाज उठाना कोई अपराध है. इस आशय के शब्दो में प्रहार जनशक्ति पार्टी के मुखिया व पूर्व राज्यमंत्री बच्चू कडू ने अपने समर्थकों की गिरफ्तारी पर रोष व संताप व्यक्त किया.
इस पूरे मामले को लेकर पूर्व राज्यमंत्री बच्चू कडू का कहना रहा कि, मोर्शी दौरे के समय सीएम फडणवीस का ध्यान किसानों की मांगो की ओर दिलाने हेतु प्रहार के तहसील संपर्क प्रमुख अजय चौधरी तथा प्रवीण कडू, विलास पांडगडे व अन्य कार्यकर्ता किसानों व खेतीहर मजदूरों को साथ लेकर अपनी मांगों का बैनर लगा रहे थे. जिसमें केवल एक सवाल पूछा गया था कि, किसान कर्जमाफी की घोषणा किस तारीख पर होगी. परंतु इस सरकार को सवाल पूछना भी नागवार गुजरना शुरु हो गया. यही वजह रही कि, सीएम के दौरे को ध्यान में रखते हुए वरुड एवं मोर्शी तहसील क्षेत्र में पुलिस का कडा बंदोबस्त लगाया गया था और किसानों के लिए कोई आंदोलन न हो पाए, इस बात को ध्यान में रखते हुए सभी कार्यकर्ताओं को सीएम के दौरे से पहले ही पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया. यह सीधे-सीधे किसानों एवं सर्वसामान्यों की आवाज दबाने वाली बात है. जिसे कदापी बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.
इसके साथ ही पूर्व मंत्री बच्चू कडू ने यह भी कहा कि, किसानों, खेतीहर मजदूरों, मेहनतकशों, भेडपालकों, मच्छीमारों, दिव्यांगों व ग्रापं कर्मचारियों सहित सर्वसामान्य के मुद्दों पर सरकार पूरी तरह से मौन रहती है और अगर कोई इसे लेकर आवाज उठाता है, तो सरकार पुलिस बल का प्रयोग करते हुए लाठी व डंडों से जवाब देती है. इस बार भी सरकार ने अपने इसी हथियार का प्रयोग करना शुरु किया है. लेकिन सरकार यह भूल गई है कि, पुलिस की ताकत का प्रयोग करने से आज तक किसी भी समस्या का समाधान नहीं हुआ है. बल्कि सरकार को अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए हर सवाल का जवाब देना होगा. यदि सरकार ने कर्जमाफी की तारीख घोषित नहीं कि, तो हम सरकार के सामने सवाल उपस्थित करते रहेंगे और किसान कर्जमाफी के लिए आंदोलन भी लगातार जारी रहेंगे, यह बात भी सरकार ने भुलनी नहीं चाहिए.





