युनियन बैंक अचलपुर के अधिकारी व कर्मचारियों की तानाशाही

अल्पभुधारक किसान को उसकेे खाते से रकम का भुगतान नहीं

* किसान मो. सुल्तान ने लगाया मानसीक यातना देने का आरोप
अचलपुर /दि. 12 – परतवाडा के लकड बाजार स्थित यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, अचलपुर शाखा में सोमवार 11 अगस्त को जो दृश्य सामने आया, उसने राष्ट्रीयकृत बैंकों की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खडे कर दिए. यहां के मैनेजर आकाश सोनोने, अधिकारी प्रीति और क्लर्क श्रीकांत मेहरे पर एक अल्प भूधारक किसान के 9 लाख रुपए का भुगतान न करने और उसे मानसिक यातना देने का आरोप है.
कांडली परतवाडा निवासी वरिष्ठ नागरिक व किसान अहसान मोहम्मद सुल्तान का इस बैंक में 28 साल पुराना बचत खाता है. जिसे उन्होंने 1997 में खोला था. 11 जून 2025 को उन्होंने 9 लाख रुपए की निकासी हेतु चेक नं. 060473 प्रस्तुत किया, लेकिन पैन कार्ड न होने का हवाला देकर भुगतान रोक दिया गया. अहसास ने बताया कि उनका मूल पैन कार्ड खो गया था, लेकिन इसलिए बैंक अधिकारियों के कहने पर उन्होंने नया पैन कार्ड बनवाया और आवेदन के साथ नया व पुराना दोनो नंबर बैंक में जमा किए. इसके बावजूद बैंक अधिकारियों ने रकम देने से साफ मना कर दिया और तरह-तरह की दलीलें देने लगे. अहसान का आरोप है कि, मैनेजर सोनोने अधिकारी प्रीति और क्लर्क मेहरे ने उन्हें अपमानित किया, धमकियां दी और यहां तक कि सुरक्षा गार्ड मालधुरे को भी उनके खिलाफ भडकाया. गार्ड ने न केवल उन्हें डराया, बल्कि जेल भेजने तक की धमकी दी.
लगातार दो माह तक बैंक से रकम न मिलने और उत्पीडन झेलने के बाद 11 अगस्त को अहसान आमरण अनशन की नोटिस लेकर बैंक पहुंचे, चूंकि वें गंभीर बीमारियों जैसे हाई शुगर रीढ की तकलीफ, खून गाढा होना, कमर का ऑपरेशन से जूझ रहे है, वे कुछ परिचित लोगों को साथ लाए थे. लेकिन प्रीति और मेहरे ने नोटिस लेने से इनकार कर दिया और भुगमतान रोकने का रवैया बरकरार रखा.
घटना की जानकारी मिलते ही कुछ स्थानीय पत्रकार भी बैंक पहुंचे. प्रीति ने पुलिस बुलाने की कोशिश की, लेकिन पुलिस ने मामला समझने के बाद कोई कार्रवाई नहीं की. गौरतलब है कि अहसान पर बैंक का कोई कर्ज नहीं है. उनका पैसा खाते में मौजूद है, फिर भी उन्हें भुगतान नहीं किया जा रहा है. स्थानीय नागरिकों का कहना है कि यह मामला सिर्फ एक ग्राहक का नहीं. बल्कि राष्ट्रीयकृत बैंकों में फैली तानाशाही प्रवृत्ति का उदाहरण है. जिस तरह कामचोरी, अहंकार और नौकरशाही के चलते बीएसएनल जैसी सरकारी संस्था कमजोर हो गई. उसी तरह यूनियन बैंक का भी पतन अब दूर नहीं. पूरे जुडवा शहर में युनियन बैंक अचलपुर शाखा के अधिकारियों के इस बर्ताव की चर्चा हो रही है और लोग इसे दादागिरी व गुंडागर्डी करार दे रहे है.

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