नकली सीमेंट विक्री के गोरखधंधे में सामने आई जानकारी
‘वह’ सीमेंट होता है ‘कट एंड टॉर्न’ कैटेगिरी का

* पानी लगने या बैग फटी होने से नहीं रहता विक्री योग्य
* खुद कंपनी के गोदाम से ही ‘कम-ज्यादा’ में होती है विक्री
* ‘उधडे’ में खरीदी कर कडक सीमेंट की दुबारा होती है पिसाई
* कम दामों में बेचा जाता है बिना गुणवत्ता वाला सीमेंट
* ‘अमरावती मंडल’ की पडताल में उजागर हुए कई तथ्य
अमरावती/दि.4 – हाल ही में शहर पुलिस की अपराध शाखा के दल ने शहर में तीन स्थानों पर छापामार कार्रवाई करते हुए तीन गोदामों से नकली सीमेंट की बडी खेप को बरामद किया था. जिसके जरिए यह जानकारी सामने आई थी कि, पानी लगने या नमी पकडने से खराब हो चुके सीमेंट की इन गोदामों में पिसाई करते हुए उसे दुबारी बारीक व महिम किया जाता था. जिसके बाद उस सीमेंट को ब्रांडेड कंपनियों की बैग में भरकर उसे असली सीमेंट दर्शाते हुए उसकी विक्री की जाती थी. ऐसे में अपराध शाखा पुलिस ने निकृष्ठ दर्जा रहनेवाले सीमेंट की करीब 1200 से 1500 बैग जब्त की थी. ऐसे में यह सवाल उपस्थित हो रहा है कि, आखिर इन गोदामों में खराब हो चुके सीमेंट की भारी-भरकम खेप कहां से आती थी और यह गोरखधंधा कैसे चला करता था. ऐसे में दैनिक अमरावती मंडल ने इस पूरे मामले की पडताल की, तो कई चौकानेवाले तथ्य सामने आए.
दैनिक अमरावती मंडल ने जब सीमेंट विक्री व्यवसाय के साथ जुडे कुछ स्थानीय एवं विविध कंपनियों के अधिकृत विक्रेताओं से इसके बारे में पूछताछ की, तो पता चला कि, अमरावती शहर में बेलोरा, चांगापुर व रेवसा परिसर में अलग-अलग सीमेंट कंपनियों के खुद के बडे-बडे गोदाम है. जहां पर सीमेंट कंपनियों द्वारा अपनी फैक्टरियों से माल लाकर रखा जाता है. इसके तहत चंद्रपुर व गढचिरोली सहित दक्षिण भारत में स्थित फैक्टरियों में तैयार होनेवाले सीमेंट की बैगों को मालगाडी के जरिए बडनेरा रेलवे स्टेशन के सीआरडब्ल्यूसी यानि मालधक्के में भेजा जाता है. जहां से ट्रकों के जरिए अलग-अलग कंपनियों का सीमेंट संबंधित कंपनियों के गोदामों में भेजा जाता है और वहां से माल का होलसेल व फुटकर विक्रेताओं को वितरण होता है. इस पूरी प्रक्रिया के दौरान कई बार बडनेरा स्थित मालधक्के या कंपनियों के गोदामों में पानी लगने अथवा बैग फट जाने की वजह से माल खराब हो जाता है. जिसे सीमेंट व्यवसाय में ‘कट एंड टॉर्न’ वाला माल कहा जाता है. चूंकि ऐसे माल को वापिस फैक्टरी में भिजवाना काफी महंगा साबित होता है. अत: ऐसे माल की खुद कंपनी के अधिकारियों द्वारा स्थानीय स्तर पर ‘कम-ज्यादा’ भाव में बिक्री कर दी जाती है. ऐसे सीमेंट का अमुमन भवन निर्माण या सडक निर्माण के छोटे-मोटे ठेके लेनेवाले लोगों द्वारा प्रयोग किया जाता है.
