श्री पद्मकेश्वर देवस्थान, डोंगरयावली की कृषि भूमि का मामला
तत्कालीन तहसीलदार से मिलीभगत कर देवस्थान की भूमि में फेरफार करने का आरोप

* महाराष्ट्र मंदिर महासंघ की जांच व कार्रवाई की मांग
अमरावती/मोर्शी/दि.6- श्री पद्मकेश्वर महादेव देवस्थान, डोंगरयावली, ता. मोर्शी, जिला अमरावती, जो कि 200 वर्षों से भी अधिक प्राचीन मंदिर है, इसकी मालकी की कृषि भूमि पर अवैध रूप से आर्थिक लाभ हेतु स्थानीय कब्जाधारकों ने एक सुनियोजित षड्यंत्र के तहत तत्कालीन तहसीलदार सागर ढवले की मिलीभगत से राजस्व अभिलेखों में अवैध फेरबदल किए हैं. इस प्रकरण को लेकर महाराष्ट्र मंदिर महासंघ की ओर से जिलाधिकारी, अमरावती एवं उपविभागीय अधिकारी, मोर्शी को ज्ञापन सौंपकर संबंधितों पर तत्काल जांच एवं कड़ी कार्रवाई की मांग की गई है.
* मामला क्या है?
ग्राम डोंगरयावली, सर्वे क्र. 60/1, क्षेत्रफल 1 हेक्टेयर 14 आर की भूमि श्री पद्मकेश्वर संस्थान के नाम पर सन 1937 से दर्ज है. यह संपत्ति गणपत सखाराम कलाल द्वारा मंदिर संस्थान को दान में दी गई थी. तथापि, कब्जाधारक गजानन नागोराव भामकर, प्रकाश भामकर एवं श्रीराम भामकर ने तहसीलदार मोर्शी से मिलीभगत कर महाराष्ट्र राजस्व अधिनियम की धारा 155 के अंतर्गत 20 जुलाई 2022 को अवैध आदेश प्राप्त किया. इस आदेश के माध्यम से 7/12 उतारे में संस्थान की कुल भूमि से 0.81 हेक्टेयर कब्जाधारकों के नाम दर्ज कर दी गई तथा केवल 33 आर भूमि संस्थान के नाम पर छोड़ी गई.
* कानून की धाराओं का खुला उल्लंघन
आदेश पारित करते समय मंदिर संस्थान को पक्षकार नहीं बनाया गया. न तो कोई सार्वजनिक सूचना जारी की गई, न ही कोई नोटिस भेजी गई. इतनाही नहीं तो तुकड़ेबंदी कानून का उल्लंघन करते हुए भूमि का अवैध विभाजन किया गया. धारा 155 के तहत कोई दस्तावेजी त्रुटि नहीं थी, फिर भी आदेश पारित किया गया.
* अवैध बिक्री एवं संस्थान की क्षति
इस षड्यंत्र के तहत कब्जाधारकों ने भूमि को अवैध रूप से अन्य व्यक्तियों को विक्रय कर आर्थिक लाभ उठाया. दस्त क्र. 208 के अनुसार जनवरी 2024 में भूमि की बिक्री हुई, जिससे मंदिर संस्थान को भारी आर्थिक नुकसान पहुंचा है.
* मंदिर महासंघ की कार्रवाई की मांग
महाराष्ट्र मंदिर महासंघ की राज्य कोर कमिटी के पदाधिकारी अनुप जयस्वाल एवं सदस्य विनीत पाखोडे द्वारा यह शिकायत जिलाधिकारी, अमरावती एवं उपविभागीय अधिकारी, मोर्शी को सौंपी गई है. उन्होंने मांग की है कि संस्थान की मूल 7/12 प्रविष्टि को पूर्ववत किया जाए, दोषियों पर कानूनी कार्रवाई की जाए एवं इस गंभीर मामले की तुरंत जांच कर कार्रवाई की जाए. साथ ही, संस्थान को धर्मादाय आयुक्त प्राधिकरण के परिपत्र क्रमांक 518 के अनुसार पंजीकृत करने हेतु एवं उसकी संपत्ति की सुरक्षा हेतु धर्मादाय सह आयुक्त, अमरावती को भी ज्ञापन प्रस्तुत किया गया है. इस सम्पूर्ण प्रकरण से मंदिर संस्थान के मालिकी अधिकारों पर खतरा उत्पन्न हुआ है. अतः सरकार से अनुरोध है कि इस मामले में तत्काल ध्यान देकर कड़ी कार्रवाई करने की मांग महाराष्ट्र मंदिर महासंघ की ओर से की गई है.





