गणेश प्रतिमा विसर्जन हेतु कृत्रिम टैंक निर्माण में पर्यावरणीय दिशा

निर्देशों के पालन पर जोर

* वसुंधरा फाउंडेशन का एमपीसीबी को ज्ञापन
अमरावती/दि.12 – वसुंधरा फाउंडेशन द्वारा गत 6 अगस्त को महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण मंडल (एमपीसीबी) के अमरावती क्षेत्रीय कार्यालय को प्रस्तुत निवेदन के आधार पर मंडल ने अमरावती मनपा को छत्री तालाब के पास बनाए जा रहे कृत्रिम टैंक में पर्यावरणीय सुरक्षा मानकों के कड़ाई से पालन करने के निर्देश जारी करने पर बल दिया है.
संस्था के अध्यक्ष गणेश अनासाने एवं भूवैज्ञानिक किशोर देशमुख ने अपने निवेदन में बताया कि कृत्रिम टैंक जलाशय के अत्यंत निकट बनाया जाता है और उसमें जलरोधक अस्तर (प्लास्टिक शीट/जियो-मेंब्रेन) का अभाव होता है, जिससे विसर्जन के दौरान रसायनयुक्त व अपघटनीय पदार्थों का रिसाव होकर मुख्य तालाब में मिलना संभव है. इससे गंभीर जल प्रदूषण का खतरा उत्पन्न होगा. निवेदन में यह भी कहा गया कि सीमित स्थान में बड़ी संख्या में मूर्तियों के विसर्जन से रेज़िन, पेंट, मिट्टी, फूल आदि के रूप में प्रदूषक एकत्र हो जाते हैं, और अगर टैंक जलाशयों, कुओं या तालाबों के पास बने हों तो रिसाव से क्रॉस-कंटैमिनेशन का खतरा कई गुना बढ़ जाता है.
* वसुंधरा फाउंडेशन की मांग
– अमरावती मनपा को वैज्ञानिक एवं सुरक्षित तरीके से कृत्रिम टैंक निर्माण हेतु उचित पर्यावरणीय दिशा-निर्देश जारी किए जाएं.
– अस्थायी विसर्जन टैंकों में जलरोधक अस्तर एवं लीचेट संग्रहण प्रणाली अनिवार्य की जाए.
– विसर्जन के बाद कचरा संग्रहण एवं निपटान की ठोस व्यवस्था हो.
– नागरिकों को पर्यावरण-अनुकूल मूर्तियां एवं विसर्जन पद्धति अपनाने के लिए जागरूक किया जाए.
* प्रदूषण नियंत्रण मंडल का मनपा को पत्र
इस संबंध में, महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण मंडल, अमरावती के क्षेत्रीय अधिकारी एस. डी. पाटिल ने 11 अगस्त को मनपा को पत्र प्रेषित कर उच्च न्यायालय, मुंबई के 24 जुलाई 2025 के आदेश और राज्य सरकार के पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के 1 अगस्त 2025 के शासन निर्णय का पालन सुनिश्चित करने पर जोर दिया है. उन्होंने मनपा से अनुरोध किया है कि गणेश प्रतिमा विसर्जन संबंधी सभी पर्यावरणीय दिशा-निर्देशों और न्यायालय के आदेशों का सख्ती से पालन किया जाए, जिससे जल प्रदूषण रोका जा सके और पर्यावरण संरक्षण के उद्देश्य पूरे हों.

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