इस पडताल के दौरान यह भी पता चला कि, अमुमन जिस माल में थोडीबहुत खराबी या दिक्कत रहती है, उस माल की ही ‘कट एंड टॉर्न’ वाली श्रेणी में बिक्री की जाती है और जो माल पानी या नमी लगने की वजह से पूरी तरह कडक होकर पत्थर हो जाता है, उसका कुछ भी नहीं हो पाता. लेकिन कई बार आधे से अधिक कडक हो चुके माल की भी कंपनी के गोदामों या बडनेरा स्थित मालधक्के से विक्री हो जाती है. जिसे खरीदने वाले लोग उसे अपने गोदामों में लाकर उसकी क्रशर मशीन के जरिए पिसाई करते है और कडक हो चुके सीमेंट का महिम पाऊडर बनाकर उसकी दुबारा सीमेंट के तौर पर विक्री करते है.
* प्रयोग में लाई जा चुकी बोरियों का होता है इस्तेमाल
इस पडताल में यह भी पता चला कि, शहर में अनाज व शक्कर के बारदानों के व्यवसाय की तरह सीमेंट की खाली बोरियों का भी व्यवसाय चलता है. ऐसे में विभिन्न नामांकित कंपनियों की खाली सीमेंट बोरियों को ‘कट एंड टॉर्न’ कैटेगिरी वाले सीमेंट की रिपैकिंग के काम में प्रयुक्त किया जाता है. ताकि उसे ब्रांडेड सीमेंट दर्शाया जा सके.
* सस्ते माल की भी होती है ब्रांडेड बोरियों में रिपैकिंग
इसके अलावा एक सीमेंट व्यवसायी ने नाम नहीं प्रकाशित करने की शर्त पर अमरावती मंडल को बताया कि, सीमेंट के व्यवसाय में ब्रांडेड कंपनियों के अलावा कई ऐसी भी कंपनियां है, जिनका बहुत अधिक नाम नहीं है और ऐसी कंपनियों की सीमेंट बोरियां काफी सस्ते दामों पर मिल जाती है. ऐसे में कम गुणवत्ता वाले इस सीमेंट की ऐसे गोरखधंधे में लिप्त लोगों द्वारा ब्रांडेड कंपनियों की बोरियों में रिपैकिंग करते हुए विक्री की जाती है.
* छोटे-मोटे ठेकेदारों द्वारा की जाती है खरीदी
यहां यह विशेष उल्लेखनीय है कि, इन दिनों शहर में कई ऐसे छोटे-मोटे ठेकेदार सक्रिय हो गए है. जो अलग-अलग इलाको में 1000-1200 या 1500 स्केअर फीट के प्लॉट पर मकान बनाकर ग्राहकों को रेडीमेड मकानों की विक्री करते है. ऐसे में लागत मूल्य को कम रखने तथा अधिक मुनाफा कमाने के लिए कई बार ऐसे ठेकेदारों द्वारा इस कम गुणवत्ता वाले सीमेंट की खरीदी करते हुए उसका प्रयोग निर्माणकार्य में किया जाता है. परंतु ऐसे सीमेंट से किए जानेवाले निर्माणकार्यों के भविष्य की कोई गारंटी नहीं रहती.
* कंपनी के गोदामों से निकलने वाले ‘कट एंड टॉर्न’ माल की निगरानी जरुरी
इस पडताल के चलते कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि, अलग-अलग कंपनियों के गोदामों से निकलने वाले ‘कट एंड टॉर्न’ यानि एक्सपायरी वाले व खराब हो चुके माल की विक्री व निकासी को नियंत्रित किया जाना बेहद जरुरी है. क्योंकि तभी कम गुणवत्ता वाले सीमेंट के इस गोरखधंधे पर अंकुश लगाया जा सकता है. क्योंकि शहर सहित जिले में अलग-अलग स्थानों पर चल रहे नकली व हलके सीमेंट के गोदामों में कहीं न कहीं विविध सीमेंट कंपनियों के स्थानीय गोदामों से ही खराब हो चुका ‘कट एंड टॉर्न’ माल पहुंच रहा है. जिसकी दुबारा रिपैकिंग करते हुए विक्री करने का गोरखधंधा धडल्ले के साथ चल रहा है.





