अमरावती की सेंट्रल जेल में 51 स्वाधिनता सेनानियों ने भोगा था कारावास
स्मृतियां आज भी जीवंत, ‘उन’ दो बैरकों को अब भी रखा गया है जस का तस

* रोजाना पूजा-अर्चना कर स्वाधिनता सेनानियों की स्मृति में किया जाता है दीप प्रज्वलित
अमरावती /दि.15 – देश की आजादी हेतु हुए संघर्ष में कई शूरवीर देशभक्तों ने अपना योगदान दिया था और देश की आजादी के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर करते हुए कारावास व काले पानी की सजा भी भुगती थी. ऐसे ही 51 स्वाधिनता सेनानियों ने अमरावती के मध्यवर्ती कारागार में अपनी सजा काटी थी. जिनकी स्मृतियों को आज भी मध्यवर्ती कारागार में जीवित रखा गया है. जिन दो बैरको में स्वाधिनता सेनानियों ने कारावास भोगा उन दो बैरकों को आज भी जस का तस रखा गया है. साथ ही उन दो बैरकों में रोजाना पूजा-अर्चना करते हुए स्वाधिनता सेनानियों की स्मृति में दिया प्रज्वलित कर उनकी स्मृतियों का अभिवादन किया जाता है.
अमरावती मध्यवर्ती कारागार में स्वाधिनता संग्राम के समय सन 1930 से 1944 के दौरान 51 स्वाधिनता सेनानियों ने कारावास भुगता. जिनमें पूर्व राष्ट्रपति वी.वी. गिरी व डॉ. नीलम संजीव रेड्डी सहित कुष्ठ महर्षि डॉ. शिवाजीराव उर्फ दाजीसाहेब पटवर्धन का भी समावेश था. ब्रिटीश दासता से देश को मुक्त करने के लिए सभी जाति व धर्मो से वास्ता रखनेवाले लोगों ने साथ मिलकर संघर्ष किया था. जब 9 अगस्त 1942 को ‘चले जावो’ का नारा देते हुए आंदोलन छेडा गया, तो स्वाधिनता संग्राम अपने चरम पर पहुंच गया और प्रत्येक देशवासी सडक पर उतर आया. उस समय आजादी के लडाई में शामिल स्वाधिनता संग्राम सेनानियों को ब्रिटीश शासको ने जेल में डाल दिया था. जिसके तहत अमरावती की सेंट्रल जेल में 51 स्वाधिनता सेनानी बंद किए गए थे. जिनकी स्मृतियों का कारागार प्रशासन द्वारा आज भी जतन व संरक्षण किया जाता है. इसके तहत स्वाधिनता दिवस, गणतंत्र दिवस व प्रजासत्ताक दिवस जैसे राष्ट्रीय पर्वों का औचित्य साधकर इस स्मृति स्थल का पूजन किया जाता है तथा महान स्वाधिनता सेनानियों की स्मृतियों का अभिवादन किया जाता है. साथ ही जिन दो बैरको में स्वाधिनता संग्राम सेनानियों को रखा गया था, उन दो बैरकों को आज भी जस का तस रखते हुए वहां पर कारावास भुगत चुके 51 स्वाधिनता सेनानियों की स्मृतियों को संभालकर रखा गया है.
* स्मृति स्तंभ पर दर्ज है 51 स्वाधिनता सेनानियों के नाम
अमरावती के कारागार में जिन 51 स्वाधिनता सेनानियों ने कारावास भुगता उनके नामों को जेल के भीतर स्थापित किए गए स्मृति स्तंभ पर उकेरकर दर्ज किया गया है. ताकि उनकी स्मृतियों को हमेशा याद रखा जा सके. यह स्मृति स्तंभ उन्हीं दो बैरकों के पास स्थित है. जिन बैरको में स्वाधिनता संग्राम के समय स्वाधिनता सेनानियों ने कारावास भुगता था. इन स्वाधिनता सेनानियों में एम. पल्लम राजू, के. आर. कारंथ, के. पी. अग्नेश्वरिया, के. सुब्बाराव, सी. एन. एम. मुदलियार, आर. नायडू, एम. अप्पलस्वामी, पी. गणपथीराव, के. कलेस्वामी राव, आर. सी. भारती, सी. चट्टेयार, के. के. रेड्डी, एम. बी. नायडू, एम. अनंतशय्यानम अय्यंगार, के. कलप्पा, के. ए. दामोदर मेनन, ए. कुप्परस्वामी मुदलियार, ए. पिल्लाई, एस. एस. कुलकर्णी, व्ही. व्ही. गिरी, नीलम संजीव रेड्डी, एस. सत्यमूर्ती, के. कामराज, टी. प्रकाशम, एम. भक्तवत्सलम्, आर. राघवमेनन, व्ही. राघवैया, टी. विश्वनाथन, कला व्यंकटराव, पी. सीवरनानन, लक्ष्मीनारायण मालाणी, सीताराम जाजू, पार्वतीबाई पटवर्धन, रघुनाथमल कोचर, अब्दुल हसन शेख गुलाम, वीर वामनराव जोशी, पी. बी. सदातपुरे, कांताबेन रतनलाल, रामदयाल गुप्ता, रतनलाल बापूजी जैन, पंडित द्वारकाप्रसाद मिश्र, एम. व्ही. अभ्यंकर, शिवाजी पटवर्धन, संभाजी गोखले, पु. का. देशमुख, दिनकर कानडेशास्त्री, डी. बी. सोमण, जी. जी. भोजराज, जी. बी. खेडकर, नीलकंठ मुरारी घटवाई का समावेश था.
* भारतीय स्वाधिनता संग्राम में शामिल 51 स्वाधिनता सेनानियों को अमरावती के मध्यवर्ती कारागार में बंदिस्त रखा गया था. स्वाधिनता सेनानियों की उन दो बैरकों को आज भी जस का तस रखा गया है. जहां पर रोजाना पूजन व दीप प्रज्वलन कर स्वाधिनता सेनानियों का स्मरण किया जाता है. साथ ही स्वाधिनता दिवस, गणतंत्र दिवस व शहीद दिवस जैसे मौकों पर जेल के अधिकारियों व कर्मचारियों सहित सभी बंदीजन उस स्थान पर नतमस्तक भी होते है.





